मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लोकायुक्त की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। आए दिन अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार हो रहे हैं। लोकायुक्त के कड़े एक्शन के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी सबक नहीं ले रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में रिश्वत मांगने का खेल जोरों से चल है। अब सिवनी के आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। लोकायुक्त पुलिस ने आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों को गिरफ्तार किया है।
साढ़े तीन लाख की रिश्वत लेते एडीईओ गिरफ्तार
जबलपुर लोकायुक्त ने मंगलवार को सिवनी में बड़ी कार्रवाई की है। लोकायुक्त पुलिस ने सिवनी जिला सहायक आबकारी अधिकारी (एडीईओ) पवन कुमार झारिया को 3 लाख 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। एडीईओ ने आबकारी सहायक आयुक्त (डीईओ) के इशारे पर रिश्वत ली थी। लोकायुक्त की कार्रवाई के आबकारी विभाग में हड़कंप मच गया। यह बड़ी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक दिलीप झरवड़े की अगुवाई में जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने की।
शराब दुकान संचालक से मांगी थी रिश्वत
लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक यह कार्रवाई सिवनी के शराब ठेका संचालक राकेश कुमार साहू की शिकायत पर की गई। राकेश कुमार की जिले में नौ शराब दुकान है। राकेश कुमार का आरोप है कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त शैलेश कुमार जैन उनसे शराब दुकानों को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रतिमाह 5 लाख रुपए की अवैध राशि की मांग कर रहे थे। दुकान संचालक राकेश कुमार की शिकायत के बाद लोकायुक्त ने सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान सहायक आयुक्त जैन ने साढ़े तीन लाख रुपए सहायक आबकारी अधिकारी पवन कुमार झारिया को देने के लिए कहा।
लोकायुक्त का ट्रैप ऑपरेशन
शिकायत की पुष्टि होने के बाद मंगलवार 12 नवंबर को विदेशी मद्य भंडार सिवनी में लोकायुक्त की टीम ने जाल बिछाया। इसके बाद एडीईओ पवन कुमार झारिया डीईओ के इशारे पर रिश्वत लेने पहुंचे, जैसे ही एडीईओ ने रिश्वत की रुपए किए तो लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। टीम में पुलिस अधीक्षक दिलीप झरवड़े के अलावा इंस्पेक्टर मंजू किरण तिर्की, इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके, इंस्पेक्टर नरेश बेहरा और पाँच अन्य सदस्य शामिल थे।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई
लोकायुक्त ने पवन कुमार झारिया और शैलेश कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दोनों आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई जारी है, इस मामले में आगे की जांच की जा रही है।
आबकारी विभाग की खुली पोल
लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने आबकारी विभाग की पोल भी खोल कर रख दी है। यह चर्चाएं भी जोर पकड़ रही हैं कि यह मामला तो सामने आ गया नहीं तो आबकारी विभाग का हर दुकान से इसी तरह हफ्ता या महीना बंधा हुआ है। जो शासन से ठेका मिलने के बाद भी दुकान संचालकों को आबकारी अधिकारियों तक पहुंचाना होता है और इसके बाद ही दुकान संचालकों को भी एमआरपी के ऊपर शराब बेचकर ग्राहक को लूटने की छूट मिलती है।
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