HC की फटकार के बाद सरकार का एक्शन, अनीता चांद और डॉ. शुक्ला को हटाया

मध्‍य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा केस में हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चांद और संचालक डॉ. जितेन शुक्ला को पद से हटा दिया है।

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Neel Tiwari
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MP Nursing College fraud case director and registrar removed from post

एमपी नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन और रजिस्ट्रार को हटाया। Photograph: (BHOPAL)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़ा मामले में जबलपुर हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई की है। हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार ने मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चांद को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके साथ ही 12 दिसंबर को दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार नर्सिंग काउंसिल के संचालक जितेन शुक्ला को भी उनके पद से हटा दिया गया है। यह कदम नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार पर लगे गंभीर आरोपों और काउंसिल की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। सरकार का यह फैसला नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता और पेशेवर मानकों को बनाए रखने का अच्छा प्रयास माना जा रहा है।

अनीता चांद और शुक्ला पर लगे थे गंभीर आरोप

जबलपुर हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और नर्सिंग घोटाले मामले के व्हिसल ब्लोअर विशाल बघेल ने याचिका दायर कर अनीता चांद और डॉ. जितेन शुक्ला पर नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने के मामले में अनियामित्तता के गंभीर आरोप लगाए थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया में सामने आई गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख अपनाया था।

कॉलेजों को मान्यता देने में फर्जीवाड़ा

जांच में यह पाया गया कि प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेज, जो बुनियादी संसाधनों और योग्य स्टाफ के मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें काउंसिल द्वारा मान्यता दे दी गई थी। इसमें फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी का इस्तेमाल कर कॉलेजों को मंजूरी दी गई थी। कोर्ट ने इसे शिक्षा व्यवस्था और समाज के प्रति गंभीर धोखाधड़ी करार दिया था। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी अनियमितताएं न केवल छात्रों के भविष्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि नर्सिंग जैसे संवेदनशील क्षेत्र की साख को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

सरकार ने अनीता चांद और जितेन शुक्ला को हटाया

हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने अनीता चांद को रजिस्ट्रार पद से हटा दिया। सरकार ने इस फैसले को जल्द लागू करने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया कि नर्सिंग काउंसिल में चल रही प्रशासनिक अनियमितताओं पर तुरंत रोक लगाई जा सके। सरकार के द्वारा जहां नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के संचालक डीआर जितेन शुक्ला को हटाकर उनकी जगह इस मनोज कुमार सरियम को पदस्थ किया गया है। अनीता चांद की जगह पर राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी कृष्ण कुमार रावत को नया रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है। वर्तमान में रावत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई अहम सुधार किए हैं, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि उनकी नियुक्ति से नर्सिंग काउंसिल के प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव आएंगे।

रावत संभालेंगे रजिस्ट्रार का पद

राज्य सरकार की यह कार्रवाई नर्सिंग शिक्षा के स्तर को सुधारने के प्रयास में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। अब यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि नर्सिंग काउंसिल की मान्यता प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो और भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताएं न हों। कृष्ण कुमार रावत की नियुक्ति से काउंसिल के कार्यप्रणाली में जवाबदेही और सटीकता आने की संभावना है। रावत का प्रशासनिक अनुभव और उनकी नीतिगत समझ नर्सिंग काउंसिल के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उनकी प्राथमिकता न केवल अनियमितताओं को समाप्त करना होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नर्सिंग शिक्षा में गुणवत्ता और छात्रों के हितों को प्राथमिकता दी जाए।

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नर्सिंग काउंसिल के संचालक भी बदलेंगे

मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के संचालक जितेन शुक्ला को भी पद से हटा दिया गया है । इसका आदेश भी जारी हो चुका हैं। अब मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के संचालक पद का कार्यभार आईएएस मनोज कुमार सरियाम संभालेंगे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई इस कार्रवाई ने सरकार और प्रशासन पर जिम्मेदारी बढ़ा दी है कि वे नर्सिंग शिक्षा में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएं। सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़े अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, नर्सिंग काउंसिल की प्रशासनिक प्रक्रियाओं में स्थायी सुधार लाने के लिए ठोस नीतियां लागू करनी होंगी।

कार्रवाई से सरकार ने दिया कड़ा संदेश

इस फैसले के बाद छात्रों में यह उम्मीद जगी है कि नर्सिंग शिक्षा क्षेत्र में सुधार होगा और इस पेशे की गरिमा को बनाए रखा जाएगा। सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अन्य प्रशासनिक निकायों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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