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Photograph: (thesootr)
भारत में सुरक्षा बलों में महिला सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी क्रम में अब CISF ने मध्यप्रदेश के बड़वाह में अपनी पहली महिला कमांडो यूनिट की शुरुआत की है। इस ऐतिहासिक कदम से न केवल सुरक्षा बलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह महिलाओं के सामर्थ्य और शक्ति को भी उजागर करेगा। इस प्रशिक्षण केंद्र में 28 महिला कमांडो का पहला बैच अपनी विशेष ट्रेनिंग के लिए बड़वाह स्थित CISF के RTC में मौजूद है।
CISF में महिलाओं की ट्रेनिंग: एक नई शुरुआत
विशेष महिला कमांडो यूनिट
CISF ने हाल ही में महिला कमांडो यूनिट की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य महिला सुरक्षा बलों को समान अवसर और प्रशिक्षण प्रदान करना है। बड़वाह स्थित इस ट्रेनिंग सेंटर में पहली बार महिला जवानों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यहां पर ये महिला कमांडो एयरपोर्ट्स और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगी।
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शारीरिक और मानसिक परीक्षण
महिला कमांडो की ट्रेनिंग विशेष रूप से कठिन होती है। इसमें शारीरिक फिटनेस, हथियार चलाने की तकनीक, और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य कौशल सिखाए जाते हैं। खास बात यह है कि इन जवानों को यह भी सिखाया जाता है कि अगर उनके पास हथियार न हो तो वे किस तरह दुश्मन से मुकाबला कर सकती हैं।
ट्रेनिंग का दिनचर्या
यहां पर ट्रेनिंग दिन की शुरुआत सुबह चार बजे से होती है। पूरी ट्रेनिंग का शेड्यूल बहुत ही सख्त होता है और इसमें कैडेट्स को शारीरिक फिटनेस, लाइव फायर अभ्यास, और जंगल में सर्वाइवल जैसे कठिन कार्यों को पूरा करना होता है। इसके अलावा, 48 घंटे की कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग एक्सरसाइज भी करवाई जाती है, जो महिला जवानों की मानसिक दृढ़ता और टीमवर्क की परीक्षा लेती है।
CISF महिला कमांडो ट्रेनिंग
CISF के वरिष्ठ कमांडेंट एसके सारस्वत के अनुसार, महिला कमांडो को 8 हफ्ते की ट्रेनिंग में तीन सत्रों में प्रशिक्षित किया जाता है। पहले सत्र में शारीरिक फिटनेस, दूसरे में हथियार संचालन और तीसरे में टीम वर्क और निर्णय लेने की क्षमता पर ध्यान दिया जाता है। इस दौरान महिला जवानों को सख्त परिस्थितियों में कार्य करने के लिए तैयार किया जाता है।
ट्रेनिंग के दौरान क्या सिखाया जा रहा है?
महिला जवानों को कठिन रोप ड्रिल, स्ट्रेंथ एक्सरसाइज, और विभिन्न सैन्य कौशल सिखाए जाते हैं। इसके साथ-साथ उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे बिना हथियार के दुश्मन से कैसे लड़ सकती हैं। यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें यह यकीन दिलाता है कि वे किसी भी परिस्थिति में खुद को साबित कर सकती हैं।
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विशेष महिला कमांडो यूनिट की स्थापना का उद्देश्य
CISF का मुख्य उद्देश्य महिला सैनिकों को समान अवसर देना और उनकी कार्यक्षमता को उजागर करना है। इसके साथ ही यह सुरक्षा बलों में लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सीआईएसएफ के बारे में जानकारीCISF की स्थापना: सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) की स्थापना 10 मार्च, 1969 को की गई थी। यह भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और इसकी मुख्य जिम्मेदारी सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। मुख्य उद्देश्य: सीआईएसएफ का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों, जैसे हवाई अड्डे, बंदरगाह, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और मेट्रो रेल की सुरक्षा करना है। इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ ने एक मजबूत और प्रशिक्षित बल तैयार किया है। आदर्श वाक्य: सीआईएसएफ का आदर्श वाक्य है "संरक्षण और सुरक्षा" (Protection and Security), जो इसके कार्य का मूल उद्देश्य है। यह वाक्य संगठन की सुरक्षा और संरक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यक्षेत्र: सीआईएसएफ न केवल सरकारी क्षेत्र में, बल्कि निजी उद्योगों में भी सुरक्षा सेवाएं प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, सीआईएसएफ के पास एक विशेष अग्निशमन (फायर) विंग भी है, जो आपातकालीन स्थिति में आग बुझाने के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। इस विभाग के माध्यम से सीआईएसएफ उन्नत सुरक्षा परामर्श सेवाएं भी प्रदान करता है, जो उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। |
महिला जवानों की भर्ती प्रक्रिया
CISF में महिला जवानों की भर्ती प्रक्रिया भी काफी पारदर्शी और सख्त होती है। इसमें शारीरिक परीक्षण, लिखित परीक्षा और शारीरिक मानक परीक्षण जैसे कई चरण होते हैं। भर्ती प्रक्रिया में महिलाएं ऊंचाई और वजन के मानकों को पूरा करके इस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकती हैं।
महिला जवानों की सैलरी
CISF में महिला और पुरुष कमांडो की सैलरी में कोई अंतर नहीं होता। दोनों को एक समान वेतन और भत्ते मिलते हैं, जो उनकी कार्यक्षमता और पद के अनुसार निर्धारित होते हैं।