जल जीवन मिशन घोटाला : सीबीआई व ईडी के बाद अब एसीबी की एंट्री, दस्तावेज मांगने से अफसरों में खलबली

राजस्थान के जल जीवन मिशन घोटाले में अब एसीबी ने दस्तक दी। 700 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच में सीबीआई और ईडी के बाद एसीबी ने दस्तावेज मांगे, जिससे विभाग में हड़कंप मचा।

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Gyan Chand Patni
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राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर 

राजस्थान के बहुचर्चित जलजीवन मिशन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भी दस्तक दे दी है। सीबीआई और ईडी की एंट्री के बाद एसीबी जांच की दस्तक से जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग में खलबली मची हुई है।

एसीबी ने जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग से घोटाले से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। इनमें बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी सूचनाएं और उनके कागजात तलब किए गए हैं। साथ ही उस समय मौजूद अधिकारी और कर्मचारियों की भी पूरी जानकारी मांगी है।

इतना ही नहीं, एसीबी ने 23 पॉइंट बनाकर जलदाय विभाग को भेजे हैं। बताया जाता है कि एसीबी अपनी जांच में उन आला अफसरों व कर्मचारियों पर शिकंजा कसेगी, जो अभी तक बचे हुए हैं। 

राजस्थान जल जीवन मिशन घोटाला, महेश जोशी अभी जेल में 

करीब 700 करोड़ रुपए के जल जीवन मिशन घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी भी कर रही है। सबसे पहले ईडी ने जल जीवन मिशन घोटाले में एंट्री करते हुए टेंडर लेने वाली कंपिनयों, जलदाय विभाग और प्राइवेट व्यक्तियों के घरों पर छापे मारे। वहां से मिले दस्तावेजों और साक्ष्य के बाद ईडी ने कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे महेश जोशी को गिरफ्तार किया था।

महेश जोशी पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में जल परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ। मिलीभगत करते हुए फर्जी टेंडर पास किए गए और बिचौलियों को फायदा पहुंचाया गया। जोशी के नजदीकी संजय बड़ाया समेत अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया।

महेश जोशी अब भी जेल में हैं। हाईकोर्ट महेश जोशी की जमानत अर्जी खारिज कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट में महेश जोशी ने अब जमानत अर्जी लगाई है।

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Photograph: (AI)

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कस सकता है दागी अफसरों पर शिकंजा

जिस तरह से पॉइंट बनाकर जानकारी व दस्तावेज मांगे गए हैं, उससे लगता है कि अब उन सभी दागी अफसरों, कर्मचारियों और ठेकेदार व दलालों पर भी एसीबी शिकंजा कसने की तैयारी में है, जो अब तक सीबीआई और ईडी की जांच से बचे हुए थे। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु ने 18 सितंबर को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजकर घोटाले से जुड़ी समस्त निविदाओं की जानकारी मांगी है।

 पत्र में 23 पॉइंट के साथ ही उन निविदाओं की जानकारी भी विभाग को दी है, जिनमें करोड़ों रुपए के घोटाले हुए हैं। एसीबी के पत्र मिलते ही विभाग ने समस्त जानकारी और दस्तावेज खंगालना शुरु कर दिया है। एसीबी ने 29 सितंबर तक दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है। 

दस्तावेज मिले तो खुलेगा घोटाले का बड़ा पिटारा

एसीबी ने प्राथमिक जांच संख्या 06/2024 के तहत विभाग से जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़ी निविदाओं के समय मौजूद इंजीनियर व कमर्चारी के नाम, पदनाम, टेंडर की माप पुस्तिका एवं भुगतान बिल, इंजीनियर की ओर से जल जीवन मिशन के कामों के निरीक्षण एवं परीक्षण, निविदा शर्तों, कामों की नमूना रिपोर्ट, टेंडर कमेटियों में कौन-कौन अफसर शामिल रहे, उनके नाम व पदनाम, निविदाकर्ता फर्मों  के नाम, जल जीवन मिशन के कामों की शिकायतों व उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। साथ ही टेंडर लेने वाली कंपनियों के अनुभव प्रमाण पत्र और टेंडर में लगाए गए दस्तावेज, टेंडर लेने के लिए लगाए कूटरिचत दस्तावेज समेत कई अन्य जानकारी भी मांगी है। 

फर्जी दस्तावेज से टेंडर लिए, बिना काम के दिए पैसे

राजस्थान में जल जीवन मिशन घोटाला की गूंज 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गई थी। घोटाले को लेकर ईडी ने टेंडर लेने वाली कम्पनी के ठेकेदारों, अधिकारी, दलालों और तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी के घर और प्रतिष्ठानों पर छापे मारे।

करीब 48 करोड़ की सम्पत्ति व उनसे जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए। आरोप है किअमहेश जोशी व अधिकारियों की शह पर उन कंपनियों को भी टेंडर दे दिया, जिनके पास उक्त कार्य का अनुभव तक नहीं था और न ही वह फार्म योग्यता रखती थे। 

आरोप है कि चहेती कम्पनी श्री श्याम ट्यूवबैल, श्री गणपित ट्यूबवैल कंपनी के निदेशकों से मिलीभगत करते हुए फर्जी दस्तावेज से ठेके लिए। टेंडर लेने के बाद भी कईं जगह कार्य नहीं किया। मिलीभगत करके करोड़ों का भुगतान भी उठा लिया। टेंडर घोटाला हुआ।

बहुत सी जगह पर घटिया कार्य किया, जिससे घर घर तक पानी नहीं पहुंचा। पानी की टंकी तक नहीं बनाई। न ही पाइप लाइन डाली गई। पूरे प्रदेश में करीब 700 करोड़ रुपए के घोटाले हुए। जलदाय विभाग की जांच में भी घोटाले सामने आए तो कईं इंजीनियरों को चार्जशीट दी गई। 

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महेश जोशी को नहीं मिल पाया टिकट

इस मामले को लेकर चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ मुद्दा भी बनाया। इसके कारण जल मिशन घोटाले में विलेन बनकर उभरे महेश जोशी को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला।

ईडी ने ठेका कंपनी के संचालक पदमचंद जैन, महेश मित्तल, संजय बडाया, विशाल सक्सैना आदि के घरों पर छापे मारे। इनमें करीब 48 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की गई। मामले में महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी की कंपनी से भी लेन-देन का मामला उजागर हुआ है।

घोटाले को लेकर सीबीआई, ईडी व एसीबी ने मामले दर्ज किए हैं। एसीबी की जांच शुरू होने से उन आला अधिकारियों व इंजीनियर पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है, जो अब तक सिर्फ विभागीय जांच में ही फंसे थे।

एसीबी ने मांगे ये दस्तावेज

  • सूची ए में उल्लेखित प्रत्येक निविदा की टेंडर स्वीकृति वित्त विभाग या जिस भी सक्षम स्तर से प्राप्त की गई थी व कब की गई?
  • प्रत्येक टेंडर की उक्त स्वीकृति आदेश व नोटशीट की प्रमाणित प्रतियां। 
  •  प्रत्येक टेंडर की शर्तों की प्रमाणित प्रति। 
  • टेंडर में कितनी फर्म व संवेदकों के आवेदन मिले? प्राप्त आवेदनों और साथ में पेश किए दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां। 
  • उक्त टेंडर के लिए प्री—बिड मी​टिंग कब हुई ? मीटिंग में भाग लेने वाली फर्म व कंपनी कौन थीं और इन्होंने क्या आपत्तियां उठाईं और इनका निपटारा क्या किया गया ? इस प्रक्रिया में शामिल रहने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम व वर्तमान पोस्टिंग का स्थान। 
  • टेंडर के आवेदनों के साथ श्याम ट्यूबवैल कंपनी, गणपति ट्यूबवैल कंपनी तथा इरकॉन इंटरनेशनल के पेश किए गए प्रमाण—पत्रों व अन्य दस्तावेजों की जांच किस—किस अधिकारी ने की और किस मेल आईडी से जांच की गई। इसका पूरा विवरण व दस्तावेज तथा मेल आईडी के ईमेल के प्रिंट व दस्तावेज दिए जाएं। 
  •  प्रत्येक टेंडर की तकनीकी बिड कब खुली व किन—किन अधिकारियों के समक्ष खुली थी। इन अधिकारियों के नाम व वर्तमान पोस्टिंग।  
  •  प्रत्येक टेंडर की ​वित्तीय बिड कब व कौनसी तारीख को टेंडर कमेटी के किन सदस्यों के समक्ष खोली गई थी ? इन कमेटियों में शामिल सदस्यों के नाम,पोस्ट और वर्तमान पोस्टिंग। 
  •  प्रत्येक टेंडर में सबसे कम रेट किन—किन की थी ? इनका तुलनात्मक विवरण के साथ किससे व कब निगोशियेशन हुआ और अंतिम सहमति किस रेट पर बनी। 
  •  टेंडर कमेटी व बिड ईवोल्यूशन कमेटी में शामिल अधिकारियों के नाम,पोस्ट,मोबाईल नंबर और वर्तमान पो​स्टिंग। 
  •  पहली बिड ईवोल्यूशन कमेटी उक्त टेंडर पर दी गई राय और मिनट्स की प्रमाणित प्रतियां। 
  •  पहली बिड ईवोल्यूशन कमेटी ने उक्त टेंडर पर क्या राय दी थी और स्वीकृति के लिए किसे भेजा था स्वीकृति के लिए भेजने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के नाम व पते बताए जाएं। 
  •  सफल कांट्रेक्टर फर्म केा दिए गए आदेश की प्रमाणित प्रतियां। 
  •  प्रत्येक टेंडर आमंत्रण के लिए संधारित रजिस्टर व नो​टशीट की प्रमाणित प्रतियां।
  •  प्रत्येक टेंडर में सफल घोषित किए गए कॉन्ट्रेक्टर की टेंडर के साथ कितनी राशि धरोहर के रुप में जमा करवाई गई थी ?
  •  प्रत्येक टेंडर के कॉन्ट्रेक्टर व संबंधित अधिकारी के बीच हुए वर्क आर्डर  एग्रीमेंट की प्रमाणित प्रतियां।  
  •  प्रत्येक टेंडर में कांट्रेक्टर को वर्क आर्डर मिलने के बाद कितनी अवधि के लिए टेंडर जारी किया गया?
  •  सफल कान्ट्रेक्टर या कंपनी की ओर से अंतिम बिल कब व कितनी राशि का था और यह किसके समक्ष पेश किया था ? इन सभी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां व अंतिम बिल स्वीकृत करने वाले अधिकारी व कर्मचारी नाम व पोस्ट के साथ मोबाईल नंबर तथा वर्तमान पोस्टिंग ?
  •  सफल कान्ट्रेक्टर,कंपनी या फर्म को टेंडर के पेटे कुल कितनी राशि का भुगतान कब- कब किस रनिंग बिल से किया गया व कार्य पूरा करने का प्रमाण—पत्र कब व किसने जारी किया ?
  •  सफल कांट्रेक्टर—कंपनी—फर्म को कब व कितनी धरोहर राशि लौटाई गई ?
  •  प्रत्येक टेंडर में सफल कान्ट्रेक्टर—कंपनी—फर्म की ओर से पेश दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी किन—किन अधिकारियों की थी ? इन अधिकारियों के नाम—पोस्ट और वर्तमान पोस्टिंग कहां है ?
  •  सफल काट्रेक्टर—कंपनी—फर्म की ओर से कौनसे दस्तावेज गलत व कूटरचित पेश किए गए ?इनका टेंडर की ​कौनसी शर्त में उल्लेख था ? इन दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां दी जाएं।
  •  प्रत्येक टेंडर पर प्राप्त शिकायत व इस पर की गई कार्यवाही क्या रही ? इसके दस्तावेज व जानकारी दी जाए।

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