मध्य प्रदेश की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (Real Estate Regulatory Authority - RERA) के चेयरमैन और पूर्व आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव (AP Srivastava) इन दिनों विवादों के घेरे में हैं। उनके खिलाफ शासन के पास कई शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें नियमों का उल्लंघन करने, प्रोजेक्ट्स में देरी करने और जिस प्रोजेक्ट (आकृति गार्डन - Aakriti Garden) में उन्होंने खुद डुप्लेक्स लिया, उसके प्रमोटर्स के 12 प्रोजेक्ट्स को रद्द करने का आरोप भी शामिल है। इन शिकायतों पर शासन स्तर पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
आकृति गार्डन प्रोजेक्ट (Aakriti Garden Project) के मामले में खुद प्रमोटर्स ने यह आरोप लगाया है कि रेरा चेयरमैन ने उन्हें परेशान करने की नीयत से प्रोजेक्ट रद्द किए हैं। इसके कारण फर्म को बैंकों से मिलने वाला 80 से 100 करोड़ का लोन अटक गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी वैधानिक संस्था के प्रमुख अगर किसी मामले में खुद शामिल होते हैं, तो वे उस मामले की सुनवाई से बचते हैं। इसी तरह का उदाहरण पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह (BP Singh) के मामले में भी देखने को मिला था, जब उन्होंने गैमन प्रोजेक्ट (Gammon Project) में सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, क्योंकि उनका फ्लैट भी उसी प्रोजेक्ट में था।
रेरा पर बड़े आरोप
क्रेडाई (CREDAI) के विपिन गोयल (Vipin Goyal)
शासकीय अधिकारियों से मिली मंजूरी को बार-बार जांचा जा रहा है और कमियां निकालकर प्रोजेक्ट्स को अटकाया जा रहा है, जो काम 30 दिनों में होना चाहिए, उसमें 6 से 8 महीने का समय लिया जा रहा है। रेरा एक्ट (RERA Act) लागू होने के बाद 21 राज्यों के 217 शहरों में 13,000 बिल्डर-डेवलपर्स काम कर रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में समस्याओं को और बढ़ाया जा रहा है। शासन से बिना अनुमोदन के गलत सीए सर्टिफिकेट (CA Certificate) लागू कर दिया गया है।
एजी-8 के प्रमोटर्स हेमंत कुमार सोनी (Hemant Kumar Soni)
पलाश गृह निर्माण सहकारी संस्था लिमिटेड (Palash Grih Nirman Sahakari Sanstha Limited) की जमीन पर एपी श्रीवास्तव ने 12 अप्रैल 2003 को आकृति डेवलेपिंग प्राइवेट लिमिटेड (Aakriti Developing Pvt. Ltd.) के साथ एक एग्रीमेंट किया था। काम में देरी होने पर फर्म के आकृति एक्वासिटी (Aakriti Aquacity), आकृति गार्डन समेत 12 प्रोजेक्ट्स की सुनवाई की और परेशान करने की नीयत से सभी को रद्द कर दिया।
प्रभाष जेटली (Prabhash Jaitly)
रेरा में सीधे भर्ती की गई है, जिसमें कुछ पदों पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग नियुक्त किए गए हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी स्तर पर की गई भर्तियों में शासन की मंजूरी नहीं ली गई।
जीपी गुप्ता (GP Gupta)
विधि-विरुद्ध प्रोजेक्ट्स की समय सीमा तय की गई है, और खरीदारों और प्रमोटर्स के बीच तय मूल्यों की किस्तों को सीमित किया जा रहा है।
मामले की जांच हो सकती है हाई कोर्ट (High Court) से
रेरा अधिनियम (RERA Act) के अनुसार, चेयरमैन के खिलाफ जांच केवल मुख्य न्यायाधीश स्तर पर ही हो सकती है। इन शिकायतों को जल्द ही हाई कोर्ट भेजा जा सकता है। एपी श्रीवास्तव ने 1 अप्रैल 2021 को रेरा चेयरमैन का पदभार ग्रहण किया था। नियमानुसार, चेयरमैन की नियुक्ति 5 साल या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक की जाती है। इसका मतलब है कि श्रीवास्तव के पास अभी भी करीब 2 साल का कार्यकाल बचा है। भास्कर ने रेरा चेयरमैन से इस पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया और न ही मैसेज का जवाब दिया।
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