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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ग-1 शिक्षक भर्ती 2023 के चयनित शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन तेज कर दिया है। प्रदेशभर से आए इन शिक्षकों ने सोमवार को रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) तक दंडवत करते हुए रैली निकाली। उनकी प्रमुख मांग है कि वर्ग-1 की सेकंड काउंसलिंग में 20 हजार पद बढ़ाए जाएं।
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15 दिन का दिया था अल्टीमेटम
चयनित शिक्षकों ने 8 दिसंबर को हुए अपने प्रदर्शन के दौरान सरकार पर संवादहीनता का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उस समय सरकार का कोई भी प्रतिनिधि उनसे बातचीत करने नहीं आया। आंदोलन के दौरान महिला शिक्षकों ने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से मुंडन करवाएंगी। यह अल्टीमेटम सोमवार को खत्म हो गया, लेकिन अब तक सरकार की ओर से उनकी मांगों को लेकर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
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विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक पोस्ट के जरिए सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, "सरकार नारी सम्मान के साथ खिलवाड़ बंद करे।"
सिंघार ने आरोप लगाया कि, शिक्षक वर्ग-1 के कुल स्वीकृत 36 हजार 837 पदों में से 21 हजार 451 पद अब भी खाली हैं। इसके बावजूद सरकार केवल 8 हजार 720 पदों पर भर्ती कर रही है, जिसमें 3 हजार 668 बैकलॉग पद भी शामिल हैं। उन्होंने सरकार पर वादों से पलटने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि यदि पदवृद्धि का फैसला जल्द नहीं लिया गया, तो महिला शिक्षिकाएं सामूहिक मुंडन कराकर अपना विरोध दर्ज कराएंगी।
सरकार के लिए शर्मनाक घटना !!!#Bhopal में वर्ग-1 के टीचरों के भर्ती पदों में 20 हजार की वृद्धि किए जाने की मांग को लेकर दंडवत प्रदर्शन किया!#RKMP से #DPI तक इसी तरह का प्रदर्शन किया गया।
— Umang Singhar (@UmangSinghar) December 23, 2024
उनकी यह मांग सही है कि जिन पदों पर भर्ती निकाली गई, वे बहुत कम है।
जिन्हें 85 और 90 नंबर… pic.twitter.com/AZi8xKrOXm
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चयनित शिक्षकों की प्रमुख मांग
चयनित शिक्षक वर्ग-1 के तहत 20 हजार अतिरिक्त पदों को शामिल करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों की भारी कमी होने के बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। उनका मानना है कि यदि पदों की संख्या नहीं बढ़ाई गई, तो कई योग्य उम्मीदवारों को नौकरी पाने का अवसर नहीं मिलेगा।
सरकार का रुख
अब तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई ठोस कदम या बयान नहीं आया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो उनका आंदोलन और अधिक उग्र होगा।
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