राजस्थान में महिला कांस्टेबल ने की मीना समाज पर विवादित टिप्पणी, गरमाया माहौल, जानें पूरा मामला

राजस्थान के जयपुर में निर्भया स्क्वायड की पुलिसकर्मी द्वारा मीना समाज पर विवादित टिप्पणी करने के बाद महिला कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है। यह टिप्पणी एक छात्र के सवाल पर की गई थी।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान के जयपुर में एक महिला कांस्टेबल द्वारा मीना समाज पर की गई विवादित टिप्पणी ने विवाद को जन्म दे दिया। यह मामला 22 सितंबर 2025 का है, जब निर्भया स्क्वायड (Nirbhaya Squad) की महिला पुलिसकर्मी स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी (Springboard Academy) में एक जागरूकता सत्र आयोजित करने के लिए पहुंची थीं। इस सत्र का उद्देश्य छात्रों को सुरक्षा से जुड़े कानूनों और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देना था। लेकिन इस दौरान महिला पुलिसकर्मी ने एक सवाल का जवाब देते हुए एक समुदाय विशेष पर विवादित टिप्पणी कर दी, जो कि तुरंत वायरल हो गई।

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जयपुर पुलिस कमिश्नरेट Photograph: (TheSootr)

मामले की शुरुआत: एक सवाल और एक विवादित टिप्पणी

मामला स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी में आयोजित जागरूकता सत्र से जुड़ा हुआ है। इस सत्र में जब एक छात्र ने पूछा कि चोरी हुई बाइक को शिकायत दर्ज करवाने के बाद वापस क्यों नहीं मिलती, तो महिला कांस्टेबल ने जवाब दिया, "क्या कहा! मिलती नहीं है? भाई, क्या करें, यहां मीना बहुत ज्यादा हैं।"

यह टिप्पणी सीधे तौर पर मीना समाज (Meena Community) को निशाना बनाती हुई दिखी और तुरंत ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस वीडियो को एक अन्य छात्र ने ऑनलाइन क्लास के दौरान रिकॉर्ड कर लिया था और बाद में यह वीडियो सार्वजनिक हो गया, जिससे पूरे मामले में तूल पकड़ लिया।

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मीना समाज का आक्रोश और पुलिस कमिश्नर की कार्रवाई

मीना समाज ने इस टिप्पणी को लेकर जयपुर पुलिस कमिश्नर IPS बीजू जॉर्ज जोसफ (IPS Biju George Joseph) से शिकायत की। उन्होंने पुलिसकर्मी की टिप्पणी को भड़काऊ और अपमानजनक करार दिया। मीना समाज की ओर से इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई, और पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई। पुलिस कमिश्नर ने इस शिकायत पर तत्काल एक्शन लिया और महिला कांस्टेबल मंजू (Manju) को सस्पेंड कर दिया। यह कार्रवाई एक संकेत है कि जयपुर पुलिस किसी भी प्रकार की जातिवादी या भड़काऊ टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगी।

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जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ Photograph: (TheSootr)

महिला कांस्टेबल ने बयान पर मांगी माफी

विवाद के बाद, महिला कांस्टेबल मंजू ने अपना बयान जारी किया और कहा कि उनका उद्देश्य कभी भी किसी समुदाय को अपमानित करना नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके मुंह से यह शब्द अनजाने में निकल गए थे और इसके लिए वे पूरी तरह से माफी मांगती हैं। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था, और यह एक व्यक्तिगत गलती थी। 

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भारत में जातियों को अपराधी क्यों माना जाता है?

ब्रिटिश शासनकाल में शुरुआत

भारत में कुछ जातियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान अपराधी बनाना शुरू हुआ। 1871 में आपराधिक जनजाति अधिनियम लागू किया गया, जिसके तहत कई समुदायों को उनके जन्म और पेशे के आधार पर "आपराधिक" घोषित किया गया। इससे उन्हें व्यवस्थित रूप से दंडित किया गया।

आपराधिक जनजाति अधिनियम का प्रभाव

इस अधिनियम ने खासतौर पर कुछ घुमंतू समुदायों को निशाना बनाया, जिनके सभी सदस्यों को जन्म से ही अपराधी मान लिया गया। यह कानून धीरे-धीरे पूरे भारत में लागू हुआ, जिससे इन समुदायों पर लगातार निगरानी और नियंत्रण रखा गया।

सामाजिक और व्यावसायिक समस्याएं

इस कानून के कारण इन समुदायों के सामाजिक और व्यावसायिक जीवन पर बुरा असर पड़ा। उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने और रोजगार कमाने में कठिनाइयां आने लगीं, क्योंकि उन्हें एक ही नजरिए से देखा जाता था।

आजादी के बाद बदलाव

1952 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, आपराधिक जनजाति अधिनियम को खत्म कर दिया गया और इन समुदायों को "विमुक्त" समुदाय का दर्जा दिया गया, जिसका मतलब था "मुक्त" होना।

समाज में कलंक और संघर्ष

हालांकि कानून समाप्त हो गया था, लेकिन इन समुदायों पर "आपराधिक" का जो कलंक था, वह दशकों तक बना रहा। इसके कारण इन समुदायों को आज भी समाज में भेदभाव और संघर्षों का सामना करना पड़ा। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के बावजूद सम्मान नहीं मिला और शिक्षा व रोजगार में वित्तीय सहायता की आवश्यकता बनी रही।

वर्तमान स्थिति

आज भी इन समुदायों के लोग ब्रिटिश काल के अत्याचार और भेदभाव से जूझ रहे हैं। हालांकि, स्वतंत्र भारत में कई कानून बनाए गए लेकिन, विमुक्त समुदाय को अब भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी की स्थिति

स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी ने भी इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। एकेडमी ने कहा कि यह बयान महिला कांस्टेबल का व्यक्तिगत विचार था और कोचिंग संस्थान का इससे कोई संबंध नहीं है। एकेडमी ने हमेशा सभी समाजों और समुदायों का सम्मान किया है और भविष्य में भी यही आदर्श अपनाएगी। एकेडमी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में उसका कोई भी हिस्सा नहीं था और वह पूरी तरह से इस प्रकार की टिप्पणियों का विरोध करती है।

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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और प्रतिक्रिया

राजस्थान पुलिस की महिला कांस्टेबल की यह विवादित टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे पूरे राज्य में इस पर चर्चा होने लगी। लोग महिला कांस्टेबल की टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। कुछ लोगों ने इस टिप्पणी को जातिवादी और निंदनीय बताया, जबकि कुछ अन्य ने इसे एक गलती मानते हुए माफी की मांग की। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इस टिप्पणी को लेकर कई वीडियो और पोस्ट शेयर किए गए, और मीना समाज के समर्थन में भी कई आवाजें उठने लगीं। यह घटना सोशल मीडिया पर एक बड़े विषय में तब्दील हो गई और समाज में संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई।

विवाद के कारण उत्पन्न हुए समाजिक मुद्दे

यह घटना केवल एक पुलिसकर्मी की गलती नहीं थी, बल्कि इससे कई समाजिक मुद्दों को भी सामने लाया गया। समाज में जातिवाद, भेदभाव, और समुदायों के बीच तनाव जैसे मुद्दे फिर से चर्चा में आए। जब कोई सार्वजनिक व्यक्ति या अधिकारी इस प्रकार की टिप्पणी करता है, तो इसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। यह मामला इस बात को भी उजागर करता है कि सार्वजनिक संस्थानों में काम करने वाले व्यक्तियों को अपने शब्दों और कृत्यों के प्रति बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है।

पुलिस विभाग की  कार्यवाही 

जयपुर पुलिस कमिश्नर IPS बीजू जॉर्ज जोसफ ने मीना समाज पर विवादित टिप्पणी को गंभीरता से लिया और कहा कि पुलिस विभाग में इस प्रकार के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों को लेकर विभाग की कार्यशैली में सुधार किया जाएगा, ताकि इस प्रकार की गलती भविष्य में न हो। इस प्रकार की घटनाओं से पुलिस विभाग की छवि पर असर पड़ता है, और इसलिए विभाग के अंदर सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पुलिसकर्मियों को अपने शब्दों और कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

FAQ

1. महिला कांस्टेबल की टिप्पणी पर किस समुदाय ने विरोध जताया?
महिला कांस्टेबल की टिप्पणी पर मीना समाज (Meena Community) ने विरोध जताया और पुलिस कमिश्नर से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
2. पुलिस कमिश्नर ने इस घटना पर क्या कार्रवाई की?
जयपुर पुलिस कमिश्नर ने महिला कांस्टेबल मंजू को सस्पेंड कर दिया और मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की।
3. महिला कांस्टेबल ने इस टिप्पणी के बारे में क्या कहा?
महिला कांस्टेबल ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी को अपमानित करना नहीं था और उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी।
4. स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी ने इस विवाद पर क्या कहा?
स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी ने स्पष्ट किया कि यह बयान महिला कांस्टेबल का व्यक्तिगत विचार था और इसका संस्थान से कोई संबंध नहीं है।
5. इस टिप्पणी के बाद समाज में कौन से मुद्दे उभरे?
इस टिप्पणी के बाद जातिवाद, भेदभाव और समुदायों के बीच तनाव जैसे मुद्दे फिर से उभरे। इसने सार्वजनिक व्यक्तियों के शब्दों के प्रभाव को भी उजागर किया।

स्प्रिंगबोर्ड एकेडमी IPS बीजू जॉर्ज जोसफ जयपुर पुलिस कमिश्नरेट राजस्थान पुलिस मीना समाज पर विवादित टिप्पणी
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