पटवारी जांच रिपोर्ट देने से मप्र सरकार का साफ इनकार, सूचना के अधिकार में लगे आवेदन पर दिया यह जवाब, क्या छिपा रही सरकार

मप्र सरकार ने पटवारी चयन परीक्षा की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार किया है। इसे सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत गोपनीय बताया गया है।

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Sanjay gupta
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मप्र कर्मचारी चयन मंडल (ESB) द्वारा कराई गई पटवारी चयन परीक्षा की जांच रिपोर्ट 30 जनवरी को मप्र सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को सौंपी गई थी। यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने से मप्र सरकार ने सिरे से इनकार कर दिया है। सूचना के अधिकार में लगातार जानकारी देने में ढीलपोल करने के बाद अब जीएडी ने आवेदक को यह जवाब दिया है। बड़ा सवाल यह है कि सरकार क्या छिपाना चाहती है? रिपोर्ट सार्वजनिक करने में आखिर क्या समस्या है? 

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यह दिया सूचना के अधिकार में जवाब

आवेदक ने सूचना के अधिकार के तहत पटवारी जांच रिपोर्ट मांगी थी। इस पर जीएडी की अवर सचिव व सहायक लोक सूचना अधिकारी सुमन रायकवार ने यह जवाब दिया है।

  • आपके आवेदन में चाही गई जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (घ) व धारा 8(ड़) के अतंर्गत आने से सूचना प्रदाय किया जाना बंधनकारी नहीं है। 
  • यदि आप इस जानकरी, सूचना से अंसतुष्ट हो तो 30 दिन के भीतर प्रथम अपीलीय अधिकारी सचिव व अपीलीय अधिकारी मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग में अपीलीय फीस 50 रुपए देकर अपील कर सकते हैं। 

पटवारी

इन धाराओं का क्यों लिया सहारा

  • सूचना के अधिकार में क्या जानकारी दिए जाने पर बंधन नहीं है, इसका एक्ट की धारा धारा 8 में उल्लेख है।
  • 8(घ)- इस धारा में है कि सूचना जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन होने से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक कि सक्षम प्राधिकरी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोकहित का समर्थन होता है।
  • 8(ड़)-किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना जब तक कि सक्षम प्राधिकारी को यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोकहित का समर्थन होता है। 

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सीएम ने तो बोला था कोई भी रिपोर्ट ले सकता है

मजे की बात यह है कि फरवरी माह में सीएम डॉ. मोहन यादव ने एक मीडिया इंटरव्यू मे कहा था कि पटवारी रिपोर्ट कोई भी ले सकता है, हम घर-घर जाकर तो नहीं किसी को दे सकते है, लेकिन अब जीएडी ने इस रिपोर्ट को सूचना के अधिकार में भी देने से इनकार कर दिया है। 

इसके पहले बाबू ने कहा था रिपोर्ट जल गई

इसके पहले एक अन्य आवेदक ने सूचना के अधिकार में यह सूचना मांगी थी, जब उसे यह सूचना नहीं मिली तो सामने वाले ने इस सैक्शन के बाबू से बात की और इसे रिकार्ड किया। इसमें बाबू ने आवेदक से कहा था कि मंत्रालय में लगी आग में पटवारी रिपोर्ट जल गई है, अभी देना संभव नहीं है, समय लगेगा, आप फिर से एक बार आवेदन दे दो। 

आखिर सरकार क्या छिपाना चाहती है

हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस व जांच कमेटी प्रमुख राजेंद्र वर्मा ने यह रिपोर्ट 30 जनवरी को जीएडी को सौंपी थी। इसमें लिखा था कि पटवारी भर्ती में कोई घोटाला नहीं हुआ है। इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिससे घोटाला कहा जा सके। साथ ही रिपोर्ट में साफ कहा गया कि इस तरह के कोई तथ्य सामने नहीं आए कि किसी सेंटर के टॉप 10 में सात मेरिट होल्डर आने से पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए। 

यह था कमेटी की रिपोर्ट में

  • कमेटी का साफ कहना है कि जो भी टॉपर्स है, उन्होंने अलग-अलग समय दस्तावेज भरे, परीक्षा दी, ऐसे में यह संदेह नहीं किया जा सकता है कि किसी गड़बड़ी से वह टॉपर्स बने।
  • एक ही सेंटर से 114 चयन होने पर भी शंका नहीं की जा सकती, क्योंकि उम्मीदवार लाखों में थे और कई सेंटर से 200-200 भी चयन हुए हैं। 
  • एक ही सेंटर से टॉपर अधिक आने से पूरी परीक्षा पर संशय नहीं कर सकते।
  • जो दिव्यांग है उनके दस्तावेज सही या गलत, यह तो नियुक्ति के समय दस्तावेज सत्यापन से ही पता चलेगा, इसलिए इस पर शक नहीं कर सकते।
  • जिन्होंने हिंदी में हस्ताक्षर किए और मेरिट में आए, उन्हें अंग्रेजी में पूरे अंक नहीं आए हैं, तो केवल हिंदी हस्ताक्षर के कारण चयन पर सवाल नहीं उठता। 

इस तरह चली पटवारी घोटाले की पूरी कहानी

नवंबर 2022 में पटवारी सहित ग्रेड-3 के 9200 पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था। 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुईं। इस परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए।

30 जून को रिजल्ट आया। 8617 पदों के लिए मेरिट लिस्ट जारी हुई। बाकी पदों के रिजल्ट रोके गए, लेकिन इसी दौरान ग्वालियर के एक ही सेंटर एनआरआई कॉलेज से 10 में 7 टॉपर के नाम सामने आने के बाद परीक्षा पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 जुलाई की शाम को परीक्षा की जांच कराने की घोषणा कर दी। 19 जुलाई को जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग को जांच के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया, लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और फिर 15 दिसंबर तक बढ़ गया। इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया।

sanjay gupta

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