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Photograph: (the sootr)
मध्यप्रदेश से भगवान कृष्ण के जुड़ाव व उनकी स्मृतियों को लेकर प्रदेश सरकार ने श्रीकृष्ण पाथेय योजना की घोषणा की थी। इस योजना के लिए मोहन सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर भगवान श्रीकृष्ण से जुडे़ स्थानों पर रिसर्च व विस्तृत इतिहास, प्रदेश में कुल कृष्ण मंदिरों का सर्वे सहित अन्य निर्देश दिए थे।
अब इस विशेषज्ञ समिति ने अपनी सर्वे रिपोर्ट मुख्यमंत्री मोहन यादव व सरकार को प्रस्तुत कर दी है। इस रिपोर्ट में जहां 3322 कृष्ण मंदिरों के संरक्षण की जरूरत बताई है तो वहीं श्रीकृष्ण पाथेय योजना को लेकर भी कई सुझाव दिए है।
राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद अब भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े विभिन्न स्थानों को एक सांस्कृतिक तीर्थ के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। श्रीकृष्ण पाथेय योजना की शुरुआत 1 दिसंबर को गीता जयंती के अवसर पर हो सकती है। इस पहल का उद्देश्य न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि संस्कृति और परंपरा को भी संरक्षित करना है।
श्रीकृष्ण पाथेय योजना का महत्व
श्रीकृष्ण पाथेय योजना का मुख्य उद्देश्य उन स्थानों की पहचान करना है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े थे। इसके लिए राज्य सरकार ने धर्म, संस्कृति, पुरातत्व, और संस्कृत साहित्य के 11 विशेषज्ञ विद्वानों की एक समिति गठित की थी। इस समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव अब अपनी सर्वे रिपोर्ट में दिए है।
समिति ने मध्यप्रदेश के उन स्थानों को चिंहित कर रही है जो भगवान श्रीकृष्ण से जुडे़ हुए है। जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण पहुंचे, जहां उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया, सहित उनकी अन्य लीलाओं में वर्णित स्थानों को श्रीकृष्ण पाथेय योजना में चिंहित करने का काम कर रही है।
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सनातन धर्म की लाइब्रेरी में बदलेंगे गीता भवन
गीता भवनों का विकास श्रीकृष्ण पाथेय योजना का एक अहम हिस्सा होगा। यह भवन न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान के केंद्र बनेंगे, बल्कि इन्हें सनातन धर्म की लाइब्रेरी के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
गीता भवनों में सभी प्रमुख भारतीय धार्मिक ग्रंथों को संग्रहित किया जाएगा। यहां तक कि हर शहर में इन गीता भवनों का निर्माण एक सांस्कृतिक ज्ञान केंद्र के रूप में किया जाएगा। यह भवन विशेष रूप से भगवत गीता और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों की पठन-पाठन के लिए समर्पित होंगे।
भगवान श्रीकृष्ण पाथेय योजना के प्रमुख निर्णयों कोऐसे समझें In Short में![]() श्रीकृष्ण पाथेय योजना: मध्य प्रदेश सरकार ने 3,222 श्रीकृष्ण मंदिरों का सर्वे किया और इन्हें सांस्कृतिक तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया। गीता भवनों का उपयोग: गीता भवनों को सनातन धर्म की लाइब्रेरी के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां भारतीय धर्मग्रंथों का संग्रह होगा। विशेषज्ञ समिति का गठन: श्रीकृष्ण से जुड़े स्थानों की पहचान के लिए 11 विद्वानों की एक समिति बनाई गई है, जो पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों पर काम कर रही है। प्रमुख स्थल: उज्जैन में सांदीपनी गुरुकुल, धार में रुक्मणी लोक, और इंदौर के जनापाव जैसे स्थल कृष्ण पाथेय योजना के तहत विकसित किए जाएंगे। योजना की शुरुआत: श्रीकृष्ण पाथेय योजना की शुरुआत 1 दिसंबर को गीता जयंती के अवसर पर हो सकती है। |
इन चार बिंदूओं पर खोजा जा रहा श्रीकृष्ण पाथेय
राज्य सरकार श्रीकृष्ण पाथेय की खोज के लिए चार प्रमुख उपायों का पालन कर रही है:
संस्कृत साहित्य में जिक्र: श्रीकृष्ण के आगमन से जुड़ी जानकारी संस्कृत साहित्य से एकत्रित की जाएगी।
पुरातात्विक प्रमाण: पहले से मौजूद पुरातात्विक साक्ष्यों और साहित्य में मिले संदर्भों पर आधारित नए प्रमाणों की खोज की जाएगी।
लोक आख्यान और कथाएँ: लोक कथाओं का संकलन और उनके आधार पर नये अनुसंधान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सैटेलाइट मैपिंग: आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सैटेलाइट मैपिंग के जरिए श्रीकृष्ण से जुड़े स्थानों की सटीक पहचान की जाएगी।
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कृष्ण पाथेय योजना में चिंहित किए प्रमुख स्थान
इंटरनेशनल सांदीपनी वैदिक गुरुकुल, उज्जैन:
उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने 64 कलाओं और 14 विद्याओं की शिक्षा ली थी। इस स्थल को अब एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें अन्य धर्मों पर भी अध्ययन किया जा सकेगा।श्रीकृष्ण रुक्मणी लोक, धार:
धार जिले के अमझेरा गांव में वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने विदर्भ राज्य की राजकुमारी रुक्मणी का हरण किया था। यहां कृष्ण लीला गुरुकुल बनाने की योजना है,इस गुरुकुल में चित्रकला, मूर्तिकला और पारंपरिक नृत्य-संगीत की शिक्षा दी जाएगी।सुदर्शन लोक, जनापाव:
इंदौर जिले के जनापाव में भगवान श्रीकृष्ण और भगवान परशुराम की मुलाकात हुई थी। इसी स्थान पर भगवान परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सुदर्शन चक्र प्रदान किया था, साथ ही युद्धकला भी सिखाई थी। इस स्थान को अब आधुनिक युद्ध प्रशिक्षण केंद्र व आयुध निर्माण केंद्र स्थापना के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय को प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजा जाएगा।
एक्सपर्ट कमेटी में शामिल है यह लोग
पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित (उज्जैन)
डॉ. शिवाकांत वाजपेयी (पुराविद्, उज्जैन)
डॉ. रमन सोलंकी (उज्जैन)
डॉ. शैलेंद्र शर्मा (उज्जैन)
डॉ. पूरन सहगल (मनासा)
डॉ. महेंद्र भनावत (उदयपुर)
डॉ. वत्स गोस्वामी (मथुरा)
डॉ. मधुसूदन पेत्रा (नागपुर)
प्रो. हरेराम वाजपेयी (इंदौर)
प्रो. विन्देश्वरी प्रसाद मिश्रा (वाराणसी)
जीवन सिंह खरकवाल (उदयपुर)
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