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मध्यप्रदेश में मानसून से पहले तबादलों का मौमस आ चुका है। सरकार ने पचास हजार तबादलों की ही योजना बनाई है, लेकिन 24 मई तक तबादले के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। सबसे ज्यादा आवेदन स्कूल शिक्षा विभाग में हुए हैं। यहां पैंतीस हजार से ज्यादा कर्मचारी तबादला चाहते हैं। भोपाल जैसे शहर में एक पद के लिए चालीस से ज्यादा आवेदन आए हैं। उच्च शिक्षा विभाग में भी पोस्टिंग के लिए बड़ी संख्या में लोग आवेदन कर रहे हैं। राजस्व विभाग में आठ हजार और स्वास्थ्य विभाग में चार हजार से ज्यादा आवेदन मिले हैं। इतनी अधिक संख्या को देखते हुए सरकार तबादले की तारीख एक सप्ताह बढ़ाने पर विचार कर रही है।
तबादलों की दौड़ में आवेदन का अंबार
1 मई से 24 मई के बीच 1.5 लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। सरकार ने सिर्फ 50 हजार ट्रांसफर की योजना बनाई है। उसमें भी सबसे अधिक दबाव स्कूल शिक्षा विभाग में है, जहां 35 हजार आवेदन आए हैं। भोपाल जैसे शहरों में एक पद के लिए 40 से अधिक आवेदन मिल चुके हैं। राजस्व विभाग में 8 हजार, स्वास्थ्य विभाग में 4 हजार से अधिक आवेदन दर्ज हुए हैं।
विधायक की सहमति बनी अहम शर्त
जहां विधायकों के क्षेत्र में ट्रांसफर होने हैं, वहां विधायकों की सहमति को प्राथमिकता दी जा रही है।भाजपा और कांग्रेस दोनों के विधायकों की सिफारिश को महत्व मिल रहा है। विभागीय मंत्री खुद विधायकों को नाराज़ नहीं करना चाहते।
क्लास-1 और क्लास-2 ट्रांसफर पर सीधे सीएम का समन्वय
क्लास-1 और क्लास-2 के ट्रांसफर मुख्यमंत्री के समन्वय से होंगे। यहां नियम है कि एक जगह पर तीन साल से अधिक न हो तैनाती। पति-पत्नी के स्वेच्छा से एक स्थान पर ट्रांसफर की प्रक्रिया को भी प्राथमिकता मिल रही है।
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सीमित पदों वाले विभागों में भीड़ ज्यादा
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में 250 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 147 पद भर चुके हैं। यहां 10% नियम के अनुसार सिर्फ 14-15 ट्रांसफर ही हो सकते हैं। कोऑपरेटिव विभाग में स्थिति यही है, जहां सीमित पदों पर 50% से ज्यादा आवेदन आए हैं। जनजातीय विभाग में ट्रांसफर मंत्री की मंजूरी पर निर्भर हैं, लेकिन मंत्री के विवादों के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है।
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संविदाकर्मियों के ट्रांसफर की अलग शर्तें
ट्रांसफर चाहने वाले संविदा कर्मियों (contractual workers) को वर्तमान एग्रीमेंट खत्म करना होगा। नई जगह नया एग्रीमेंट (contract) किया जाएगा। प्रदेश में ढाई लाख संविदा कर्मचारी हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नीति जारी की है, अन्य 20 विभागों में भी यह लागू होगी।
तबादला तारीख बढ़ने की संभावनाएं
सरकार 31 मई के बाद एक सप्ताह की वृद्धि पर विचार कर रही है। पिछले तीन वर्षों से ट्रांसफर पर प्रतिबंध रहा, इसलिए इस बार अधिकारियों और कर्मचारियों में उत्साह अधिक है। कुछ सांसदों ने तबादला सिफारिश से खुद को अलग किया, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने अपने बंगले पर बोर्ड लगाया जिसपर लिखा है कि “तबादलों के लिए संपर्क न करें।”
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