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राजस्थान में पिछले पांच माह में डॉग बाइट के दो लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले श्रीगंगानगर से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां 16,017 मामलों की पुष्टि हुई। वहीं जयपुर में 13,206 डॉग बाइट केस सामने आए।
इस गंभीर समस्या ने राज्य में स्वास्थ्य और सुरक्षा की चिंता को बढ़ा दिया है, खासकर तब जब इन घटनाओं से रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी फैलने का खतरा होता है। डॉग बाइट को लेकर सुप्रीम कोर्ट व राजस्थान हाईकोर्ट चिंता जता चुके हैं और इस समस्या का समाधान करने के निर्देश दे चुके हैं। इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे। राजस्थान में डॉग बाइट और निराश्रित पशुओं से सड़क हादसे भी हो रहे हैं।
डॉग बाइट के मामलों में बढ़ोतरी
देशभर में 2024 में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 5.19 लाख से अधिक पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि डॉग बाइट के मामलों में अधिकतर बच्चों की उम्र होती है, जो आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। डॉग बाइट्स से रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा रहता है, जो मौत का कारण बन सकती है।
राजस्थान के प्रमुख शहरों में डॉग बाइट के मामलों की स्थिति
पिछले पांच माह में डॉग बाइट के मामलों की संख्या निम्नलिखित पांच जिलों में सबसे ज्यादा रही है:
जिला | डॉग बाइट के मामले (पिछले 5 माह) |
---|---|
गंगानगर | 16,017 |
अलवर | 15,409 |
डीग | 13,447 |
बीकानेर | 13,285 |
जयपुर | 13,206 |
इन आंकड़ों से साफ होता है कि राज्य में डॉग बाइट की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है, जो चिंताजनक है।
रेबीज और इसके प्रभाव
रेबीज (Hydrophobia) एक घातक बीमारी है, जो संक्रमित जानवरों, खासकर कुत्तों के काटने से फैलती है। डॉक्टरों के अनुसार, यह बीमारी एक वायरल जूनोटिक इंफेक्शन है, जिसे 'लासा वायरस टाइप-वन' के जरिए फैलाया जाता है। रेबीज के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और श्वसन तंत्र में समस्या आना शामिल है। यदि इसका इलाज समय पर नहीं किया जाए, तो यह बीमारी घातक हो सकती है।
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रेबीज के कारण
रेबीज के प्रमुख कारणों में कुत्ते का काटना, किसी संक्रमित जानवर के काटने या खुले घाव को चाटना शामिल है। एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और अगर इलाज नहीं किया जाता है तो यह मृत्यु का कारण बन सकता है।
क्या है जिम्मेदारी और सरकार की योजनाएं
स्वायत शासन विभाग आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और वैक्सीनेशन करवाए। साथ ही पालतू जानवरों का पंजीकरण और उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के ऊपर है। चिकित्सा विभाग को अस्पतालों में रेबीज का टीका और इलाज की सुविधा देने का निर्देश दिया गया है।
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2030 तक रेबीज मुक्त भारत का लक्ष्य
भारत सरकार ने 2030 तक 'रेबीज मुक्त भारत' बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण, नसबंदी और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही, राजस्थान सरकार ने रेबीज को एक नोटिफाइड डिजीज घोषित किया है, जिससे राज्य में इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
कानून के अनुसार क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
कानूनी जानकारों के अनुसार, अगर पालतू कुत्ता किसी को काटता है, तो इसके खिलाफ कुत्ते के मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, आवारा कुत्ते द्वारा काटे जाने पर स्थानीय निकायों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है। घटना के तुरंत बाद संबंधित विभागों को सूचित करना जरूरी है, ताकि उचित कदम उठाए जा सकें।
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