बाड़ ही जब खेत को खाए: रीको ने बसा दिया नाहरगढ़ सेंचुरी में औद्योगिक क्षेत्र, प्रदूषण से जंगल हो रहा बर्बाद

राजस्थान के जयपुर स्थित नाहरगढ़ में रीको के औद्योगिक विस्तार ने संरक्षित वन क्षेत्र को खतरे में डाल दिया है। प्रशासन की लापरवाही और प्रदूषण को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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Nitin Kumar Bhal
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Nahargarh Senctuary

Photograph: (The Sootr)

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मुकेश शर्मा

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करेगा। ठीक यही स्थिति राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर (Jaipur) की नाहरगढ़ सेंचुरी (Nahargarh Senctuary) की है, जिसे सरकार ही बर्बाद करने पर तुली है। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि सरकार ने जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी के उस एरिया में औद्योगिक क्षेत्र बसा दिया, जहां जंगल के नियमों में किसी भी व्यवसायिक गतिविधियों पर पूरी तरह रोक है। यहां एक-दो नहीं, बल्कि सैंकड़ों कारखानों का प्रदूषण जंगल को नुकसान पहुंचा रहा है।

दरअसल, यह मामला विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र का है। सरकारी एजेंसी रीको (RIICO) ने नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य के बीड़ पापड़ गांव के खसरा नंबर 7-2 की जमीन पर इस औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के लिए न तो कोई भू-रुपांतरण कराया और न वन महकमे से कोई क्लियरेंस ली। उसने अपने स्तर पर मनमाने तरीके से इंडस्ट्रीज को इस खसरा नंबर की जमीनें बांट दी। इसके बाद यहां सघन औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो गया।

दूषित पानी से जंगल का बिगड़ा माहौल

पर्यावरण कार्यकर्ता कमल तिवारी का कहना है कि इन कारखानों ने जंगल के शांत माहौल को अशांत कर दिया है। कारखानों से जो दूषित पानी निकलता है, उसे पीकर जंगली जीव बीमार हो रहे हैं। यह दूषित पानी बरसात के पानी के साथ मिलकर पूरे जंगल को बर्बाद कर रहा है। जंगल की बर्बादी को लेकर न तो वन अफसर चिंतित हैं और न ही रीको।

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उद्योग लग गए, तब खुली वन विभाग की नींद

वन विभाग ने नाहरगढ़ के वन खंड आमेर-54 की जमीन को 15 मार्च, 1962 में गजट अधिसूचना के जरिए आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था। जब रीको ने जमीन पर औद्योगिक इकाइ स्थापित होने लगी तो वन विभाग की नींद खुली। उसने पाया कि इन कारखानों के लगने से वन एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 व वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा-2 का उल्लंघन हो रहा है। 

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स्पष्ट हैं जंगल की सीमाएं

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 22 सितंबर,1980 के आदेश के साथ जारी अनुसूची में नाहरगढ़ सेंचुरी की सीमाओं का विवरण स्पष्ट कर दिया था। इसमें पश्चिम नाहरी का नाका आबादी क्षेत्र व राजस्व ग्राम किशनबाग, बीड पापड़ व नाला अमानीशाह से पश्चिम विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र और सीमा लाईन नजदीक के राजस्व गांव जैसल्या,आकेडा, शिश्यावास, बडा गांव, माण्ड्या के खसरा नंबर 82-85 और 83 का उत्तरी-पश्चिम कोना तथा सीमा वन क्षेत्र बीड़ तालेड़ा,समीपवर्ती गांव दौलतपुरा खसरा नंबर 1092-1093 शामिल  किया गया। इसे वन्यजीव सुर​क्षा अधिनियम 1972 की धारा-18 के तहत सेंचुरी घोषित कर नाहरगढ़ नाम दिया गया। इसकी चारों सीमाएं स्पष्ट रूप से चिन्हित हैं। 

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नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के बारे में महत्वपूर्ण बातें

  • स्थान: नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जयपुर के पास अरावली पहाड़ियों (Aravalli Hills) में स्थित है।

  • स्थापना: यह अभयारण्य 1980 में स्थापित किया गया था।

  • क्षेत्रफल: इसका क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग किलोमीटर है, जो एक विशाल संरक्षित क्षेत्र है।

  • महत्व: यह जयपुर शहर के लिए एक महत्वपूर्ण हरित बफर (green buffer) है और रणथंभौर बाघ अभयारण्य (Ranthambhore Tiger Sanctuary) को अन्य वन क्षेत्रों से जोड़ने वाले पारिस्थितिक गलियारे (ecological corridor) का हिस्सा है।

वनस्पति और जीव-जंतु

  • वनस्पति: यहां शुष्क पर्णपाती वन (dry deciduous forest), झाड़ियाँ और घास के मैदान (grasslands) हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता को बढ़ाते हैं।

  • जीव-जंतु: नाहरगढ़ अभयारण्य में कई प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, जैसे:

    • तेंदुआ (Leopard)

    • जंगली सूअर (Wild boar)

    • हिरण (Deer)

    • शेर (Lion)

    • बाघ (Tiger)

    • भालू (Sloth bear)

    • मोर (Peacock)

    • उल्लू (Owl)

    • चील (Eagle)

    • भारतीय रॉक पायथन (Indian rock python)

    • मॉनिटर छिपकली (Monitor lizard)

    • मेंढक और टॉड (Frogs and toads)

नाहरगढ़ जैविक उद्यान

  • यह अभयारण्य का एक प्रमुख हिस्सा है, जो शेर सफारी (Lion Safari) के लिए प्रसिद्ध है। यह एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है, जहां पर्यटक शेरों को करीब से देख सकते हैं।

पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग

  • नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पक्षी प्रेमियों (bird watchers) के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहां 285 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ (species) पाई जाती हैं, जिसमें सफेद गर्दन वाला टिट पक्षी (White-necked stork) भी शामिल है।

पर्यटन आकर्षण

  • नाहरगढ़ किला: यहां का किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

  • नाहरगढ़ जैविक उद्यान और शेर सफारी: ये दोनों ही पर्यटकों के लिए एक अनोखा अनुभव पेश करते हैं और यहां आने वाले लोग प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों का आनंद लेते हैं।

 

फर्द रिपोर्ट में माना, यह खसरा जंगल का

द सूत्र की पड़ताल में यह भी पता चला कि जयपुर के कलेक्टर ने 21 अगस्त,1998 के आदेश से इसे ईको सेंसेटिव क्षेत्र भी घोषित किया था। नाहरगढ़ सेंचुरी के गांव बीड़-पापड़ के खसरा नंबर 7-2 जमाबंदी में वन विभाग की जमीन हैं। उद्योग लगने पर जब वन अफसरों की नींद खुली तो जयपुर के चिडियाघर के उप वन संरक्षक ने 25 अप्रेल 2024 और 11 सितंबर 2024 को राजस्व अधिकारियों से मौका रिपोर्ट तलब की। इस पर भू-अभिलेख के तहसीलदार और वन विभाग के सर्वेयर गिरीश शर्मा के नेतृत्व में सर्वे और सीमाज्ञान करके फर्द मौका रिपोर्ट बनाई। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि खसरा नंबर 7-2 पर सघन उद्योग क्षेत्र विकसित हो चुका है। 

 

Nahargarh Senctuary
Photograph: (The Sootr)

 

 

रीको का तर्क, रह गया नामांतरण होना

इस रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग ने रीको से इसका कारण जानना चाहा तो उसने टालमटोल वाला जवाब दिया। रीको ने 14 फरवरी,2025 को अपने सलाहकार ईएम रीको को भेजी वस्तुस्थिति रिपोर्ट में दावा किया कि औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवंटित जमीन के खसरा नंबर 7-2 की पार्ट भूमि का आवंटन हुआ था। यह जमीन औद्योगिक क्षेत्र के बीच स्थित है। इसका आवंटन और नामांतरण रीको के पक्ष में होने से रह गया है। 

 

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Photograph: (The Sootr)

 

 

 

Nahargarh Senctuary
Photograph: (The Sootr)

 

यह सरकार का कैसा विरोधभास

पर्यावरण कार्यकर्ता कमल तिवारी ने कहा कि यह अजीबोगरीब स्थिति है कि राजधानी में सरकार की एजेंसियां ही वन क्षेत्र को बर्बाद करने में लगी हैं। एक तरफ इस मानसून सीजन में सरकार 10 करोड़ पौधे लगाने की बात कह रही हैं, वहीं पहले से मौजूद जंगलों को उजाड़ रही है। यह कैसा विरोधाभास है। उन्होंने कहा कि वे जंगल बचाने की इस लड़ाई को एनजीटी में लेकर जाएंगे। उन्होंने गैर वानिकी गति​विधियों को बंद करने और दोषियों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है।

 

Nahargarh Senctuary
Photograph: (The Sootr)

 

 

अब बगलें झांक रहे अफसर

जब इस बारे में रीको के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो वे पहले तो इस मामले को लेकर चौंके। फिर उन्होंने यह कहकर टालमटोल करने लगे कि पुराने कागजों को देखना पड़ेगा। उधर, वन विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कोई स्प्ष्ट बात करने को तैयार नहीं हुआ।

FAQ

1. क्या नाहरगढ़ सेंचुरी में औद्योगिक गतिविधियाँ कानूनी हैं?
नाहरगढ़ सेंचुरी में औद्योगिक गतिविधियाँ पूरी तरह से अवैध हैं, क्योंकि यह एक संरक्षित वन्यजीव अभ्यारण्य है, जहां कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो सकती।
2. पर्यावरण कार्यकर्ता नाहरगढ़ सेंचुरी में औद्योगिक गतिविधियों के मुद्दे पर क्या कर रहे हैं?
पर्यावरण कार्यकर्ता कमल तिवारी ने इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तक ले जाने का निर्णय लिया है और जंगल की रक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
3. रीको और वन विभाग के अधिकारियों का नाहरगढ़ सेंचुरी में औद्योगिक गतिविधियों पर क्या कहना है?
रीको के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर सफाई दी है कि भूमि का नामांतरण (land conversion) रह गया है, जबकि वन विभाग ने इसे कानून का उल्लंघन बताया है।

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