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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान की सीआईडी (CID) इंटेलिजेंस ने जैसलमेर जिले में एक बड़ी सफलता हासिल की है। सीआईडी इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान के एक जासूस, हनीफ खान (Hanif Khan), को गिरफ्तार किया। हनीफ खान भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) को भेज रहा था। यह गिरफ्तारी राज्य में जासूसी गतिविधियों पर नजर रखने वाली सीआईडी इंटेलिजेंस के सतर्क प्रयासों का नतीजा है।
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हनीफ खान का संदिग्ध व्यवहार
सीआईडी इंटेलिजेंस की टीम ने राजस्थान में जासूसी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी थी। इस दौरान उन्हें हनीफ खान की गतिविधियाँ संदिग्ध प्रतीत हुईं। जांच के बाद पता चला कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में था। हनीफ खान, जो बाहल गांव (Bahal Village) का निवासी है, पाकिस्तान से जुड़ी जासूसी गतिविधियों में संलिप्त था।
अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास हनीफ खान का निवास
हनीफ खान भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित बाहल गांव में रह रहा था। इस स्थान से पाकिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे मोहनगढ़ और घड़साना में आना-जाना आसान था। इस रणनीतिक स्थान से हनीफ को भारतीय सैन्य संस्थानों की गतिविधियों और सेना के मूवमेंट्स के बारे में जानकारी हासिल करना आसान था।
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जासूसी
हनीफ खान ने भारतीय सेना की गुप्त जानकारी पाकिस्तान की आईएसआई को भेजने के लिए अपनी भूमिका निभाई। वह ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान भी पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था और सेना की आवाजाही के बारे में जानकारी साझा कर रहा था। यह एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन था, जो देश की रक्षा व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकता था।
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जैसलमेर में अब तक कितने जासूस पकड़े गए हैं?राजस्थान की सीआईडी इंटेलिजेंस ने इस साल अब तक जैसलमेर में कई जासूसों को गिरफ्तार किया है। 2025 में अब तक पांच जासूसों को गिरफ्तार किया गया है, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे थे। 2025 में जैसलमेर में जासूसी में गिरफ्तार किए गए जासूस
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सीआईडी इंटेलिजेंस की सजगता और समर्पण
सीआईडी इंटेलिजेंस का राजस्थान जासूसी मामला को लेकर लगातार प्रयास उनकी सजगता और समर्पण को दर्शाता है। यह न केवल सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि राज्य में जासूसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इन गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान में सुरक्षा की स्थिति मजबूत है और किसी भी तरह की जासूसी गतिविधियों को तुरंत रोका जा रहा है।
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जासूसी के खतरे और सुरक्षा व्यवस्था
देश की सुरक्षा में कोई भी सेंधमारी खतरनाक साबित हो सकती है। जासूसी नेटवर्क भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारतीय सेनाओं की गुप्त जानकारी चुराने के लिए हमेशा सक्रिय रहती है, और इसलिए सुरक्षा बलों की निगरानी बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत में पाकिस्तान की नजर किस पर है?
राजस्थान की सीमाओं से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की नजरें हमेशा रहती हैं, क्योंकि भारत-पाक सीमा की लंबाई 1070 किलोमीटर है। यहां तीन बड़े एयरबेस और कई सैन्य ठिकाने हैं, जो पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इन क्षेत्रों से हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल करने की कोशिश करती है, और इनकी गतिविधियां हमेशा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बनी रहती हैं। आए दिन पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार होते रहते हैं।
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पाकिस्तान जासूसों से क्या जानकारी प्राप्त करना चाहता है?
सेना का मूवमेंट और सैन्य ठिकाने
पाकिस्तान के खुफिया एजेंट युद्ध के समय सेना की मूवमेंट, सैन्य ठिकानों की जानकारी, तैनाती, फेंसिंग और बीओपी (बॉर्डर आउटपोस्ट) की लोकेशन जैसी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं। यह जानकारी पाकिस्तान को भारतीय सेना के खिलाफ रणनीति तैयार करने में मदद करती है।
सैन्य निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर
पाकिस्तानी एजेंटों के लिए, सैन्य ठिकानों के अलावा, ब्रिजों, सैन्य सड़कों, अंडरब्रिज, ओवरब्रिज और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े अन्य निर्माण कार्य की जानकारी भी महत्वपूर्ण होती है। इन क्षेत्रों के निर्माण से जुड़े डिटेल्स की तस्वीरें और लोकेशन की जानकारी पाकिस्तान के जासूस इकट्ठा करते हैं और अपने हैंडलरों को भेजते हैं।
स्कूल, हॉस्टल और अन्य प्रशासनिक भवन
आर्मी एरिया में स्थित स्कूलों, हॉस्टलों और अन्य प्रशासनिक भवनों की लोकेशन और उनकी तस्वीरें पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों द्वारा इकट्ठी की जाती हैं। ये एजेंट इस प्रकार के महत्वपूर्ण डेटा को साझा करते हैं, ताकि पाकिस्तान अपनी सैन्य रणनीति में इन जानकारियों का उपयोग कर सके।
मोबाइल टावर और उनकी लोकेशन
सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित मोबाइल टावरों की लोकेशन, उनकी तस्वीरें, और उनकी कार्यक्षमता भी जासूस पाकिस्तान के एजेंटों को भेजते हैं। इन टावरों से जुड़े डेटा को भी वे अपने देश की खुफिया एजेंसियों को देते हैं, ताकि पाकिस्तान के लिए इनका रणनीतिक उपयोग किया जा सके।