मध्य प्रदेश का अगला मुख्य सचिव ( CS ) और डीजीपी ( DGP ) कौन होगा? ये चर्चा अब मंत्रालय- पुलिस मुख्यालय और राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता के बीच आ गई है। हर कोई जानना चाहता है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव अपनी टीम का मुखिया किसे बनाएंगे। मुख्य सचिव और डीजीपी बदलने के बाद प्रदेश के कई जिलों के कलेक्टर और एसपी भी बदले जाएंगे। इसकी मुख्य वजह यह है कि जो भी मुख्य सचिव बनेगा, वो अपने पसंद के अफसरों को कलेक्टर बनाने की पैरवी करेगा, उसी तरह से जो डीजीपी बनेगा, वह अपने चहेते अफसरों को एसपी बनाने की कवायद करेगा।
सितंबर में पूरा हो रहा सीएस का एक्सटेंशन
वर्तमान मुख्य सचिव वीरा राणा को लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अप्रैल में 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था। इनका कार्यकाल सितंबर में समाप्त होगा। वहीं डीजीपी की बात करें तो अभी सुधीर सक्सेना इस कुर्सी पर बैठे हैं। वे नवंबर में रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि राज्य सरकार डीजीपी को दो साल से पहले नहीं हटा सकती है। आपको बता दें कि सुधीर सक्सेना के डीजीपी बनने के दो साल अप्रेल में पूरे हो गए हैं। ऐसे में राज्य सरकार अब स्वतंत्र है कि वो चाहे तो सक्सेना को नवंबर तक डीजीपी के पद पर पदस्थ रखे या उनकी जगह दूसरे सीनियर आईपीएस को डीजीपी बनाए।
मुख्य सचिव के लिए कौन-कौन दावेदार
1. अनुराग जैन: मुख्य सचिव के दावेदारों की बात की जाए तो अनुराग जैन का नाम पहले नंबर पर आता है, लेकिन केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर होने से उनकी पदस्थापना होगी या नहीं यह पीएमओ से तय होगा।
2. दूसरे नंबर पर मोहम्मद सुलेमान का नाम आता है। उन्हें तेजतर्रार और विजनरी अफसर माना जाता है, लेकिन जातिगत समीकरण उनके आड़े आ रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री उनके नाम पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
3. तीसरे पायदान पर आईएएस राजेश राजौरा का। मौजूदा परिस्थितियों में राजौरा हर पैरामीटर पर फिट बैठते हैं। माना जा रहा है कि सरकार राजौरा का नाम प्रबल दावेदार में शामिल है।
4. चौथे नंबर पर नाम चल रहा है आईएएस एसएन मिश्रा हैं। हालांकि उनके साथ परेशानी यह है कि यदि वर्तमान मुख्य सचिव वीरा राणा अपना कार्यकाल पूरा करती हैं तो मिश्रा के पास समय नहीं बचेगा, क्योंकि वे जनवरी 2025 में रिटायर हो रहे हैं।
अब आते हैं पुलिस के सुपर कप्तान के नाम पर...।
डीजीपी के दावेदारों की बात करें तो शैलेष सिंह, अरविंद कुमार, सुधीर कुमार शाही, कैलाश मकवाना, संजय कुमार झा, अजय शर्मा और जीपी सिंह के नाम चल रहे हैं। प्रमुख दावेदारों में अरविंद कुमार, कैलाश मकवाना, अजय शर्मा और जीपी सिंह ही शामिल हैं। दरअसल, इसके पीछे कारण यह है कि अन्य दावेदार कम समय के कारण दावेदारी से पिछड़ रहे हैं। यूपीएससी से तीन नाम का पैनल मंजूर होने के बाद राज्य सरकार इनमें से किसी एक को डीजीपी बना सकती है। हालांकि राज्य सरकार चाहे तो पैनल भेजने से पहले किसी सीनियर आईपीएस को प्रभारी डीजीपी भी बना सकती है।
मुख्य सचिव-डीजीपी को बदलने की चर्चा क्यों?
बड़ा सवाल तो यह है कि जब मुख्य सचिव और डीजीपी का कार्यकाल खत्म होने में अभी समय है तो फिर प्रदेश में बदलाव को लेकर चर्चा क्यों हो रही है? दरअसल, प्रदेश में सरकार तो बीजेपी की दोबारा बनी है, लेकिन मुख्यमंत्री नए बने हैं डॉ.मोहन यादव। वे सुशासन की नई इबारत गढ़ना चाहते हैं। लिहाजा, इसके लिए वे अपनी टीम बनाने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री इसकी शुरुआत मुख्य सचिव और डीजपी के पद से कर सकते हैं, ताकि प्रदेश में संदेश जाए कि मुख्यमंत्री सुशासन को लेकर चिंतित हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था पर ज्यादा फोकस
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे होने के बाद डॉ.मोहन यादव अब प्रदेश की प्रशासिनक व्यवस्था पर फोकस कर रहे हैं। बैठकों के दौर शुरू हो गए। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही प्रदेश में विकास कार्यों पर तेजी से काम हो। साथ ही सरकार के केन्द्र बिन्दू में आम आदमी की बात रहे। इसके लिए सभी विभागों को 100 दिन की प्लानिंग तैयार करने को कहा गया है। इधर, दूसरी ओर कई विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों को बदलने की कवायद भी शुरू हो गई है।
लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू के डीजी बदलेंगे
प्रदेश में मुख्य सचिव और डीजीपी बदलने में कितना समय लगेगा? अभी ये नहीं कहा जा सकता, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खम्म होते ही लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के डीजी बदलने की पूरी तैयारी है। दोनों जांच एजेंसियों के मुखिया बदलने के बाद लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू एसपी बदले जाएंगे। यानी मुख्यमंत्री मोहन यादव जांच एजेंसियों में भी तेजतर्रार अफसरों को पदस्थ करना चाहते हैं।
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