BHOPAL. सिंगरौली में 740 करोड़ रुपए का मुआवजा घोटाला का मामला सामने आया है। यहां कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री, राज्यसभा सदस्य, मेयर और पूर्व विधायकों ने बड़ी परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण का फायदा उठाने के लिए करोड़ों की जमीन खरीदी। ये जमीन अधिग्रहण से पहले खरीदी गई। ये लोग यहां कभी भी नहीं रहे। इसके बावजूद भी अफसरों ने इन्हें करोड़ों का मुआवजा पास कर दिया। ( MP compensation scam )
अधिग्रहण से पहले खरीदी सस्ती जमी
बात में जब मामला सामने आया तो खुलासा हुआ कि सिंगरौली में परियोजनाओं के आसपास जमीनें बेचने का पूरा रैकेट काम कर रहा है। यहां की 5 परियोजनाओं में करीब 740 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। यह रैकेट बड़े मुआवजे का लालच देकर जमीनों का सौदा कर रहा है।
सालों से रह रहे लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं
कहा जा रहा है कि पूर्व मंत्री, राज्यसभा सदस्य, मेयर और पूर्व विधायकों को यहां रहे बिना भी करोड़ों का मुआवजा मिल रहा है, लेकिन जो लोग इधर सालों से रह रहे हैं, उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। कई ऐसे लोग है, जो अभी भी चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनके मुआवजे का कुछ अता-पता ही नहीं है।
कमलेश्वर के भाई ने 32 लाख में खरीदी, इतना मिला मुआवजा
जानकारी के अनुसार 6 जून 2021 को धिरौली कोल माइंस में भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। स्थानीय किसान सुरेश शाह और अन्य से कमलेश्वर पटेल ( Kamleshwar Patel ) के भाई अजीत सिंह के नाम 13 फरवरी 2022 को 1 एकड़ जमीन 32 लाख रुपए में खरीदी। दो दिन बाद ही कलेक्टर ने धारा 11 का प्रकाशन किया। इसके बाद अजीत सिंह को 3 करोड़ रुपए का मुआवजा पारित हुआ। इसी कोल माइन में पटेल की पत्नी प्रीति पटेल, बेटा ईशान पटेल, बेटी ईशा पटेल और भाई अजीत सिंह की ग्राम आमडांड, बासी बैरदह और अमरईखोह की जमीन करीबियों के नाम करवाकर तीन करोड़ का मुआवजा स्वीकृत कराया।
अजय प्रताप सिंह के परिजनों के नाम इतने करोड़ का मुआवजा
राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ( MP Ajay Pratap ) के बेटे लवलेश रतन, कुलशेख रतन सिंह, भाई, भतीजे और भजीती संध्या सिंह के अलावा पीए दधीचि सिंह, दधीचि की पत्नी सुषमा व करीबियों ने सिंगरौली रेल, बधा, अमीलिया, सुरिलिया और धिरौली कोल माइंस परियोजनाओं में करीब 20 करोड़ का मुआवजा लिया। इन्होंने परियोजना शुरू होने के बाद खेतिहर जमीन खरीदी और उस पर थोड़ा-बहुत निर्माण कराकर मुआवजा लिया।
सिंगरौली मुआवजा घोटाला क्या है?
सिंगरौली में, कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों, मेयरों और पूर्व विधायकों ने बड़ी परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण का फायदा उठाया। उन्होंने अधिग्रहण से पहले करोड़ों की जमीन खरीदी, कभी भी वहां नहीं रहे, और फिर भी अधिकारियों से करोड़ों रुपए का मुआवजा प्राप्त किया। यह अनुमान लगाया गया है कि इस घोटाले में 740 करोड़ रुपए से अधिक की राशि शामिल है।
सिंगरौली मुआवजा घोटाला कैसे हुआ ?
यह घोटाला एक रैकेट के माध्यम से किया गया था, जिसने परियोजनाओं के आसपास जमीन बेचने और बड़े मुआवजे का लालच देकर लोगों को सौदा करने के लिए काम किया। पूर्व मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों, मेयरों और पूर्व विधायकों ने इस रैकेट का इस्तेमाल अपनी जमीन के लिए अनुचित रूप से उच्च मुआवजा प्राप्त करने के लिए किया, जबकि वास्तविक निवासियों को अभी भी मुआवजा नहीं मिला है।
सिंगरौली मुआवजा घोटाला का क्या प्रभाव पड़ा है?
इस घोटाले का प्रभाव विनाशकारी रहा है। इसने न केवल राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है, बल्कि इसने उन लोगों के साथ विश्वासघात भी किया है जो वास्तव में मुआवजे के हकदार थे। इसने यह भी दिखाया है कि कैसे कुछ शक्तिशाली और प्रभावशाली लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं और कानून से ऊपर उठ सकते हैं।
सिंगरौली मुआवजा घोटाला में कौन शामिल है?
कई नाम सामने आए हैं, जिनमें पूर्व मंत्री राजा पटेल, पूर्व विधायक शिवप्रसाद सिंह, पूर्व मेयर प्रणय Pratap Singh, और राज्यसभा सांसद Ajay Pratap Singh शामिल हैं। इनके अलावा, कई अन्य अधिकारी और रैकेट के सदस्य भी शामिल हैं।
सिंगरौली मुआवजा घोटाला की जांच कौन कर रहा है?
इस घोटाले की जांच CBI द्वारा की जा रही है। CBI ने इस मामले में कई FIR दर्ज की हैं और कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
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