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मप्र की पुलिस सिपाही के 7500 पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी हो चुका है। इसके लिए 15 सितंबर से आवेदन भी बुलाए जाने शुरू हो चुके हैं। इसके लिए एमपी कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) ने रूल बुक जारी कर दी है। इसमें आरक्षण, चयन प्रक्रिया, पद से लेकर वेतन तक की स्थिति साफ कर दी है। लेकिन वेतन नियम को जानकर फिर उम्मीदवारों को झटका लग सकता है।
70,80,90 फीसदी वेतन फार्मूले से मुक्ति नहीं
ईएसबी द्वारा जारी रूल बुक के पेज 22 के बिंदु 21 नियुक्ति के प्वाइंट तीन में वेतन को लेकर पूरी स्थिति साफ कर दी गई है। एक बार फिर मप्र शासन ईएसबी से हो रही भर्ती के लिए 70,80,90 फीसदी के फार्मूले को ही लागू कर रही है।
नियम में साफ लिखा है- मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक 3-13/2019/3/एक जो 12 दिसंबर 2019 को जारी हुआ, उसके अनुसार वेतन पहले साल में 70 फीसदी, दूसरे साल में 80 फीसदी, तृतीय साल में 90 फीसदी स्टायपेंड देय होगा।
यानी चौथे साल से ही 100 फीसदी वेतन
इस नियम का मतलब है कि चयनित उम्मीदवार तीन साल तक मप्र शासन में प्रोबेशन पीरियड में रहेगा और इस दौरान उसे पहले साल में तय वेतन का केवल 70 फीसदी देय होगा, फिर अगले साल 80 फीसदी और फिर तीसरे साल में 90 फीसदी वेतन मिलेगा। इसके बाद वह चौथे साल से ही 100 फीसदी वेतन के लिए पात्र रहेगा।
कमलनाथ सरकार के समय नियम
यह नियम कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय आया था। इसके तहत प्रोबेशन अवधि को दो साल की जगह तीन साल किया गया और वेतन फार्मूला भी बदल दिया गया। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी सरकार आई लेकिन इसे नहीं बदला गया।
सीएम रहते चौहान ने किया वादा
शिवराज सिंह चौहान मार्च 2020 में फिर सीएम बने लेकिन इस फार्मूले को नहीं बदला गया। लेकिन इसके बाद 13 अप्रैल 2023 को चुनावी साल के दौरान जब वह कई वादों की झड़ी लगा रहे थे, तब इसे लेकर भी वादा किया गया। उन्होंने कहा कि- यह तरसा-तरसा कर काटकर वेतन देना मुझे ठीक नहीं लगता है, पिछली सरकार ने गलत किया था। इसलिए हम पहले साल 70 फीसदी और फिर दूसरे साल से 100 फीसदी वेतन का प्रावधान लागू करेंगे। लेकिन यह वादा, वादा ही रह गया। सरकार में इसे लेकर नोटशीट जरूर चली लेकिन हुआ कुछ नहीं।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने तत्काल पूरा किया वादा
इसी तरह का प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार के समय में भी थे। बीजेपी ने वहां भी चुनाव के दौरान वादा किया कि वह 70 फीसदी और 100 फीसदी का फार्मूला लागू करेगी और चुनाव में बीजेपी के आते ही यह वादा पूरा कर दिया गया। लेकिन मप्र में ना शिवराज सरकार के समय और ना ही मोहन सरकार के अभी तक के कार्यकाल में इस वादे को पूरा किया गया।
लंबे समय से चल रहा है इसके लिए आंदोलन
लंबे समय से ईएसबी से चयनित उम्मीदवार पूरे 100 फीसदी वेतन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखे गए और कई तरह के आंदोलन चलाए गए। इनका कहना है कि पीएससी और ईएसबी से भर्तियों में ही यह भेदभाव हो रहा है। उम्मीदवार पीएससी से चयनित होता है तो उसे दो साल के प्रोबेशन में ही स्थाई कर दिया जाता है और उन्हें सौ फीसदी वेतन मिलता है, लेकिन ईएसबी में नियम अलग है और पूरा काम करने के बाद भी टुकड़ों-टुकड़ों में वेतन मिलता है और पूरे वेतन के लिए चार साल तक इंतजार करना होता है। हालांकि अभी तक उनकी मांग नहीं मानी गई है।