New Update
Listen to this article
0.75x
1x
1.5x
00:00
/ 00:00
BHOPAL. देश भक्ति जन सेवा के आदर्श वाक्य के साथ अपराध नियंत्रण में जुटी हमारी पुलिस अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में बनी ही रहती है। कभी पुलिसकर्मी इसकी वजह बनते हैं तो कभी अनायास ही कुछ ऐसा हो जाता है। फिलहाल हम जिस मामले की बात कर रहे हैं वह महकमे के शीर्ष अफसरों की अनदेखी से जुड़ा है। मामला 'न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी' वाली कहावत को भी कुछ-कुछ चरितार्थ करता है।
16 हजार से ज्यादा कुख्यात अपराधियों की जानकारी अपडेट
आपके मन में जिज्ञासा बढ़ रही होगी। चलिए हम आपको बताते हैं आखिर ये मामला क्या है। दरअसल हाईटेक होती एमपी पुलिस ने पोर्टल पर मोस्ट वांटेड यानी कुख्यात अपराधियों की जानकारी अपलोड की है। इस सूची में प्रदेश के 11 पुलिस जोन के सभी थानों के अलावा रेलवे, एसटीएफ, सीआईडी से लेकर लोकायुक्त संगठन में दर्ज अपराधों के फरार, इनामी वारंटियों के नाम दर्ज हैं। पोर्टल पर डाली गई इस सूची में प्रदेश के 16 हजार से ज्यादा कुख्यात अपराधियों की हर छोटी-बड़ी जानकारी अपडेट की गई है। यानी उनका नाम, पिता का नाम, पता और थाना क्षेत्र सहित अपराध का ब्यौरा पोर्टल पर है। लेकिन इन अपराधियों के फोटो वाला कॉलम खाली ही छोड़ दिया गया है।
हर सूचना दर्ज फिर फोटो क्यों नहीं
एमपी पुलिस बीते एक दशक में न केवल संसाधन संपन्न हुई है बल्कि तकनीकी के सहारे हाईटेक भी हो रही है। इसका फायदा भी आपराधिक मामलों की पड़ताल से लेकर कुख्यात बदमाशों की धरपकड़ में भी हो रहा है। थानों के साथ ही पुलिस अपराध नियंत्रण के साथ ही लोगों को सुविधा देने टेक्नोफ्रेंडली भी हुई है। इसके लिए मध्यप्रदेश पुलिस अपना पोर्टल mppolice.gov.in भी चला रही है। इसके जरिए लोगों को कुछ महीने पहले ही ऑनलाइन FIR दर्ज कराने की सुविधा भी शुरू की जा चुकी है। वहीं गुमशुदगी से लेकर चोरी, वाहन खो जाने, अज्ञात शव, बरामद किए गए वाहनों की शिकायत भी इस पोर्टल पर की जा सकती है। इसके अलावा लोगों को चरित्र सत्यापन, किराएदारों की सूचना के अलावा अन्य सुविधा भी यहां उपलब्ध हैं। लेकिन यहां भी पुलिस से वैसी ही चूक हो गई है जैसे अकसर कार्रवाई करते समय थानों में हो जाती है।
क्या नाम से होगी वॉन्टेड की पहचान
मध्यप्रदेश में 11 पुलिस जोन हैं। पीएचक्यू इनके माध्यम से रेंज, जिले और थाना स्तर पर पुलिस कार्रवाई को कंट्रोल करता है। प्रदेश के ऐसे अपराधियों की संख्या 16 हजार से ज्यादा है जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। इनमें से ज्यादातर अपराधी या तो शहरों में ही थाना क्षेत्र बदलकर रहते हैं या दूसरे शहरों में पनाह ले लेते हैं। थाना क्षेत्र के बाहर पहचान नहीं होने के कारण अकसर सालों तक इनकी गिरफ्तारी ही नहीं हो पाती। प्रदेश के लंबे समय से फरार अपराधी 1787 हैं वहीं जिनकी गिरफ्तारी पर इनाम घोषित किया गया है ऐसे कुख्यात अपराधियों की संख्या 2798 है। बाकी करीब 12 हजार अपराधी दूसरी श्रेणियों में चिन्हित हैं।
चूक हुई या फोटो अपलोड ही नहीं किए
पुलिस के पोर्टल mppolice.gov.in पर जो जानकारी अपलोड की जाती है वह प्रदेश के थानों में दर्ज रिकॉर्ड के आधार पर होती है। यानी अपराधियों का जो ब्यौरा पोर्टल के इंफॉर्मेशन अबाउट वाले बॉक्स के पांचवे पाइंट मोस्ट वॉन्टेड में फीड किया गया है वह संबंधित थानों से लिया गया है। लेकिन पोर्टल पर अपराधियों की जानकारी के साथ उसका फोटो अपलोड नहीं किया गया। यानी वांछित अपराधी का केवल नाम ही पोर्टल पर है। ऐसे में केवल नाम के आधार पर अपराधी की पहचान कर पाना लगभग नामुमिकन सा काम है। पुलिस अधिकारी यह तो उम्मीद रखते हैं कि आम जनता उनका सहयोग करे। फरार अपराधियों की धरपकड़ के लिए उनकी सूचना पुलिस को दें, लेकिन महकमा ये नहीं समझ पा रहा बिना फोटो किसी की पहचान कैसे होगी। पेंच ये है कि कई थानों में एक ही नाम वाले दो या उससे ज्यादा अपराधी और आमजन होना सामान्य है। तो फिर फरार अपराधियों के फोटो थानों में होने के बाद भी पोर्टल पर अपलोड न करना असमंजस में डालता है। सवाल ये है कि क्या ऐसा पुलिस मुख्यालय के तकनीकी जानकारों की अनदेखी के कारण हुआ है या जानबूझकर अपराधियों के फोटो पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए।
फैक्ट फाइल
मध्यप्रदेश कुल स्थायी उद्घोषित फरार ईनामी
11431 460 1724 2447
पुलिस जोन | फरार | ईनामी |
इंदौर | 197 | 358 |
उज्जैन | 132 | 184 |
होशंगाबाद | 30 | 02 |
भोपाल | 416 | 523 |
सागर | 306 | 335 |
जबलपुर | 66 | 294 |
शहडोल | 69 | 21 |
बालाघाट | 99 | 37 |
चंबल | 99 | 82 |
ग्वालियर | 217 | 311 |
रीवा | 87 | 55 |
रेलवे पुलिस | 69 | 596 |
पुलिस रेंज | फरार | ईनामी |
इंदौर | 95 | 117 |
खरगोन | 102 | 181 |
शहडोल | 69 | 21 |
होशंगाबाद | 30 | 02 |
बालाघाट | 99 | 37 |
चंबल | 99 | 82 |
भोपाल | 416 | 523 |
सागर | 163 | 71 |
छतरपुर | 143 | 264 |
जबलपुर | 25 | 06 |
छिंदवाड़ा | 41 | 288 |
रतलाम | 67 | 94 |
उज्जैन | 65 | 90 |
रेल | 69 | 596 |
ग्वालियर | 217 | 311 |
रीवा | 87 | 55 |