BHOPAL. देश में इकलौते चीतों के घर यानी मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से बुरी खबर आई है। श्योपुर स्थित इस पार्क में 27 अगस्त, मंगलवार को चीते पवन की मौत हो गई। उसका शव नाले के पास पड़ा मिला।
चिंताजनक बात यह है कि कूनो में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से 7 की मौत हो चुकी है। वहीं, कूनो में जन्मे 17 शावकों में से 5 शावकों ने दम तोड़ दिया है।
झाड़ियों के बीच नाले के किनारे मिला शव
वन विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक, नर चीता पवन मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे झाड़ियों के बीच नाले के किनारे मिला। डॉक्टरों से उसकी जांच की। इसमें प्रथम दृष्टया सामने आया कि पानी में डूबने से उसकी मौत हुई है। शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। लिहाजा, वन अमले ने किसी तरह की शिकार की घटना से इनकार किया है। पोस्टमार्टम के बाद चीता की मौत की असल वजह सामने आएगी।
2022 में कूनो में छोड़े गए थे चीते
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए आठ चीतों को बाड़े में छोड़ा था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से ही दूसरे चरण में चीते लाए गए थे। अब मंदसौर जिले के गांधीसागर में चीता बसाए जाने की तैयारी है।
कोरिया में खत्म हुई थी भारतीय नस्ल
माना जाता है कि वर्ष 1948 में कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने चीतों की नस्ल देश से खत्म कर दी थी। 1952 में सरकार ने इसकी घोषणा की। कहते हैं, राजा रामानुज ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया। यही आखिरी 3 चीते थे। यह बात कितनी सच है... इसे लेकर अलग-अलग कयास लगाए जाते रहे हैं।
मध्यप्रदेश के नाम दर्ज है खास रिकॉर्ड
वन्यजीवों के मामले में मध्यप्रदेश के नाम एक खास उपलब्धि भी दर्ज है। प्रदेश पूरे देश में इकलौता ऐसा राज्य है, जहां बिल्ली की तीनों प्रजातियां यानी बाघ, तेंदुआ और चीते पाए जाते हैं। देश में ऐसा कोई राज्य नहीं हैं, जहां ये तीनों वन्यप्राणी पाए जाते हों। मध्यप्रदेश में अभी 700 से ज्यादा बाघ और 3 हजार 907 तेंदुआ हैं। वहीं, अब कूनो में 25 चीते हैं। इनमें आधे अभी शावक हैं।
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