तबादला नीति का तोड़ निकाला, प्रभारी मंत्रियों को सिर्फ खाली पदों पर ट्रांसफर के अधिकार देने की तैयारी

तबादला और पोस्टिंग को लेकर सरकार के पुराने अनुभव खराब रहे हैं। विपक्ष तबादला और पोस्टिंग में मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाता रहा है। लिहाजा, मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।

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Ravi Kant Dixit
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तबादलों के इंतजार में बैठे मध्यप्रदेश के हजारों कर्मचारियों की उम्मीदों को बड़ा झटका लग सकता है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार अब नई तबादला नीति नहीं लाएगी। इसके लिए बीच का रास्ता अपनाया गया है। अब प्रभारी मंत्रियों को सिर्फ विभागों में खाली पड़े पदों पर ही ट्रांसफर करने के अधिकार देने की तैयारी है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के निर्देश के बाद इस पर काम चल रहा है।  

नई ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर पूरी तैयारी हो गई थी। माना जा रहा था कि मंत्रियों को जिलों का प्रभार मिलते ही सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी ट्रांसफर पॉलिसी पर सीएम की मुहर लगवाकर इसे जारी कर देगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार ने बीच का रास्ता तलाश लिया है। 

क्या होगी प्रक्रिया समझिए

यदि कोई कर्मचारी आवेदन करता है तो प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर रिक्त पद पर उसका ट्रांसफर किया जा सकेगा। वहीं, यदि पद खाली नहीं हुआ तो तबादला नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए भोपाल जिले का कोई शिक्षक चाहता है कि उसका रायसेन जिले में तबादला हो जाए तो जहां वह शिक्षक तबादला चाहता है, वहां पद खाली होना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो तबादला नहीं होगा। 

क्यों नई आएगी तबादला नीति

तबादला और पोस्टिंग को लेकर सरकार के पुराने अनुभव खराब रहे हैं। विपक्ष तबादला और पोस्टिंग में मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाता रहा है। लिहाजा, मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। पहले माना जा रहा था कि 20 मार्च को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में तबादला नीति पर सहमति बन जाएगी और जीएडी इसे जारी कर देगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कैबिनेट बैठक में पुरानी ट्रांसफर पॉलिसी में ही संशोधन का रास्ता खोजा जाएगा। 

जून में हटाया था तबादलों से प्रतिबंध 

राज्य सरकार में करीब साढ़े सात लाख अधिकारी-कर्मचारी हैं। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा कर्मचारी अपना ट्रांसफर चाहते हैं, लेकिन अब चूंकि ट्रांसफर पॉलिसी आ ही नहीं रही है, ऐसे में उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले जून में शिवराज सरकार ने प्रदेश में 15 दिन के लिए ट्रांसफर से रोक हटाई थी। बाद में आवेदनों को देखते हुए इसे 7 दिन और बढ़ा दिया गया था। इसके पीछे मंशा यही थी कि चुनाव के ऐन पहले कर्मचारी वर्ग कहीं नाराज न हो जाए।  

तीन साल से नहीं आई तबादला नीति 

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2021 में ट्रांसफर पॉलिसी जारी की थी, तब प्रदेश में एक महीने के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया गया था। इसके बाद वर्ष 2022 व 2023 में ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लाई गई। मामूली संशोधनों के साथ तबादले होते रहे। अब विधानसभा चुनाव के बाद तय था कि नई ट्रांसफर पॉलिसी लाई जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने पूरा खाका खींच लिया था, लेकिन अब यह तय किया गया है कि सरकार ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लाएगी।

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