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राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने बीजेपी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि कंवरलाल मीणा की सजा माफ करने की कोशिश संविधान और न्यायपालिका पर सीधा हमला है। उन्होंने राज्यपाल से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की।
कंवरलाल मीणा पर आरोप
अंता विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा पर 27 मुकदमे दर्ज हैं और उनकी छवि भी विवादों से घिरी हुई रही है। इन सब के बावजूद बीजेपी सरकार द्वारा उनकी सजा माफ कराने की कोशिशों ने राजनीतिक और कानूनी विवाद को जन्म दिया है।
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जनता के विश्वास को करेगा कमजोर
टीकाराम जूली ने बताया कि कंवरलाल मीणा की सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई थी जब उन्हें न्यायालय ने दोषी ठहराया था। फिर भी बीजेपी सरकार संविधान के अनुच्छेद 161 का दुरुपयोग कर उन्हें राहत दिलाने की कोशिश कर रही है, जो लोकतंत्र और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि यह कदम जनता के विश्वास को कमजोर करेगा और यह संदेश देगा कि राजनीतिक दबाव के कारण दोषियों को राहत मिल सकती है।
न्याय व्यवस्था पर संकट
टीकाराम जूली ने कहा कि अगर दोषी विधायकों और सांसदों को राजनीतिक दबाव से सजा से राहत मिलती है, तो यह लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था पर संकट होगा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हवाला देते हुए कहा कि वे लगातार दोषी विधायकों और सांसदों की सदस्यता समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
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राजस्थान बीजेपी की दोगली नीति
जूली ने सवाल उठाया कि जब देश के शीर्ष नेता इस मुद्दे पर स्पष्ट हैं, तो राजस्थान सरकार क्यों ऐसा असंवैधानिक कदम उठा रही है। उनका कहना है कि यह कदम संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
राज्यपाल से कार्रवाई की अपील
टीकाराम जूली ने राज्यपाल महोदय से सख्त कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस फाइल को तुरंत अस्वीकार किया जाना चाहिए और स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि संविधान और कानून से ऊपर कोई नहीं है – न विधायक, न मंत्री और न ही सत्ता पक्ष। जूली ने चेतावनी दी कि अगर यह मामला अनदेखा किया गया, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक उदाहरण साबित होगा। उनका कहना है कि यह भविष्य में राजनीतिक दबाव से निर्णय लेने के गलत संदेश को बढ़ावा देगा।
क्या है मामलाबारां जिले की अंता सीट से पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने एक मामले में दोषी ठहराया गया और तीन साल की सजा सुनाई गई। इस मामले में उन्होंने पंचायत उपचुनाव के दौरान अकलेरा में एसडीएम पर बंदूक तान दी थी। राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने इस सजा को बरकरार रखा है। मीणा ने अकलेरा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और उन्हें जेल भेजा गया। इस साल 23 मई को उनकी विधानसभा सदस्यता अंततः समाप्त कर दी गई। क्या है संविधान का अनुच्छेद 161अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को क्षमा, राहत या सजा में छूट देने की शक्ति होती है। यह शक्ति किसी भी अपराध के दोषी व्यक्ति के मामले में राज्यपाल को राहत देने की अनुमति देती है, लेकिन इसके दुरुपयोग से न्याय व्यवस्था पर सवाल उठ सकते हैं। | |