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mp-temples-annual-income Photograph: (thesootr)
भारत के मंदिरों की दान पेटियों को गरीबों की बेटियों के लिए खोल देना चाहिए। अगर ऐसा किया तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये बात बागेश्वर धाम के पीठाधीश आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कन्या सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान कही थी।
धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान के बाद एक दैनिक अखबार ने मध्यप्रदेश के 6 मंदिरों को दान से मिलने वाली आय और खर्च की पड़ताल की। इसमें महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, सलकनपुर, मैहर, पीतांबरा पीठ और खजराना गणेश शामिल हैं। इसके साथ ही पता किया कि मंदिरों की आय का और कौन सा जरिया है? दान के पैसों का कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है?
सरकार के कई विभागों के सालाना बजट से अधिक
मध्य प्रदेश के 6 बड़े मंदिरों की सालाना आय 247 करोड़ रुपये है। यह राशि राज्य सरकार के कई विभागों के सालाना बजट से भी अधिक है। इनमें सबसे प्रमुख महाकालेश्वर मंदिर है, जिसकी सालाना आय लगभग 168 करोड़ रुपये है। इस लेख में हम इन मंदिरों की आय और उनके खर्च के विभिन्न स्रोतों पर प्रकाश डालेंगे, साथ ही यह भी जानेंगे कि दान की राशि का किस प्रकार उपयोग किया जाता है।
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प्रमुख मंदिरों की आय के स्रोत...
1. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर की आय का प्रमुख स्रोत श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे और प्रसाद की बिक्री से आता है। पिछले साल महाकाल मंदिर ने 53.50 करोड़ रुपये के लड्डू प्रसाद की बिक्री की। इसके अलावा, मंदिर की आय में सोना-चांदी की चढ़ाई भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महाकाल कॉरिडोर के निर्माण से मंदिर के दर्शनार्थियों की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है।
2. मां शारदा देवी मंदिर, मैहर
यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर की आय में दान के अलावा रोपवे से भी भारी आय होती है। पार्किंग, दुकानों और धर्मशालाओं के किराए से भी अतिरिक्त आय प्राप्त होती है। रोजाना करीब 40 हजार श्रद्धालु यहां आते हैं।
3. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा
ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और यहां रोजाना 15-20 हजार श्रद्धालु आते हैं। मंदिर की आय का मुख्य स्रोत श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा है, और साथ ही स्थानीय व्यापारियों द्वारा मंदिर ट्रस्ट को दी गई राशि भी इसमें शामिल है।
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4. विजयासन माता मंदिर, सलकनपुर
यह मंदिर एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर की आय में सबसे बड़ा हिस्सा दानपेटी के चढ़ावे का है, लेकिन अन्य आय स्रोत जैसे दुकानें, पार्किंग शुल्क और धर्मशालाएं भी महत्वपूर्ण हैं। नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में काफी वृद्धि होती है।
5. खजराना गणेश मंदिर, इंदौर
यह मंदिर अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाया गया था और यहां हर रोज 15-20 हजार श्रद्धालु आते हैं। खजराना गणेश मंदिर का आय का प्रमुख स्रोत दान की राशि है। इसके अलावा, मंदिर प्रशासन दो अन्न क्षेत्रों के संचालन के लिए भी दान राशि एकत्र करता है।
6. पीतांबरा पीठ, दतिया
यह सिद्धपीठ भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। पीतांबरा पीठ का प्रबंधन शास्त्रियों द्वारा किया जाता है, और यहां गरीबों के उत्थान के लिए दान की राशि का उपयोग किया जाता है।
मंदिर और आय के स्रोत...
मंदिर का नाम | स्थान | आय के मुख्य स्रोत | श्रद्धालुओं की संख्या | विशेष जानकारी |
---|---|---|---|---|
महाकालेश्वर मंदिर | उज्जैन | चढ़ावा, सोना-चांदी, प्रसाद बिक्री (लड्डू प्रसाद) | सामान्य दिनों में 2-3 लाख | महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। |
मां शारदा देवी मंदिर | मैहर | दान, रोपवे आय, पार्किंग, दुकानें और धर्मशालाओं के किराए | रोजाना 40 हजार+ | यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है और त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। |
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग | खंडवा | चढ़ावा | रोजाना 15-20 हजार | ओंकारेश्वर मांधाता पर्वत पर स्थित है और नर्मदा नदी के बीच है। |
विजयासन माता मंदिर | सलकनपुर | दानपेटी चढ़ावा, दुकानें, पार्किंग शुल्क, धर्मशालाएं, कमरे | रोजाना 5-7 हजार, नवरात्रि में 1-1.5 लाख | मंदिर एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और यहां तक पहुँचने के लिए 1400 सीढ़ियां हैं। |
खजराना गणेश मंदिर | इंदौर | दान, अन्न क्षेत्र, अनुदान | रोजाना 15-20 हजार | इस मंदिर का प्रबंधन भट्ट परिवार करता है और यहां 1735 ई. में निर्माण हुआ था। |
पीतांबरा पीठ | दतिया | दान, पूजा अर्चना, राजसत्ता के भक्तों की पूजा | विशेष पूजा के समय अधिक | यह सिद्धपीठ महाभारत काल का वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग स्थित है। |
नोट: यह टेबल मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों की आय और श्रद्धालुओं की संख्या पर आधारित है।
दान राशि का उपयोग
धर्मगुरु स्वामी वेदतत्वानंद ने कहा है कि मंदिरों में दान राशि का उपयोग तीन क्षेत्रों में होना चाहिए
1. मंदिर का रखरखाव: दान से मिली राशि का इस्तेमाल मंदिर के रखरखाव और श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करने में होना चाहिए।
2. धार्मिक मार्गदर्शन: इस राशि का उपयोग समाज को धार्मिक शिक्षा और मार्गदर्शन देने के लिए किया जाना चाहिए।
3. गरीबों की मदद: जो पैसा बचता है, उसका उपयोग समाज के गरीब वर्ग के लिए किया जाना चाहिए, ताकि वे धर्म परिवर्तन से बच सकें।