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Photograph: (The Sootr)
जयपुर. लगता है कि राजस्थान की धरती पर सत्ता ने सिस्टम को बेच दिया है। सौदा खुलेआम हो रहा है और इसकी मुख्य किरदार खुद राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी हैं। उनके काम पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। 'द सूत्र' लगातार डिप्टी सीएम के कारनामे उजागर कर रहा है। इससे पूरे राजस्थान की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। जनता भी 'द सूत्र' के अभियान 'दीया तले अंधेरा' में भागीदारी करते हुए सत्ता से सवाल कर रही है, लेकिन इन सबके बीच जिम्मेदारों के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही।
अब 'द सूत्र' अपने अभियान की कड़ी में एक और बड़ा खुलासा करने जा रहा है। यह मामला राजधानी जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी से जुड़ा है। जी हां, नाहरगढ़ का 'सौदा' कर दिया गया है। यहां सवाल खड़ा होता है कि पर्यटन के नाम पर सत्ता आखिर किसकी सेवा कर रही है, पर्यावरण की या होटल लॉबी?
पढ़िए...ये खास रिपोर्ट...
दरअसल, राजस्थान में पर्यटन विभाग संभाल रहीं दीया कुमारी की भूमिका फिर सवालों के घेरे में है। सरकार ने होटल लॉबी के दबाव में जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी का नक्शा बदल दिया है। इसके जरिए सेंचुरी क्षेत्र में चल रहे 125 से ज्यादा छोटे-बड़े होटलों को सीधा फायदा मिलना तय है। यह वह लॉबी है, जिनके अवैध और आलीशान होटलों के कारण सेंचुरी का दम घुट रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे नाहरगढ़ सेंचुरी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
गौरतलब है कि होटल लॉबी पर्यटन विभाग संभाल रहीं डिप्टी सीएम दीया कुमारी पर लगातार ऐसी छूट के लिए दबाव बना रही थी। होटल वाले दीया कुमारी के संपर्क में थे। सूत्रों का कहना है कि संशोधित नक्शे में वन विभाग ने नाहरगढ़ सेंचुरी के वर्णित क्षेत्र को हटा दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि अब किसी से भी किसी भी तरह की कमर्शियल और इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज के लिए कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी नाहरगढ़ क्षेत्र पर जिन होटलों पर एनजीटी की तलवार लटकी हुई थी, उन्हें अभयदान मिल जाएगा। वे अपनी मर्जी से निर्माण कर सकेंगे। बदलाव कर सकेंगे।
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संशोधित नक्शा एनजीटी में पेश'द सूत्र' की पड़ताल में सामने आया कि नाहरगढ़ सेंचुरी का संशोधित नक्शा 21 जुलाई को वन अधिकारियों ने एक मामले में एनजीटी में पेश किया है। नियम यह हैं कि किसी भी सेंचुरी के नक्शे में कोई भी बदलाव केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड की सहमति से ही होगा। इसके बावजूद सरकार ने नक्शा संशोधन के लिए बोर्ड से अनुमति लेना मुनासिब नहीं समझा। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, नाहरगढ़ एरिया के पुराने नक्शे को लेकर जिस तरह सवाल उठ रहे थे, उससे नक्शे में बदलाव जरूरी हो गया था। |
होटलों के लिए मुसीबत था वर्णित क्षेत्र
जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी वर्ष 1980 में अस्तित्व में आई थी। 2019 में इसे ईको सेंसेटिव जोन नोटिफाइड किया गया। इससे पहले 1988 में सेंचुरी में खातेदारों के अधिकार तय किए गए। इस दौरान सेंचुरी की दो किस्म की जमीन यानी आरक्षित क्षेत्र और वर्णित क्षेत्र तय किया गया। वर्णित क्षेत्र में यह प्रावधान था कि लोग ऐसे एरिया में खेती और निवास तो कर सकते हैं, लेकिन वहां कमर्शियल गतिविधियों के लिए केंद्र से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। यह प्रावधान होटल लॉबी के लिए मुसीबत बना हुआ था।
दीया कुमारी के संपर्क में थी होटल लॉबी
होटल लॉबी का सरकार पर नाहरगढ़ सेंचुरी को व्यवसायिक गतिविधियां खोलने का लंबे समय से दबाव रहा है। सेंचुरी एरिया में ताज आमेर, इण्डियाना पैलेस, अमनबाग और जयबाग जैसी नामी होटलें चल रही हैं। एनजीटी अब तक विभिन्न आदेशों में इन होटलों पर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लगा चुका है। यहां तक कि एनजीटी होटल ताज आमेर को गिराने तक का आदेश दे चुका है। उसने नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से भी मंजूरी मांगी, लेकिन उसने साफ इनकार कर दिया। ताज मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे है।
मंत्री का दावा- सेंचुरी की सेहत पर असर नहीं
राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने 'द सूत्र' से बातचीत में स्वीकार किया कि यह संशोधित नक्शा उनके हस्ताक्षर से जारी हुआ है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि पहले का नक्शा नाहरगढ़ सेंचुरी के एरिया को सही वर्णित नहीं कर रहा था। उसे व्यवस्थित करने के लिए यह संशोधित नक्शा बनाया गया है। मंत्री का यह दावा भी है कि इस नक्शे से सेंचुरी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि बोर्ड और केंद्र से अनुमति नहीं लेने पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
दीया कुमारी को दे चुके ढेर ज्ञापन
होटल लॉबी इस सेंचुरी क्षेत्र में होटलों के राहत देने के लिए डिप्टी सीएम दीया कुमारी से लगातार मांग कर रही थी। राजस्थान होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने माना कि उन्होंने सितंबर 2024 में दीया कुमारी को दिए ज्ञापन में कहा था कि स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने से नाहरगढ़ के आसपास उनकी नई एवं मौजूदा होटल प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं मिल पा रही हैं। परियोजनाओं को पर्यटन मास्टर प्लान और क्षेत्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप अनुमति दी जाए। मास्टर प्लान को लेकर अभी तक आपत्ति रही हैं।
सीमाकंन के लिए मांगते हैं आपत्ति
हालांकि, सेंचुरी के नक्शे को लेकर शुरुआत से वन विभाग विवादों में रहा है। वर्ष 2012 में डीएसीएफ और कलेक्टर की अगुआई में सेंचुरी का जो नक्शा बनाया गया, उसे लेकर लोकायुक्त में शिकायत हुई। इसमें कहा गया कि यह नक्शा गलत नीयत से बनाया गया है। लेकिन, पीसीएफ ने लोकायुक्त में दावा किया कि नक्शा ईमानदारी के साथ बनाया गया है। सेंचुरी क्षेत्र के वर्णित क्षेत्र में बदलाव उच्च स्तरीय समिति करती है। यह समिति बाकायदा सीमाकंन कर उस पर आपत्ति मांगती है। फिर उनका निस्तारण किया जाता है। इसके बाद इसे केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा जाता है। वहां से अप्रुवल आने के बाद ही यह लागू होता है।
रीको बार-बार एनजीटी की शरण में
सरकार इस सेंचुरी में औद्योगिक गतिविधियों के संचालन को लेकर आतुर रही है। सरकारी एजेंसी रीको ने विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र के कारखानों के दूषित पानी को निष्पादित करने के लिए कुछ साल पहले नाहरगढ़ के बीड़ पापड़ क्षेत्र में नाला बना दिया था। बाद में एनजीटी ने इसका परिवाद आने पर 1 नवंबर 2023 को नाला तोड़ने और रीको पर 8 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति राशि जमा कराने के आदेश दिए। इसके खिलाफ रीको ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, लेकिन एनजीटी के आदेश को बहाल रखा गया। कुछ समय पहले रीको ने फिर एनजीटी में अर्जी लगाई है। उसने पूरी नाहरगढ़ सेंचुरी का सीमाकंन करने की मांग की। एनजीटी के निर्देश पर सीमाकंन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन हो चुका है।
एनजीटी ने माना, नक्शा पहले से मौजूदनाहरगढ़ सेंचुरी को लेकर एनजीटी स्वीकार कर चुका है कि इसका नक्शा पहले से मौजूद है। दरअसल, इसी 16 जुलाई को वन विभाग की एक कमेटी ने बताया कि नाहरगढ़ का नक्शा कभी बना ही नहीं। इस पर एक मामले के याचिकाकर्ता कमल तिवारी ने एनजीटी को बताया कि इसका नक्शा पहले से ही बना हुआ है। इसे पीसीएफ ने भी लोकायुक्त में प्रमाणित कर रखा है। इस पर एनजीटी ने माना कि नक्शा पहले से मौजूद है। उसने साथ ही पूरे नाहरगढ़ का पुराने नक्शे के आधार पर सीमाकंन करने को कहा है। सीएस को गडबड़ करने वालों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के आदेश भी दिए हैं। |
नाहरगढ़ सेंचुरी मामले पर FAQ
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