ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने 87%-13% फार्मूला लागू करने वाले आदेश को किया खारिज

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर आखिरकार हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका (क्रमांक 18105/2021) को आज खारिज कर दिया है।

Advertisment
author-image
Siddhi Tamrakar
एडिट
New Update
mp obc reservation
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर आखिरकार हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका (क्रमांक 18105/2021) को आज खारिज कर दिया है। इस फैसले के साथ ही प्रदेश में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है और समस्त रुकी हुई भर्तियों को फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

अब HOLD किए गए 13% पदों पर नियुक्ति की जाएगी

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया कि, जिस याचिका के आदेश दिनांक 4 अगस्त 2023 के अधीन 87-13 फॉर्मूला निर्धारित किया गया था। उस याचिका को आज उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया गया है। रामेश्वर सिंह ने कहा कि इसके कारण अब उन समस्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो सकती है जिन्हें 13 प्रतिशत के दायरे में लेकर HOLD कर दिया गया था। 

क्या है पूरा  मामला, ऐसे समझिए 

4 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87%-13% का फार्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद प्रदेश की सभी भर्तियां ठप हो गई थीं। सरकार ने यह फार्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया था, जिसके तहत 87% सीटें अनारक्षित और 13% सीटें ओबीसी के लिए रखी गई थीं। इससे 27% ओबीसी आरक्षण की मांग करने वाले उम्मीदवारों में आक्रोश था।

याचिका खारिज होने के बाद क्या बदला?

हाईकोर्ट ने आज अपने फैसले में 4 अगस्त 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में रुकी हुई सभी भर्तियों को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से उन लाखों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, जिनकी भर्तियां कोर्ट के आदेश के चलते होल्ड पर थीं।

याचिकाकर्ताओं की मांग और कोर्ट का फैसला

यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका में 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आरक्षण संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। लेकिन हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया।

भर्तियों में अनहोल्ड का रास्ता साफ

इस फैसले के बाद प्रदेश में रुकी हुई सभी भर्तियों को अनहोल्ड करने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार अब ओबीसी आरक्षण के तहत 27% आरक्षण लागू करते हुए भर्तियों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है। इससे ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ा लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।

फैसले का महत्व

हाईकोर्ट का यह फैसला राज्य में आरक्षण से संबंधित विवाद को समाप्त करने और भर्ती प्रक्रिया को सुचारु रूप से शुरू करने के लिए एक अहम कदम है। इससे सरकार को आरक्षण नीति के तहत काम करने की स्पष्टता मिलेगी और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

अब आगे की राह कैसी

अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस फैसले के बाद रुकी हुई भर्तियों को कितनी तेजी से आगे बढ़ाती है। ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह फैसला एक बड़ी जीत है, लेकिन सरकार के सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती भी होगी कि आरक्षण नीति का सही और प्रभावी क्रियान्वयन हो।
(  इस मामले से जुड़े नए अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।)

देखें कोर्ट का ऑर्डर- 

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

MP News मध्य प्रदेश हाईकोर्ट 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामला मध्य प्रदेश ओबीसी OBC RESERVATION i महिला आरक्षण ओबीसी कोटा 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण 27% ओबीसी रिजर्वेशन latest news मध्य प्रदेश समाचार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण