नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर रोक, राज्य और केन्द्र सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर स्थित नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (Nahargarh Wildlife Sanctuary) की सीमाओं में प्रस्तावित बदलाव पर रोक लगा दी है। यह आदेश अदालत ने तब दिया जब एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Wildlife Board) की सिफारिशों और वन्यजीव संरक्षण कानून के खिलाफ हो रहा था।

अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment), राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, राज्य सरकार के अधिकारियों और वन विभाग से जवाब-तलब किया। इस मामले में, कोर्ट ने विशेष रूप से केंद्र सरकार और प्रधान मुख्य वन संरक्षक से विस्तृत हलफनामा (Affidavit) मांगा है।

खंडपीठ ने दिया आदेश

यह आदेश न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश संजीत पुरोहित की खंडपीठ (Division Bench) ने दिया। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि इस मुद्दे पर तुरंत निर्णय लिया जाए, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण बल्कि स्थानीय समुदायों की भी भलाई से जुड़ा हुआ है।

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न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश संजीत पुरोहित Photograph: (TheSootr)

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याचिका में क्या था आरोप?

नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के आदेश का गलत उपयोग किया जा रहा था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि एनजीटी के आदेश की आड़ में नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में संशोधन किया जा रहा है, जिसमें कुछ गांवों की भूमि को अभयारण्य क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है।

यह कदम वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) के प्रावधानों की अवहेलना करता है। याचिका में यह भी कहा गया कि बिना राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा है, जो कि इससे जुड़ी पारिस्थितिकीय और जैव विविधता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। इससे न केवल अभयारण्य को नुकसान हो सकता है, बल्कि इसके ईको सेंसिटिव जोन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया और इस पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताई।

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कोर्ट का आदेश और केंद्र-राज्य सरकार से जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर रोक लगाते हुए केंद्र (Union Ministry of Environment) और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटिस अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी को भेजे और राज्य सरकार से संबंधित नोटिस अतिरिक्त महाधिवक्ता बसंत सिंह छाबा को जारी किए।

इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों के पास मामले में विस्तार से हलफनामा प्रस्तुत करने का अवसर होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव से पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय समुदायों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्या है?

  • स्थान: नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जयपुर के पास अरावली पहाड़ियों (Aravalli Hills) में स्थित है।

  • स्थापना: यह अभयारण्य 1980 में स्थापित किया गया था।

  • क्षेत्रफल: इसका क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग किलोमीटर है, जो एक विशाल संरक्षित क्षेत्र है।

  • महत्व: यह जयपुर शहर के लिए एक महत्वपूर्ण हरित बफर (green buffer) है और रणथंभौर बाघ अभयारण्य (Ranthambhore Tiger Sanctuary) को अन्य वन क्षेत्रों से जोड़ने वाले पारिस्थितिक गलियारे (ecological corridor) का हिस्सा है।

वनस्पति और जीव-जंतु

  • वनस्पति: यहां शुष्क पर्णपाती वन (dry deciduous forest), झाड़ियाँ और घास के मैदान (grasslands) हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता को बढ़ाते हैं।

  • जीव-जंतु: नाहरगढ़ अभयारण्य में कई प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, जैसे:

    • तेंदुआ (Leopard)

    • जंगली सूअर (Wild boar)

    • हिरण (Deer)

    • शेर (Lion)

    • बाघ (Tiger)

    • भालू (Sloth bear)

    • मोर (Peacock)

    • उल्लू (Owl)

    • चील (Eagle)

    • भारतीय रॉक पायथन (Indian rock python)

    • मॉनिटर छिपकली (Monitor lizard)

    • मेंढक और टॉड (Frogs and toads)

नाहरगढ़ जैविक उद्यान

  • यह अभयारण्य का एक प्रमुख हिस्सा है, जो शेर सफारी (Lion Safari) के लिए प्रसिद्ध है। यह एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है, जहां पर्यटक शेरों को करीब से देख सकते हैं।

पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग

  • नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पक्षी प्रेमियों (bird watchers) के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहां 285 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ (species) पाई जाती हैं, जिसमें सफेद गर्दन वाला टिट पक्षी (White-necked stork) भी शामिल है।

पर्यटन आकर्षण

  • नाहरगढ़ किला: यहां का किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

  • नाहरगढ़ जैविक उद्यान और शेर सफारी: ये दोनों ही पर्यटकों के लिए एक अनोखा अनुभव पेश करते हैं और यहां आने वाले लोग प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों का आनंद लेते हैं।

नाहरगढ़ अभयारण्य और इसका महत्व

नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जयपुर के निकट स्थित एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। यह अभयारण्य न केवल जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर के आसपास के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और पक्षियों का घर है, और यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय  दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह अभयारण्य न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह आसपास के गांवों और समुदायों के लिए भी जीवनदायिनी है।

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वन्यजीव संरक्षण कानून और इसके प्रावधान क्या हैं?

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) भारतीय कानून (Indian Law) के तहत वन्यजीवों और उनके आवासों (Habitats) की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए है। यह कानून वन्यजीवों के अधिकारों (Rights) को संरक्षित करने के साथ-साथ उनके आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को नुकसान से बचाने के लिए आवश्यक उपाय प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, यदि किसी अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान (National Park) की सीमाओं में कोई बदलाव किया जाता है, तो इसके लिए सरकार को पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के दृष्टिकोण से विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करना होता है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के बिना कोई भी बदलाव कानून के खिलाफ हो सकता है।

FAQ

1. नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में सीमाओं में बदलाव क्यों किया जा रहा था?
संशोधन के नाम पर नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा था, लेकिन यह बिना राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के किया जा रहा था, जिससे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा था।
2. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाहरगढ़ मामले में क्या आदेश दिया?
राजस्थान हाईकोर्ट ने नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर रोक लगा दी और केंद्र तथा राज्य सरकार से जवाब तलब किया।
3. नाहरगढ़ मामले में याचिका किसने दायर की थी?
यह जनहित याचिका नाहरगढ़ वन एवं वन्य जीव सुरक्षा एवं सेवा समिति ने दायर की थी, जिसमें अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव के खिलाफ आरोप लगाए गए थे।
4. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत क्या प्रावधान हैं?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत, किसी भी अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं में बदलाव करने से पहले राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश जरूरी है, ताकि पर्यावरण और जैव विविधता को नुकसान न हो।
5. इस फैसले का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हाईकोर्ट के फैसले से नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव के कारण होने वाले पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय नुकसान से बचा जा सकेगा।

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