उपराष्ट्रपति धनखड़ ने किया 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है, जहां ऐसी सांस्कृतिक विरासत हो।

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Vikram Jain
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MP Ujjain 66th All India Kalidas Festival inaugurated
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BHOPAL. भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 66वां अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ किया। कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में इस समारोह में उपराष्ट्रपति ने शास्त्रीय संगीत, नृत्य, रंगमंच समेत अलग-अलग क्षेत्रों के कलाकारों को कालिदास राष्ट्रीय अलंकरण सम्मान देकर सम्मानित किया। अखिल भारतीय कालिदास समारोह 12 से 18 नवंबर तक चलेगा। इस समारोह कई प्रकार के व्याख्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

राज्यपाल ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने की। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पर्यटन एवं धार्मिक न्यास राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी और कौशल विकास व रोजगार राज्यमंत्री गौतम टेटवाल बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज भी बतौर अतिथि शामिल हुए।

अपने दायित्व का निर्वहन करें नागरिक

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जय महाकाल के जयकारे के साथ समारोह में संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास 5 हजार सालों की सांस्कृतिक विरासत है। भारत 2047 तक पूर्ण विकसित हो जाएगा, बस आप सभी अपने नागरिक दायित्व का निर्वहन करें और कुटुंब प्रबंधन का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि धार्मिक नगरी के इस ऐतिहासिक क्षण को हमेशा याद रखूंगा।

एक अच्छा नागरिक बनो ये ज्यादा जरूरी...

उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा बच्चा इंजीनियर बने, डॉक्टर बने, इन सबसे ज्यादा जरूरी है अच्छा नागरिक बने। जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभालकर नहीं रखता, वह ज्यादा दिन नहीं टिकता। कालिदास की मेघदूतम रचना से हमें यह सीख है कि प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हम लोगों के पास रहने के लिए धरती एक ही है।

2047 में सर्वेश्रेष्ठ बनेगा हमारा राष्ट्र

नागरिक कर्तव्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर जोर देना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें अपने दायित्वों के साथ इन अधिकारों का संतुलन भी बनाना होगा। नागरिकों के पास कुछ दायित्व होते हैं, जो उनकी जिम्मेदारी का हिस्सा हैं। हम एक महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमें राष्ट्रवाद में विश्वास है, और राष्ट्र हमारे लिए सर्वोच्च है। 2047 में हमारा राष्ट्र उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छुएगा। राष्ट्र को प्राथमिकता दें। इसके लिए देश में बलिदान हो रहा है। भारत की प्रगति अद्वितीय है।

महाकवि कालिदास की रचनाओं पर डाला प्रकाश

उन्होंने आगे कहा कि यह भगवान श्री कृष्ण की शिक्षास्थली है, विक्रमादित्य ने यहां ज्ञान प्राप्त किया। सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में यह नगरी न्याय के लिए जानी जाती थी। मानव और प्रकृति के बीच एक अटूट रिश्ता है जो कि हमें महाकवि कालिदास की रचनाओं को पढ़ने से पता चलता है। महाकवि ने पर्यावरण संरक्षण पर अपनी कई रचनाओं के माध्यम से ध्यान आकर्षित करवाया है। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने आयोजन को लेकर मध्य प्रदेश सरकार का धन्यवाद को दिया।

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