/sootr/media/media_files/2025/09/28/manju-vishvas-2025-09-28-13-18-03.jpg)
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की पूर्व सदस्य मंजू शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील दायर की है। मंजू शर्मा का आरोप है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा की गई टिप्पणियों ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। इन टिप्पणियों के बाद उन्होंने न केवल अपना पद छोड़ने का निर्णय लिया, बल्कि कोर्ट से इन टिप्पणियों को हटाने की भी मांग की है। इस लेख में हम मंजू शर्मा की अपील और इस विवाद से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी का विश्लेषण करेंगे।
मंजू शर्मा की हाईकोर्ट में अपील
जाने माने कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने अपनी अपील में कहा कि उन्हें अदालत द्वारा दिए गए कठोर और अनुचित टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया और न ही उन्हें सुनवाई का अवसर दिया गया। उनका कहना है कि कोर्ट की टिप्पणियों ने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया और इसने उन्हें मानसिक तनाव का शिकार बना दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मंजू शर्मा ने अपील में यह भी कहा कि बिना किसी ठोस साक्ष्य के उनके खिलाफ टिप्पणियां की गई हैं। उनका मानना है कि कोर्ट की टिप्पणियां केवल एक चार्जशीट के आधार पर की गई हैं, जिसमें केवल संपर्क का उल्लेख किया गया था, जो कि किसी सार्वजनिक अधिकारी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
ये खबरें भी पढ़िए
तिरंगा लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंचा सोनम वांगचुक समर्थक, पुलिस ने किया डिटेन
लद्दाख हिंसा: सोनम वांगचुक गिरफ्तार, जोधपुर किया गया शिफ्ट, जानें पूरा मामला
मंजू शर्मा का इस्तीफा
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 28 अगस्त 2025 को राजस्थान पुलिस एसआई भर्ती 2021 को रद्द करने की सिफारिश की थी। इस आदेश में RPSC के तत्कालीन चेयरमैन और सदस्यों के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की गई थीं, जिसमें मंजू शर्मा का भी नाम था। इन टिप्पणियों के बाद मंजू शर्मा ने 1 सितंबर 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल ने 15 सितंबर 2025 को उनका इस्तीफा मंजूर किया था।
इस्तीफे में मंजू शर्मा ने क्या लिखा था
मंजू शर्मा ने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा था, “मैंने अपना पूरा कार्यकाल पारदर्शिता और ईमानदारी से निभाया है। एक भर्ती प्रक्रिया के विवाद के कारण मेरी प्रतिष्ठा और आयोग की गरिमा पर आंच आई है। हालांकि, मेरे खिलाफ किसी थाने या जांच एजेंसी में कोई जांच लंबित नहीं है, न ही मुझे कभी किसी मामले में आरोपी माना गया है। विवाद के कारण मैं आयोग की गरिमा और निष्पक्षता को सर्वोपरि मानते हुए स्वेच्छा से इस्तीफा दे रही हूं।"
ये खबरें भी पढ़िए
जल जीवन मिशन घोटाला : सीबीआई व ईडी के बाद अब एसीबी की एंट्री, दस्तावेज मांगने से अफसरों में खलबली
कंवरलाल मीणा की सजा माफ करने की कोशिश लोकतंत्र पर हमला : टीकाराम जूली
कोर्ट ने की थी गंभीर टिप्पणियां
हाईकोर्ट की एकलपीठ के 28 अगस्त 2025 के आदेश में आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय और अन्य सदस्य, जिनमें मंजू शर्मा का भी नाम था, पर गंभीर आरोप लगाए गए। अदालत ने लिखा था कि RPSC के कुछ सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने राजस्थान एसआई भर्ती 2021 में गड़बड़ी की थी। विशेष रूप से, पूर्व सदस्य रामू राम राईका की बेटी शोभा राईका को एसआई भर्ती के इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलाए गए।
इन आरोपों से आरपीएससी की भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। हालांकि, मंजू शर्मा ने इस आरोप को निराधार बताते हुए अपनी अपील में कहा है कि यह आरोप बिना किसी ठोस प्रमाण के लगाए गए हैं।
मंजू शर्मा की नियुक्ति
मंजू शर्मा को 2020 में कांग्रेस सरकार द्वारा आरपीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया था। उन्होंने 15 अक्टूबर 2020 को पदभार संभाला था। उनका कार्यकाल 14 अक्टूबर 2026 तक था, लेकिन 13 महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद, राज्य में आरपीएससी के संबंध में नए विवाद उठ खड़े हुए हैं।