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MP News: मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2023 में एक नया खुलासा हुआ है। दरअसल इस परीक्षा में 6423 चयनित आरक्षकों में से 561 उम्मीदवार नियुक्ति लेने के लिए नहीं पहुंचे। पुलिस मुख्यालय का मानना है कि कुछ पारिवारिक कारणों या अन्य नौकरी के कारण यह अनुपस्थित हो सकते हैं। कुछ उम्मीदवार आधार हिस्ट्री की जांच के डर से भी नहीं पहुंचे। पीएचक्यू इन 561 उम्मीदवारों की आधार हिस्ट्री की जांच कर रहा है। यदि गड़बड़ी पाई गई, तो एफआईआर की संख्या बढ़ सकती है। प्रदेश की 76 इकाइयों में अब तक 5862 चयनित उम्मीदवार पहुंचे हैं।
जांच में जुटीं तीन एजेंसियां
एमपी सरकार ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए तीन एजेंसियां नियुक्त की हैं। इन एजेंसियों में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कर्मचारी चयन मंडल और मप्र पुलिस शामिल हैं। ये एजेंसियां पांच अहम सवालों की जांच कर रही हैं। सॉल्वर कौन था, उसने उम्मीदवार से कौन जोड़े, आधार हिस्ट्री में बदलाव किसने किया, किसकी लॉगिन आईडी से बदलाव हुआ। आईडी कहां से प्रयोग हुई। इन सवालों के जवाब मिलने पर घोटाले की असली परतें खुल सकेंगी।
अब तक 22 केस दर्ज
पुलिस अब तक 9 जिलों में 22 आपराधिक मामले दर्ज कर चुकी है। पर यह संख्या केवल शुरुआत हो सकती है। जैसे-जैसे आधार डेटा और परीक्षा रिकार्ड की जांच आगे बढ़ेगी, और नाम सामने आ सकते हैं। इस पूरे मामले ने मध्य प्रदेश पुलिस की प्रतिष्ठा और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को झकझोर कर रख दिया है।
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5 साल बाद निकली थी पुलिस भर्ती
यह भर्ती प्रक्रिया पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आयोजित की गई थी। मप्र कर्मचारी चयन मंडल ने 2023 में आरक्षक (जीडी और रेडियो) के रिक्त पदों को भरने के लिए ऑनलाइन लिखित परीक्षा आयोजित की थी। इसमें पूरे राज्य से 6 लाख 52 हजार 57 उम्मीदवारों ने भाग लिया। लिखित परीक्षा में चयनित 55 हजार 220 अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा अक्टूबर से नवंबर 2023 के बीच हुई थी। अंततः 5090 पुरुष और 1333 महिला उम्मीदवारों का चयन किया गया।
आधार घोटाले की आशंका फिर गहराई
पूर्व में आधार अपडेशन प्रक्रिया में गड़बड़ी के मामले सामने आ चुके हैं। अब इन 561 गैरहाजिर उम्मीदवारों की आधार हिस्ट्री की विशेष जांच की जा रही है। यदि हेराफेरी पाई जाती है, तो इनके खिलाफ एफआईआर की संख्या, जो फिलहाल 22 है, बढ़ सकती है। जांच के बाद सामने आए तथ्य इस परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठा सकते हैं।
उम्मीदवारों की उम्मीदों पर संकट
यह मामला केवल प्रशासनिक जांच तक सीमित नहीं है। इससे हजारों युवाओं के भविष्य पर असर पड़ सकता है। परीक्षा देने वाले ईमानदार उम्मीदवारों को चिंता है कि घोटाला उनके अवसरों को प्रभावित न कर दे। भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर राज्य स्तर पर फिर से बहस शुरू हो गई है।
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