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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में भाजपा सरकार ने शहरी सरकारों के मुखिया को हटाने का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड स्थापित किया है। पिछले 21 महीनों में कुल 24 नगर निगमों के मेयर और पालिका अध्यक्षों को पद से हटा दिया गया। जिसमें से अधिकांश मेयर और चेयरमैन कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। इस कदम से राजनीति में गर्मी आ गई है। TheSootr के इस लेख में हम राजस्थान के शहरी निकायों में किए गए इस बदलाव के बारे में विस्तार से जानेंगे, साथ ही उन विवादों पर भी प्रकाश डालेंगे, जिनकी वजह से कई मेयर और चेयरमैन को अपनी कुर्सी खोनी पड़ी।
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राजस्थान में शहरी निकाय बदलाव: 24 मेयर और चेयरमैन हटाए गए
पिछले 21 महीनों में भाजपा सरकार ने शहरी निकायों के प्रमुखों को हटाने का एक अभूतपूर्व कदम उठाया। 24 में से 22 मेयर और चेयरमैन कांग्रेस के थे, जबकि दो भाजपा के थे। भाजपा ने इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया। इससे राजनीतिक हलकों में कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई।
कुल बर्खास्त मेयर और चेयरमैन: 24, जिनमें से 22 कांग्रेस के थे और 2 भाजपा के।
कांग्रेस के नेताओं की बगावत और भ्रष्टाचार के आरोप
राजस्थान में शहरी निकायों के प्रमुखों के खिलाफ उठाए गए कदमों के पीछे कई कारण थे। कई नेताओं पर भ्रष्टाचार और बगावत के आरोप थे। जयपुर नगर निगम हेरिटेज की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर को भ्रष्टाचार और पार्टी के पार्षदों की बगावत के कारण तीन बार निलंबित किया गया था। उनके परिजनों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप थे, जिसके कारण उन्हें कुर्सी से हटाया गया।
मुनेश गुर्जर का मामला: तीन बार निलंबित, पार्टी के पार्षदों की बगावत और भ्रष्टाचार में परिजनों का नाम आने के बाद हटाया गया।
राजस्थान में चेयरमैन व मेयर हटाए
राजस्थान सरकार ने विभिन्न शहरों में भी नगर परिषद के अध्यक्षों को बर्खास्त किया गया। इनमें से कई जगहों पर अध्यक्षों को भ्रष्टाचार के आरोपों और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में दोषी ठहराया गया। मंगरोल, रामगंज मंडी, इंद्रगढ़, बूंदी, नागौर और झालावाड़ जैसी जगहों पर पालिका अध्यक्षों को निलंबित किया गया।
मार्च 2025 में रामगंज मंडी के पालिकाध्यक्ष देवीलाल और उपाध्यक्ष रमेश मीणा को निलंबित किया गया। इन पर आरोप था कि उन्होंने कॉलोनाइजर को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से पट्टे जारी किए थे।
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राजस्थान में किन निकायों का कार्यकाल बढ़ाया गया है?सितंबर में 9 निकायों में किसी अन्य को कुर्सी सौंपी गई या उनका कार्यकाल बढ़ाया गया। चेयरमैन को हटाने के बाद कुर्सी किसी भाजपा या कांग्रेस के पार्षद को कार्यकारी के रूप में सौंपी गई। कुछ निकायों में तो 7वीं बार कार्यकाल 60 दिन के लिए बढ़ा दिया। इनमें इंद्रगढ़ की नीलम भारती का 24 सितंबर को, जयपुर हेरिटेज की कुसुम यादव का 24 सितंबर को, करौली परिषद की डॉ. राजरानी शर्मा का 23 सितंबर को, नोहर की खातून का 16 सितंबर को, अंता के रामेश्वर खंडेलवाल का 16 सितंबर को, नारायणा की सावित्री देवी का 8 को, स. माधोपुर परिषद के जयप्रकाश सांवरिया का 5 सितंबर को, बूंदी परिषद की सरोज अग्रवाल का 3 को, सागवाड़ा के आशीष गांधी का 1 सितंबर को कार्यकाल बढ़ाया। मंजू देवी उपाध्यक्ष पालिका, नापासर को अध्यक्ष का कार्यभार 22 जुलाई को दिया। अंता में रामेश्वर का चार्ज 21 जुलाई को बढ़ाया। | |
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झालावाड़ में भ्रष्टाचार और पार्टी से निष्कासन
झालावाड़ नगर परिषद के अध्यक्ष संजय शुक्ला को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। इस भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद, उनकी जगह प्रदीप सिंह राजावत को परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
सागवाड़ा में भाजपा में एंट्री और मिल गई कुर्सी
सागवाड़ा डूंगरपुर पालिका में भी एक दिलचस्प घटनाक्रम हुआ। यहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए आशीष गांधी को पालिका अध्यक्ष का पद सौंपा गया। आशीष गांधी ने 19 महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, और अब उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया गया।
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मेड़ता सिटी के चेयरमैन का बार-बार निलंबन
मेड़ता सिटी के चेयरमैन को तीन बार निलंबित किया गया। हालांकि, वे हर बार स्टे (court stay) ले आते थे और निलंबन से बच जाते थे। अगस्त में उन्होंने चौथी बार पद संभाला, जब हाईकोर्ट ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी।
नागौर और नापासर में भ्रष्टाचार और निलंबन
नागौर नगर परिषद की मीतू बोथरा और नापासर की मंजू देवी को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद निलंबित किया गया। इन मामलों में भ्रष्टाचार की जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।