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जब सत्ता भी अपनी हो और विरासत भी अपनी...तब लोकतंत्र की बिसात पर असली शतरंज कैसे खेला जाता है, इसे देखना है तो जयगढ़ फोर्ट में दीया कुमारी की सियासत देखिए। राजस्थान की डिप्टी सीएम, पर्यटन मंत्री और जयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की मालकिन दीया कुमारी इन दिनों अलग ही एजेंडे को अंजाम दे रही हैं।
यह एजेंडा जयपुर और उसके आसपास की बेशकीमती संपत्तियों को हड़पने से जुड़ा है। सरकार ने मानो उनके आगे घुटने टेक दिए हैं। 'द सूत्र' ने इससे पहले हथरोई की सरकारी जमीन और जयपुर के बंगला नंबर 15 और 16 का मामला उठाया था। 'द सूत्र' की खबरों के बाद राजस्थान की सियासत में हलचल तेज हो गई है। आज हम अपने पाठकों और दर्शकों के लिए दीया कुमारी के एजेंडे की तीसरी किस्त लेकर आए हैं और इसका नाम है जयगढ़ मॉडल।
दीया कुमारी ने परिवार की संपत्ति जयगढ़ फोर्ट के जरिए कमाई का मॉडल विकसित कर लिया है। इसके लिए उन्होंने अपने पद और प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल किया है। इस फोर्ट के लिए सारे नियम-कायदे ताक पर रख दिए गए हैं। यह तब है, जब यह फोर्ट जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी की नोटिफाइड बाउंड्री का हिस्सा है, जहां किसी भी तरह की कमर्शियल गतिविधियों पर रोक है।
सालाना 10 करोड़ रुपए तक की कमाई
दीया कुमार खुद पर्यटन मंत्री भी हैं। वीआईपी पार्टियां हो या फिर फिल्मों की शूटिंग...किले में घुसने से लेकर खान-पान जैसी कमर्शियल गतिविधियों से मोटी राशि वसूली जा रही है। सूत्रों के अनुसार जयगढ़ किले से दीया कुमारी के ट्रस्ट को सालाना 10 करोड़ रुपए की कमाई होती है। यहां तक कि सरकार में पर्यटन महकमा खुद के पास आने के बाद दीया कुमारी के दबाव में सरकारी आयोजन भी जयगढ़ में होने लगे हैं।
फोर्ट ट्रायंगल में आता है जयगढ़
देश में फोर्ट ट्रायंगल कहे जाने वाले जयपुर के आमेर, जयगढ़ और नाहरगढ़ किले की कहानी चर्चा में है। आमेर और नाहरगढ़़ जैसे किले आरटीडीसी (राजस्थान पर्यटन विकास निगम) व राज्य सरकार के अधीन हैं। उनकी आमदनी सीधे सरकारी खजाने में जाती है। इन सरकारी किलों से जुड़ा जयगढ़ फोर्ट का स्वामित्व पूरी तरह जयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के पास है। यह ट्रस्ट उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के परिवार का है। यानी जयगढ़ फोर्ट की सारी कमाई ट्रस्ट के नाम पर दीया कुमारी के परिवार की जेब में जा रही है।
जयगढ़ की देखरेख करता है ट्रस्टजयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट जयगढ़ किले के लिए जिम्मेदार है। इस किले का निर्माण 11वीं शताब्दी में आमेर शहर की सुरक्षा के लिए कराया गया था। जयपुर में जयगढ़ किला आमेर किले के ऊपर है, जबकि नाहरगढ़ किला जयपुर शहर के ऊपर स्थित है। ये तीनों किले एक-दूसरे से जुड़े हैं। ट्रस्ट की स्थापना 1982 में ब्रिगेडियर महाराजा सवाई भवानी सिंह ने की थी। बाद में उन्होंने यह किला जनहित के लिए खोल दिया था। पिछले कुछ समय से इस फोर्ट को ट्रस्ट टूरिज्म मॉडल बना दिया गया है। |
जयगढ़ में हर पग पर वसूलते हैं पैसा
जयगढ़ किले से दीया कुमारी के ट्रस्ट को होने वाली मोटी कमाई में कैमरा शुल्क, इवेंट स्पेस रेंटल और गाइड सर्विस शुल्क भी शामिल है। ये आय राज्य सरकार के खजाने में न जाकर सीधे निजी ट्रस्ट को जा रही है। नाहरगढ़ सेंचुरी का हिस्सा होने के कारण जयगढ़ फोर्ट में ऐसी कमर्शियल गतिविधियां वर्जित हैं। यहां पर्यटन विभाग ट्रस्ट के साथ मिलकर जयगढ़ फेस्टिवल या स्कल्पचर पार्क जैसी सरकारी गतिविधियां कर रहा है।
सरकारी पैसे से जयगढ़ फेस्टिवल
हाल ही में इस फोर्ट में जयगढ़ फेस्टिवल किया गया। इस फेस्टिवल पर पर्यटन विभाग पूरी तरह मेहरबान रहा। इसकी आड़ में सरकारी धन से फोर्ट के कुछ हिस्सों का कायाकल्प किया गया। हर बार सरकारी फोर्ट नाहरगढ़ में होने वाला स्कल्पचर पार्क का पांचवां संस्करण इस बार जयगढ़ फोर्ट में किया गया। इस आयोजन के लिए नाहरगढ़ की कई कलाकृतियां जयगढ़ में शिफ्ट कर दी गई, जो आज तक वापस नहीं की गई। यह आयोजन पर्यटन विभाग से पूरी तरह स्पांसर था।
जयगढ़ तक रोपवे की योजनासूत्रों के अनुसार पर्यटन विभाग ने जयगढ़ फोर्ट को फायदा पहुंचाने के लिए रोपवे योजना तैयार कर रखी है। यह रोपवे 13 किलोमीटर क्षेत्र में फैले आमेर, जयगढ़ और नाहरगढ़ किलों को एक-दूसरे से जोड़ेगी। पहले यह योजना नाहरगढ़ किले और जल महल (मान सागर झील के बीच में स्थित एक महल) को जोड़ने की थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर आमेर और जयगढ़ किलों को रोपवे से जोड़ने का प्लान तैयार किया। यह योजना 400 करोड़ रुपए की बनाई गई। तीनों किले नाहरगढ़ सेंचुरी के हिस्से हैं। ऐसे में इसे अमलीजामा पहनाने में वन विभाग के नियम-कायदे आड़े आ रहे हैं। हालांकि, पर्यटन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि यह योजना जल्द ही आकार लेगी। |
सुप्रीम कोर्ट में वन विभाग नहीं कर पाया मजबूत पैरवी
नाहरगढ़ सेंचुरी में चल रही कमर्शियल गतिविधियों को रोकने के लिए जयपुर के आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र तिवारी ने एनजीटी का रुख किया था। एनजीटी ने सेंचुरी में सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। लेकिन 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी थी। तब यह आरोप लगा था कि वन विभाग इस मामले को लेकर गंभीर नहीं था। वह सुप्रीम कोर्ट में यह साबित करने में विफल रहा कि ये कमर्शियल गतिविधियां आमेर जोन के लिए कितनी नुकसानदेह है।
जयगढ़ को मिल चुका है नोटिस
जयगढ़ फोर्ट में कमर्शियल गतिविधियां चलाने पर वन विभाग पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय 2022 में फोर्ट प्रबंधन को नोटिस दे चुका है। नोटिस में कहा गया कि यह किला वन भूमि पर है, जिसे 15 जनवरी, 1962 को राजस्थान वन अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिसूचित किया गया था। नोटिस में फोर्ट प्रबंधन से यह बताने को कहा है कि वे किस कानून के तहत व्यावसायिक गतिविधियां कर रहे थे और क्या उन्हें इसके लिए एनओसी प्राप्त की है। इसमें एनजीटी के आदेश का भी हवाला भी दिया गया।
फोर्ट को मिल रहा सरकारी अनुदान👉 सूत्रों का कहना है कि जयगढ़ फोर्ट को प्राइवेट संपत्ति होने के बावजूद भाजपा सरकार में पर्यटन विकास के नाम पर मोटा अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन, दीया कुमारी के दबाव के कारण सरकार यह बताने में संकोच कर रहे हैं कि भाजपा राज में जयगढ़ को अब तक कितना धन दिया जा चुका है। जयगढ़ फोर्ट को गैर सरकारी एजेंसियों से भी फंडिंग हो रही है। 👉सीईपीटी विश्वविद्यालय मिशिगन से जयगढ़ फोर्ट को हेरिटेज कंजर्वेशन सेंटर (सीएचसी) के जरिए 2024 में साइआर्क हेरिटेज एम्प्लीफाइड ग्रांट 2024 में प्राप्त हुआ। इस अनुदान से जयगढ़ किले की ऐतिहासिक जल प्रणाली को दुरुस्त किया गया है। इसमें जल संग्रहण चैनलों, विशाल भंडारण टैंकों और सुव्यवस्थित आंतरिक वितरण प्रणाली का एक जटिल नेटवर्क शामिल रहा। |
ट्रस्ट का दावा, जन कल्याण मकसद
ट्रस्ट ने अपने दस्तावेजों में दावा किया है कि उनके महत्वाकांक्षी कार्यों में जयगढ़ और उसके संग्रह का संरक्षण और संवर्धन करना है। वह इस स्थल को एक संग्रहालय के रूप में चलाता है। साथ ही पुरातत्व, धातु विज्ञान और संग्रह से जुड़े अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। इसमें चिकित्सा एवं गरीबी उन्मूलन भी शामिल है।
सवाल: क्या राजस्थान दीया कुमारी की जागीर है?![]() 👉 क्या किसी मंत्री को यह हक है कि वो सेंचुरी भूमि में कानून तोड़कर अपनी प्रॉपर्टी को नोट उगलने वाला कारखाना बना ले? 👉 क्या राजस्थान में सत्ता की कुर्सी पर बैठा कोई नेता सरकारी पैसे से अपने खानदानी किले को चमका सकता है? 👉 क्या कोई पर्यटन मंत्री अपने ही परिवार की तिजोरी भरने के लिए सेंचुरी की हत्या कर सकता है? |
राजस्थान की जनता को जवाब चाहिए, जंगलों को जवाब चाहिए, कानून को जवाब चाहिए।
वरना ‘दीया तले अंधेरा’ हमेशा राज करेगा, सत्ता भी उनकी, खजाना भी उनका....कानून किताबों में और लोकतंत्र बंधक बना रहेगा।
thesootr ने दीया कुमारी से पूछे सवाल, नहीं आया जवाब
नोट: इस मामले में खबर thesootr ने दीया कुमारी का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की, मगर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। फिर हमने उनको मेल करके सवालों की लिस्ट भेजी। इस पर भी उनकी ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया। आगे जब भी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया आएगी, हम प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे।
Editor, thesootr
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