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मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस बार यह मामला एक एएसआई (Assistant Sub-Inspector) के गायब होने और एक साल तक बिना ड्यूटी के वेतन लेने का है। इस मामले में एडीजी ने पीएचक्यू के सीहोर एसपी को उसकी जांच के आदेश दिए हैं।
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एक पत्र से हुआ ASI के गायब होने का पता
सीहोर जिले में पदस्थ एएसआई रमेश ददोरिया का नाम इस मामले में सामने आया है। इन्होंने पिछले एक साल से पुलिस विभाग में किसी भी तरह की ड्यूटी नहीं की, फिर भी उन्हें वेतन भेजा जाता रहा। यह मामला तब सामने आया, जब पीएचक्यू (Police Headquarters) से सीहोर एसपी को एक पत्र प्राप्त हुआ। इसमें एएसआई की गायब होने की जानकारी दी गई और उसकी जांच के आदेश दिए गए।
कैसे गायब हुए एएसआई रमेश ददोरिया?
एएसआई रमेश ददोरिया को 14 जून 2024 को पीएचक्यू की शिकायत शाखा में अटैच किया गया था। इसके बाद, 16 जून को उन्होंने अपनी आमद दी। 18 जून को उन्होंने तत्कालीन स्पेशल डीजी अशोक अवस्थी के साथ काम करना शुरू किया।
30 जून 2024 को अशोक अवस्थी के रिटायर होने के बाद से एएसआई ददोरिया का कोई पता नहीं चला। इसके बाद, पुलिस विभाग को पता ही नहीं चला कि वह कहां हैं। न तो उन्होंने कोई ड्यूटी की और न ही उनकी कोई रिपोर्टिंग हुई। इसके बावजूद, विभाग ने उन्हें हर महीने सैलरी भेजी, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
बिना ड्यूटी के ASI ले रहा सैलरी, इस खबर को पांच बुलेट प्वाइंट में समझिए...
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एएसआई रमेश ददोरिया का गायब होना: सीहोर जिले में पदस्थ एएसआई रमेश ददोरिया पिछले एक साल से बिना ड्यूटी किए वेतन ले रहे थे। उनका पता 30 जून 2024 के बाद से नहीं चला।
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पीएचक्यू से पत्र प्राप्त हुआ: पीएचक्यू ने सीहोर एसपी को पत्र भेजकर एएसआई के गायब होने की जानकारी दी और मामले की जांच के आदेश दिए।
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पुलिस विभाग की लापरवाही: एएसआई की अनुपस्थिति की कोई रिपोर्टिंग नहीं की गई, बावजूद इसके विभाग ने उसे हर महीने सैलरी भेजी।
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पिछला मामला: 2023 में मध्य प्रदेश पुलिस में एक आरक्षक का मामला सामने आया था, जिसने 12 साल तक बिना काम किए वेतन लिया था।
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सैलरी भेजने का सवाल: यह सवाल उठता है कि बिना काम किए सैलरी क्यों भेजी गई, क्या यह विभाग की लापरवाही थी या कुछ और कारण थे?
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पुलिस विभाग की लापरवाही
यह मामला पुलिस विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। विभाग ने न तो एएसआई की गायब होने पर ध्यान दिया और न ही उसकी अनुपस्थिति का कोई रिकॉर्ड रखा। यहां तक कि उन्होंने एक साल तक उसकी सैलरी भेजी, जबकि एएसआई न तो ड्यूटी पर था और न ही उसकी कोई रिपोर्टिंग हुई थी। इस मामले में अब पीएचक्यू ने सीहोर एसपी को एएसआई की तलाश करने और उसे जल्द से जल्द विभाग में उपस्थित कराने के आदेश दिए हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस का एक और घोटाला
यह पहला मामला नहीं है, जब मध्य प्रदेश पुलिस विभाग की लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले 2023 में भी एक आरक्षक के मामले में घोटाला सामने आया था। इसने 12 साल तक बिना काम किए वेतन लिया था। उस आरक्षक ने कभी प्रशिक्षण केंद्र जॉइन नहीं किया था और वह अपने घर पर ही रहा। इसके बावजूद, पुलिस विभाग ने उसे हर महीने सैलरी भेजी। जब यह मामला सामने आया, तो उसके खाते में 28 लाख रुपए से ज्यादा की रकम जमा हो चुकी थी। इस घोटाले में जांच की गई और आरक्षक को सस्पेंड कर दिया गया।
जब काम नहीं तो सैलरी क्यों भेजी...
यह सवाल महत्वपूर्ण है कि पुलिस विभाग ने बिना काम किए सैलरी क्यों भेजी। विभाग की ओर से किसी भी कर्मचारी की उपस्थिति की जांच क्यों नहीं की गई? क्या यह विभाग की लापरवाही थी या फिर इसमें कुछ और कारण थे? यह मामले पुलिस विभाग की आंतरिक प्रक्रिया और प्रबंधन के कमजोर पहलुओं को उजागर करते हैं।
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