देश की दूसरी 'फ्रूट वेजिटेबल लैब' खुलेगी एमपी में, कीटनाशक स्तर की होगी जांच

मध्य प्रदेश में देश की दूसरी 'फ्रूट वेजिटेबल लैब' खुलेगी, जहां फल और सब्जियों में कीटनाशक के स्तर की जांच होगी। यह लैब किसानों को कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचाने में मदद करेगी।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश अब देश के दूसरे राज्य के रूप में अपनी 'फ्रूट वेजिटेबल लैब' स्थापित करने जा रहा है, जो कीटनाशकों के अवशेषों की जांच करेगा। यह लैब ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत खंडवा कृषि विश्वविद्यालय में बनाई जाएगी। इस लैब का उद्देश्य फल और सब्जियों में कीटनाशकों के उपयोग के स्तर की जांच करना और भविष्य में इसके प्रभावों को समझना है।

लैब बनाने का यह है उद्देश्य

देश में फल-सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ने लगा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां इस बढ़ते कीटनाशक उपयोग का नतीजा हो सकती हैं। ऐसे में, इस नई लैब के माध्यम से कीटनाशक अवशेषों का आंकलन किया जाएगा, ताकि इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सके और किसानों को सुरक्षित खेती की दिशा में मार्गदर्शन मिल सके।

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3 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी लैब

यह अत्याधुनिक लैब लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी और इसका मुख्य उद्देश्य कीटनाशक अवशेषों का परीक्षण करना होगा। फिलहाल, देश में सिर्फ गुजरात के आनंद कृषि विश्वविद्यालय में ही इस प्रकार की लैब है। मध्य प्रदेश में बनने वाली यह लैब किसानों, वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगी।

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लैब में पहले चरण में 2 एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की नियुक्ति की गई है, और भविष्य में अन्य वैज्ञानिकों की नियुक्ति की जाएगी। इस लैब में खास तौर पर क्लोरीनेटेड हाइड्रोकार्बन और ऑर्गेनिक फास्फेट जैसे कीटनाशकों के अवशेषों की जांच की जाएगी, जिनका किडनी और लीवर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

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छात्रों के लिए अवसर

यह लैब छात्रों के लिए भी एक बेहतरीन रिसर्च और अध्ययन का अवसर प्रदान करेगी। यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्र यहां कीटनाशक अवशेषों पर रिसर्च कर सकते हैं और इसके प्रभावों को समझने की दिशा में काम कर सकते हैं। इस लैब के माध्यम से छात्रों को कीटनाशकों की जांच के नए तरीके सीखने को मिलेंगे, जो उन्हें भविष्य में कृषि विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा।

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