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सियासत में सत्ता और संपत्ति का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा चौंकाने वाला है। इस खेल की अहम किरदार हैं राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी।
उन्होंने जयपुर शहर के बीचों बीच हथरोई की करोड़ों की कीमत की सरकारी जमीन को अपने नाम करा लिया है। जब हम इस मामले को देखते हैं तो लगता है कि सरकार ने मानो डिप्टी सीएम के सामने घुटने टेक दिए। सरकारी वकील कोर्ट में हाजिर ही नहीं हुए। जरूरी कागजात और फीस तक समय पर जमा नहीं कराई गई।
कुल मिलकर सवाल सिर्फ जमीन का नहीं है, सवाल सत्ता के उस खेल का है, जिसमें भजन सरकार नाम मात्र की बची रही और डिप्टी सीएम के इशारे पर पूरा सिस्टम नतमस्तक नजर आया।
पढ़िए 'द सूत्र' का एक्सपोज...
दरअसल, राजस्थान की उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी अलग ही एजेंडे को अंजाम दे रही हैं। चौंकिए मत, यह एजेंडा जयपुर की बेशकीमती सरकारी संपत्तियों को हड़पने से जुड़ा है।
उन्होंने सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर का अहम पद मिलने के बाद उन सभी बेशकीमती संपत्तियों को बटोरने का अभियान छेड़ रखा है, जिन्हें वे हर हाल में अपने नाम कराना चाहती हैं।
एक दर्जन मामले कोर्ट में
गौरतलब है कि दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी हैं। लिहाजा, उनके पास ऐसी बेशकीमती सरकारी संपत्तियों की लंबी फेहरिस्त है। इन संपत्तियों को पाने के लिए उन्होंने निचली अदालत से लेकर शीर्ष कोर्ट तक कई दावे ठोक रखे हैं।
इस मामले में उनकी सक्रियता से यह साफ है कि वे इन संपत्तियों को जल्द से जल्द अपने परिवार के नाम बटोरना चाहती हैं। ऐसी संपत्तियों से जुड़े उनके एक दर्जन मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
जयपुर की हथरोई संपत्ति नाम कराई
यहां हम बात कर रहे हैं जयपुर में हथरोई के खसरा नंबर 227, 228 और 230 से जुड़ी बेशकीमती संपत्ति की। जयपुर के बीच स्थित इस सरकारी जमीन के कुछ हिस्से पर बरसों से नर्सिंग काउंसिल ऑफ राजस्थान, रेजिडेंसी स्कूल और सरकारी डिस्पेंसरी चल रही हैं, लेकिन दीया कुमारी के परिवार ने इस संपत्ति को अपने नाम करा लिया है। यह तब है, जब इन जमीनों पर ये सरकारी एजेंसियां बरसों से कानूनी रूप से चल रही हैं।
टेक्निकल कमी या जान-बूझकर कोर्ट में हारी सरकार?
इस सरकारी जमीन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में केस चल रहा था। इसी साल 21 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट के आदेश के चलते भजन सरकार यह केस हार गई। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के खिलाफ आए इस आदेश से साफ है कि सरकार को यह केस मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि टेक्निकल कारणों से हारना पड़ा।
हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि सरकारी वकील इस केस में गंभीर नहीं रहे। वे कोर्ट ही नहीं पहुंचे। रेस्टोरेशन के लिए न तो समय पर निर्धारित पैसा कोर्ट में जमा कराया गया और ना ही समय बढ़ाने का आग्रह किया। यहां तक कि एएजी ऑफिस और जेडीए के बीच मिस कम्युनिकेशन को भी साबित नहीं किया जा सका।
इन सब कारणों से सरकार का पक्ष कमजोर पड़ गया। इस तरह सरकार टेक्निकल खामियों के कारण केस हार गई। इसका सीधा फायदा डिप्टी सीएम दीया कुमारी और उनके परिवार को मिला है।
मजबूत पैरवी नहीं, दीया कुमारी को मिला फायदा
आरोप है कि डिप्टी सीएम दीया कुमारी के दबाव के कारण सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा। केस को कमजोर कर दिया गया। इससे यह केस दीया कुमारी और उनके परिवार के पक्ष में चला गया। इसमें कानूनी कागजातों के आधार पर बरसों से चल रही संस्थाओं के सामने बेदखल होने का संकट आ गया।
Timelineबानगी देखिए, कैसे दबाव में सरकारी पक्ष कमजोर रहा...
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सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं की अपील
हाईकोर्ट में यह केस हारने के बाद भजन सरकार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना था, लेकिन सरकार यह काम अभी तक नहीं कर पाई। बताया जाता है कि यह दीया कुमारी का दबाव है, जिससे इस केस को यही खत्म किया जा सके।
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह केस सरकार की लापरवाही उजागर करता है। इधर, सूत्रों का दावा है कि पूरा सिस्टम डिप्टी चीफ मिनिस्टर दीया कुमारी के दबाव में है। इससे फाइल लाल बस्तों में कैद होती दिख रही है।
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- Editor, thesootr
उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के पास हैं ये विभाग
दीया कुमारी 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से जयपुर की विद्याधर नगर सीट से चुनी गई हैं। इससे पहले वे राजसमंद से भाजपा सांसद थीं। विधायक बनने के बाद राजस्थान की भाजपा में पहली बार डिप्टी सीएम बनने का मौका मिला। उनके पास वित्त विभाग जैसा अहम महकमा है। इसके अलावा वे पर्यटन, कला, संस्कृति, पुरातत्व, महिला एवं बाल विकास और बाल सशक्तिकरण की भी मंत्री हैं।
अब सवाल: क्या बेदखल होंगे हथरोई के संस्थान
हथरोई की बेशकीमती सरकारी जमीन जिस तरह से डिप्टी सीएम दीया कुमारी की झोली में आई है, वह लोकतंत्र के मुंह पर करारा तमाचा है। सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं। सरकार चुप है, अधिकारी खामोश हैं, और डिप्टी सीएम के पास पूरे सिस्टम की चाबी है। जमीनें जाती हैं, जनता देखती है और लोकतंत्र के नाम पर सब चलता रहता है।
इस पूरे मामले में अगर कोई हारा है तो वो सिर्फ सरकार नहीं, राजस्थान की आम जनता हारी है। आखिर में यही सवाल सबसे बड़ा है कि कब तक सरकारें सत्ता के आगे झुकती रहेंगी? कब तक कोई रजवाड़ा सरकारी जमीन को अपनी जागीर समझेगा? और कब तक सिस्टम चुपचाप इन सौदों को 'अमलीजामा' पहनाता रहेगा?
कोर्ट का आदेश
कौन हैं दीया कुमारी?
जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। दीया ने साल 2013 में बीजेपी जॉइन की थी। उन्हें सवाई माधोपुर से विधानसभा चुनाव लड़वाया गया था, जहां से वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुई थीं।
इसके बाद उन्हें 2019 में राजसमंद लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव लड़वाया गया, जिसके बाद वे लोकसभा पहुंची थीं। इस बार उन्हें जयपुर की विद्याधर नगर से चुनाव मैदान में उतारा गया था, जहां से वे विधायक बनीं।
भगवान राम की वंशज होने का दावा
दीया कुमारी अक्सर दावा करती आई हैं कि वे भगवान राम के पुत्र कुश की वंशज हैं। वे दावा करती हैं कि इसकी पुष्टि के लिए हस्तलिखित वंशावली और दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं।
दीया कुमारी के बारे में जानिए
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