BHOPAL. प्रदेश में अफसरों द्वारा जनप्रतिनिधियों को तबज्जो न देने के मामले जब-तब सामने आते रहते हैं। बीते सप्ताह ही भोपाल नगर निगम की बैठक में पहुंचे सांसद ने भी कमिश्नर हरेन्द्र नारायण द्वारा फोन न उठाने पर नाराजगी जताई थी। वहीं नरेला क्षेत्र में अग्नि दुर्घटना के दौरान निगम कमिश्नर द्वारा फोन नहीं उठाने पर मंत्री विश्वास सारंग भी तल्खी दिखा चुके हैं। इस बीच भोपाल जिला पंचायत के सदस्यों ने फोन न उठाने और अनदेखी करने वाले अफसरों को सबक सिखाने का तरीका ढूंढा है। जिला पंचायत के ये सदस्य अब बैठक बुलाकर ऐसे अफसरों के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी चेतावनी भी हाल ही में हुई बैठक में अधिकारियों को दे दी गई है।
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डीईओ पर भारी पड़ी थी नाराजगी
अधिकारियों की अनदेखी की पीड़ा प्रदेश के दूरस्थ अंचलों के साथ ही राजधानी भोपाल में भी नजर आ रही है। भोपाल जिला पंचायत के सदस्यों ने ऐसे अफसरों पर निंदा प्रस्ताव के जरिए कसावट करने का निर्णय लिया है। ये सदस्य पहले भी अपनी अनदेखी पर एक अधिकारी को सबक सिखा चुके हैं। जिला पंचायत के सदस्य निंदा प्रस्ताव लाकर जुलाई 2024 में तत्कालीन डीईओ अंजनी कुमार त्रिपाठी को हटवा चुके हैं। इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा जनता द्वारा चुनकर भेजे गए जनप्रतिनिधियों को तवज्जो नहीं देने से नाराजगी बढ़ती जा रही है।
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सीएमएचओ भी नहीं उठाते फोन
जिला पंचायत भोपाल की हाल ही में हुई बैठक में सदस्यों ने अफसरों की मनमानी पर नाराजगी भी जताई थी। उनका कहना था कि जिले के अधिकारी उन्हें जनता का प्रतिनिधि समझते ही नहीं है। कोई भी बात रखने या जानकारी मांगने पर अधिकारियों का रवैया दोयम दर्जे का होता है। जिला पंचायत सदस्यों ने सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी द्वारा फोन नहीं उठाने और क्षेत्र संबंधी शिकायत करने पर अनसुना करने की शिकायत भी बैठक में रखी गई थी। सीएमएचओ गंभीर मामलों में भी सदस्यों की बात को नहीं सुनते हैं। वहीं अधिकारी के इस रवैए की वजह से वे जनता के प्रति अपने दायित्व पूरे नहीं कर पा रहे हैं।
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अनदेखी से प्रभावित योजनाएं
अधिकारियों की अनदेखी से दुखी भोपाल जिला पंचायत के सदस्यों ने बैठक में जिला शिक्षा समन्वयक के व्यवहार पर भी नाराजगी जताई। सदस्यों का आरोप है कि जिला कृषि उपसंचालक तो उनकी बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं और उनके द्वारा पंचायत राज अधिनियम को भी अनदेखा किया जा रहा है। इस वजह से अंचल के किसान सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे। कलेक्टर-कमिश्नर जैसे आला अधिकारी जिला पंचायत सदस्यों की बात सुनते हैं और उनके सुझावों को अमल में लाने के निर्देश भी जारी किए जाते हैं लेकिन वे जमीन पर नहीं उतर पाते। इसलिए अब ऐसे अफसरों के खिलाफ जिला पंचायत की बैठकों में निंदा प्रस्ताव लाने का ही रास्ता बचा है।
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