हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हुआ 13 साल की रेप पीड़िता का गर्भपात , केंद्रीय मंत्री को आना पड़ा बीच में

मध्य प्रदेश में 13 साल की दुष्कर्म पीड़िता को हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी समय पर गर्भपात नहीं मिला। इससे प्रदेश के सरकारी सिस्टम की संवेदनहीनता और उदासीनता हाई कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना कर साबित हो गई है।

author-image
Sourabh Bhatnagar
New Update
mp-rape-victim-abortion-delay-high-court-order-violation
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार जिले (Dhar District) में 13 साल की नाबालिग लड़की के साथ हुई दर्दनाक घटना ने सरकारी सिस्टम की कमजोरी को स्पष्ट कर दिया है। उच्च न्यायालय (High Court) ने गर्भपात (Abortion) का आदेश मंगलवार सुबह 11 बजे तक देने के बावजूद, पीड़िता को समय पर उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई। 

हाई कोर्ट ने दिया था स्पष्ट आदेश, पर सिस्टम रहा नाकाम

13 वर्षीय पीड़िता का मामला न्यायालय के सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि मंगलवार सुबह 11 बजे तक उसका गर्भपात कराया जाए। पीड़िता का परिवार कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर जिला अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां न तो डॉक्टर मौजूद थे और न ही पुलिस की कोई सहायता। अधिकारियों की उदासीनता ने पीड़िता और उसके परिवार को तंग किया।

इसी दौरान जब केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर (Savitribai Thakur) अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचीं, तो पीड़िता के पिता हाथ जोड़कर उनके सामने खड़े हो गए।

पीड़िता के पिता ने केंद्रीय मंत्री से मदद मांगते हुए कहा, “हमने क्या गलती की? बस, हमारी बच्ची के लिए मदद चाहिए।” यह बयान सिस्टम की उदासीनता को बयां करता है।

इसके बाद व्यवस्था में सुधार हुआ और करीब 4 बजे पीड़िता को इंदौर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। हालांकि रात 9 बजे तक गर्भपात की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई।

दुष्कर्म, भटकाव और सिस्टम की बेरुखी

धार के एक छोटे से गांव की यह नाबालिग तीन महीने पहले कुछ बदमाशों द्वारा अगवा कर अहमदाबाद ले जाई गई। वहां दरिंदों ने उसका दुष्कर्म किया। जब वह वापस लौटी, तो उसका मासूम बचपन पूरी तरह छिन चुका था।

परिवार ने तिरला थाने (Tirla Police Station) जाकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उन्हें एक थाने से दूसरे थाने के चक्कर लगवाए गए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। परिवार ने कोर्ट का सहारा लिया, जहां पता चला कि लड़की गर्भवती है।

खबर यह भी...NGT और हाई कोर्ट के नोटिस के बाद भी भोपाल में नहीं तोड़े गए 1100 से अधिक अवैध निर्माण

गंभीर बीमारी के साथ जुझ रही है पीड़िता

डॉक्टर एमके बर्मन के अनुसार, पीड़िता सिकल सेल (Sickle Cell Disease) की गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। गर्भपात के दौरान जटिलताओं की आशंका के कारण उसे इंदौर रेफर किया गया। मेडिकल कॉलेज में भी चिकित्सा प्रक्रिया देर से शुरू हुई, जिससे परिवार की चिंता और बढ़ गई।

हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना पर सवाल

यह मामला मध्य प्रदेश सरकार के सिस्टम की गंभीर असफलता को उजागर करता है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया, लेकिन अस्पताल प्रशासन और पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण पीड़िता को वह सहायता नहीं मिल पाई जिसकी उसे तत्काल आवश्यकता थी।

FAQ

1. दुष्कर्म पीड़िता के लिए गर्भपात की अनुमति कैसे मिलती है?
दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात के लिए हाई कोर्ट या अन्य संबंधित न्यायालय से अनुमति लेनी होती है। यह विशेष रूप से नाबालिगों के मामले में आवश्यक होता है। कोर्ट पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और स्थिति के आधार पर आदेश जारी करता है।
2. हाई कोर्ट का गर्भपात आदेश कब तक लागू होता है?
हाई कोर्ट का आदेश प्रायः तत्काल प्रभाव से लागू होता है। आदेश में स्पष्ट समय सीमा दी जाती है, जैसे इस मामले में सुबह 11 बजे तक गर्भपात कराने का निर्देश था। प्रशासन को आदेश का पालन सुनिश्चित करना होता है।

thesootr links

गर्भपात के लिए याचिका | गर्भपात पर बहस | हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति | Rape Victim | MP High Court | Mp high court decision | MP News

मध्य प्रदेश MP News Mp high court decision MP High Court Rape Victim हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति गर्भपात पर बहस गर्भपात के लिए याचिका गर्भपात मध्य प्रदेश सरकार