MP-UP की सरकार मिलकर करेगी सोलर प्रोजेक्ट की शुरुआत

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश मिलकर मप्र के 5 जिलों में 8 हजार मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित करेंगे। यह प्रोजेक्ट किसानों और आम जनता को 2.75 रुपए प्रति यूनिट की दर पर सस्ती बिजली उपलब्ध कराएगा, जो 2026 तक पूरा होगा।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) पहली बार एक बड़े सोलर ऊर्जा (Solar Energy) प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रहे हैं। दोनों राज्यों ने मिलकर मप्र के पांच जिलों मुरैना (Morena), शिवपुरी (Shivpuri), सागर (Sagar), आगर (Agar), और धार (Dhar) में 8 हजार मेगावाट का सोलर प्लांट (Solar Plant) लगाने का फैसला किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों और आम नागरिकों को सस्ती दर पर बिजली मुहैया कराई जाएगी।

प्रोजेक्ट की खासियत

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (Public Private Partnership) मॉडल के तहत यह प्रोजेक्ट चलाया जाएगा, जिसमें निजी कंपनी 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी।

प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 160 वर्ग किलोमीटर

इस सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली पहले दो तिमाही में यूपी को और बाकी छह महीनों में मप्र को सप्लाई की जाएगी। सिंचाई (Irrigation) और अन्य कृषि कार्यों के लिए बिजली की दर 6 रुपए की जगह 2.75 रुपए प्रति यूनिट रखी जाएगी, जिससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।

2026 तक पूरी होगी परियोजना

इस प्रोजेक्ट को 2026 तक पूरा करने की योजना है। मप्र के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के एसीएस मनु श्रीवास्तव (Manu Shrivastava) ने बताया कि इस परियोजना के लिए महज तीन महीने में सहमति बन गई थी। इस बारे में पहली बैठक मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Dr. Mohan Yadav) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के बीच हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2030 तक देश में नवकरणीय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य दिया है। इसके तहत, इस सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली भारत की ऊर्जा जरूरतों का 50% पूरा करने में मदद करेगी।

मानसून में पूरी होगी मप्र की बिजली जरूरत

मप्र और यूपी के बीच इस तरह का नवाचार (Innovation) बेहद जरूरी था, क्योंकि दोनों राज्यों में बिजली की मांग में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। मानसून के दौरान मप्र में इस प्रोजेक्ट से इतनी बिजली बन सकेगी, जो बिजली की जरूरत को पूरा कर सकेगी। 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर के बीच यूपी की औसत बिजली मांग 26,875 मेगावाट और मप्र की 13,154 मेगावाट थी।

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एक हजार मेगावाट पर 554 करोड़ रुपए की बचत

इस सोलर प्रोजेक्ट से कोयला-आधारित बिजली की तुलना में हर 1000 मेगावाट पर लगभग 554 करोड़ रुपए की बचत होगी। यह प्रोजेक्ट दोनों राज्यों के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन में एक नई क्रांति ला सकती है।

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