रविकांत दीक्षित@ भोपाल.
मध्य प्रदेश में खेत छोटे हो रहे हैं। चौंक गए न आप...यह सच है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान खेतों का बंटवारा कर रहे हैं। इसमें सबसे अहम किसान सम्मान निधि है। इस योजना में मध्यप्रदेश में किसानों को सालाना 12 हजार रुपए मिलते हैं।
कृषि जनगणना की ताजा रिपोर्ट कहती है कि मध्यप्रदेश में बीते 10 वर्ष में किसानों के खेत छोटे हो गए हैं। खेती के उनके व्यक्तिगत रकबे में 10.47 प्रतिशत की गिरावट आई है।
चलिए आपको समझाते हैं कि खेत कैसे छोटे हो रहे
मान लीजिए एक्स के पास 10 बीघा जमीन है। उसके चार बेटे हैं। अभी पूरी जमीन एक्स के नाम है। अब ऐसे में तो सिर्फ एक्स को ही किसान सम्मान निधि का लाभ मिलेगा, लेकिन यदि एक्स अपनी जमीन के पांच हिस्से कर दे। यानी वह एक हिस्सा (2 बीघा) अपने पास रखे और बाकी 8 बीघा अपने चार बेटों के नाम पर कर दे तो परिवार में किसान सम्मान निधि पाने वाले हितग्राहियों की संख्या एक से बढ़कर पांच हो जाएगी। इस तरह एक घर में पहले जहां 12 हजार रुपए सालाना आ रहे थे, वहीं अब पांच लोगों को किसान सम्मान निधि में 60 हजार रुपए की राशि मिल रही है। कुल मिलाकर यही पूरा गणित है।
2015 के बाद आई ज्यादा गिरावट
दूसरी खास बात यह है कि किसानों के व्यक्तिगत रकबे में ज्यादातर गिरावट वर्ष 2015-16 के बाद आई है। किसानों को सम्मान निधि भी इसके बाद ही मिलना शुरू हुई है। वर्ष् 2010-11 की तुलना में 2015-16 में खेती के रकबे में गिरावट 0.11 प्रतिशत थी। 2021-22 आते-आते 10.54 फीसदी गिरावट आ गई। आंकड़े बताते हैं कि किसानों ने योजना का फायदा उठाने के लिए खेतों का बंटवारा किया है। इसकी गवाही एक दूसरा आंकड़ा भी देता है। क्या है कि 2010-11 में खसरे 8.29 लाख थे। वे 10 वर्ष में बढ़कर अब 10.47 लाख से ज्यादा हो गए हैं।
किसान सम्मान निधि पाने वाले 80 लाख किसान
मध्य प्रदेश में 80 लाख से अधिक किसानों को सालाना 12 हजार रुपए की आर्थिक सहायता मिल रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में सीधे किसानों के अकाउंट में किस्त जमा हो रही है। वहीं, करीब 25 लाख किसानों को फसल बीमा की राशि मिलती है।
व्यक्तिगत रकबे में 10.54 फीसदी की गिरावट
चलिए अब कृषि जनगणना रिपोर्ट पर लौटते हैं। दरअसल, कृषि मंत्रालय ने अनंतिम रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, वर्ष 2010-11 में प्रदेश के किसानों के पास कृषि जोत का औसत आकार 1.78 हैक्टेयर था। वह अब घटकर 1.30 हैक्टेयर रह गया है। व्यक्तिगत किसानों के खेती के रकबे में 10.54 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
आदिवासियों की जमीन में कमी आई
बीते एक दशक में आदिवासियों की खेती का रकबा भी कम हुआ है। वर्ष 2010-11 की तुलना में 2021-22 में आदिवासियों की खेती का क्षेत्रफल 2.86 फीसदी घट गया है। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग के खेती के रकबे में भी 7.06 प्रतिशत की कमी आई है।
कुल रकबे में हुए बढ़ोतरी
हालांकि अच्छी खबर यह भी है कि प्रदेश के खेती के रकबे में वर्ष 2010-11 की तुलना में 6.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी खेती की जमीन बढ़ी है। वर्ष 2015-16 के बाद से खेती का कुल रकबा 1.69 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो 2010-11 में 1.58 करोड़ हैक्टेयर था।
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