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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (Nahargarh Wildlife Sanctuary) की सीमाओं में प्रस्तावित बदलाव पर रोक लगा दी है। यह आदेश अदालत ने तब दिया जब एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Wildlife Board) की सिफारिशों और वन्यजीव संरक्षण कानून के खिलाफ हो रहा था।
अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment), राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, राज्य सरकार के अधिकारियों और वन विभाग से जवाब-तलब किया। इस मामले में, कोर्ट ने विशेष रूप से केंद्र सरकार और प्रधान मुख्य वन संरक्षक से विस्तृत हलफनामा (Affidavit) मांगा है।
खंडपीठ ने दिया आदेश
यह आदेश न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश संजीत पुरोहित की खंडपीठ (Division Bench) ने दिया। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि इस मुद्दे पर तुरंत निर्णय लिया जाए, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण बल्कि स्थानीय समुदायों की भी भलाई से जुड़ा हुआ है।
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याचिका में क्या था आरोप?
नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के आदेश का गलत उपयोग किया जा रहा था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि एनजीटी के आदेश की आड़ में नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में संशोधन किया जा रहा है, जिसमें कुछ गांवों की भूमि को अभयारण्य क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है।
यह कदम वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) के प्रावधानों की अवहेलना करता है। याचिका में यह भी कहा गया कि बिना राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा है, जो कि इससे जुड़ी पारिस्थितिकीय और जैव विविधता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। इससे न केवल अभयारण्य को नुकसान हो सकता है, बल्कि इसके ईको सेंसिटिव जोन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया और इस पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताई।
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कोर्ट का आदेश और केंद्र-राज्य सरकार से जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर रोक लगाते हुए केंद्र (Union Ministry of Environment) और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटिस अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी को भेजे और राज्य सरकार से संबंधित नोटिस अतिरिक्त महाधिवक्ता बसंत सिंह छाबा को जारी किए।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों के पास मामले में विस्तार से हलफनामा प्रस्तुत करने का अवसर होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव से पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय समुदायों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
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नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्या है?
वनस्पति और जीव-जंतु
नाहरगढ़ जैविक उद्यान
पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग
पर्यटन आकर्षण
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नाहरगढ़ अभयारण्य और इसका महत्व
नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जयपुर के निकट स्थित एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। यह अभयारण्य न केवल जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर के आसपास के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और पक्षियों का घर है, और यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह अभयारण्य न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह आसपास के गांवों और समुदायों के लिए भी जीवनदायिनी है।
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वन्यजीव संरक्षण कानून और इसके प्रावधान क्या हैं?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) भारतीय कानून (Indian Law) के तहत वन्यजीवों और उनके आवासों (Habitats) की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए है। यह कानून वन्यजीवों के अधिकारों (Rights) को संरक्षित करने के साथ-साथ उनके आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को नुकसान से बचाने के लिए आवश्यक उपाय प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, यदि किसी अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान (National Park) की सीमाओं में कोई बदलाव किया जाता है, तो इसके लिए सरकार को पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के दृष्टिकोण से विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करना होता है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के बिना कोई भी बदलाव कानून के खिलाफ हो सकता है।