सात दशक बाद भारत की धरती पर फिर से चीते दौड़ रहे हैं। अब चीता संरक्षण प्रोजेक्ट ( Cheetah Conservation Project ) में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इसी क्रम में देश के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जंगलों को शामिल कर सबसे बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। इसका जिक्र नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर अपनी वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में किया है।
तीन राज्यों के 17 जिले
रिपोर्ट के मुताबिक तीनों राज्यों के 17 जिलों को शामिल किए जाने का प्लान है। जिसमें मध्य प्रदेश के 8, राजस्थान के 7 और उत्तर प्रदेश के 2 जिलों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही 5 साल के भीतर कूनो से गांधी सागर के बीच चीता कॉरिडोर (Cheetah Corridor ) बनाने का काम भी शुरू किया जाएगा।
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इन जिलों के जंगह होंगे शामिल
चीता संरक्षण क्षेत्र में तीन राज्यों के 17 जिलों के जंगल शामिल किया। जिसमें एमपी के शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर, अशोकनगर, गुना, नीमच और मंदसौर जिले शामिल होंगे। इनके अलावा राजस्थान के सवाई माधोपुर, बारां, करौली, झालावाड़, कोटा, चित्तौड़गढ़ और बूंदी जिले को शामिल किया जाएगा। इस संरक्षण क्षेत्र में यूपी के ललितपुर और झांसी जिले के जंगलों को शामिल किया जाएगा।
बनेगा सबसे बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र
एनटीसीए (NTCA) की रिपोर्ट के मुताबिक चीता संरक्षण क्षेत्र की सीमा एमपी के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park ) से शुरू होगी, और राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से होते हुए मध्य प्रदेश के मंदसौर के गांधी सागर सेंचुरी (Gandhi Sagar Century ) तक जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के भी कुछ भाग को इसमें शामिल किया जाएगा।
संरक्षण क्षेत्र से चीतों को मिलेगा सुरक्षित आवास
चीता संरक्षण क्षेत्र को पांच साल के भीतर तैयार करने की योजना है। इसमें गांधी सागर से कूनो के बीच चीता कॉरिडोर (Cheetah Corridor ) का निर्माण होगा। इस कॉरिडोर का उद्देश्य चीतों के संरक्षण को बेहतर बनाना और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना है। कूनो में चीतों को एक से डेढ़ वर्ग किलोमीटर के सीमित क्षेत्र में रखा गया है, जबकि एक चीते को सामान्य रूप से 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
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