एक ही फर्म पर मप्र हाउसिंग बोर्ड मेहरबान, टेंडर देने बदल डाले नियम

मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड यानि MPHIDB ने अपने यहां एक खास चार्टेड अकाउंटेंट कंसल्टेंसी फर्म को नियुक्त करने के लिए टेंडर की शर्तों के नियम ही मोडिफाई कर दिए। इतना ही नहीं जिस फर्म का अपॉइंटमेंट एक बार निरस्त हो चुका है..

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Rahul Garhwal
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MPHIDB changed the rules

MPHIDB ( Madhya Pradesh Housing and Infrastructure Board )

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संजय शर्मा @ BHOPAL

मप्र हाउसिंग बोर्ड यानि MPHIDB के टेंडर सवालों के घेरे में हैं। मामला बोर्ड के लिए चार्टेड अकाउंटेंट कंसल्टेंसी फर्म को अपाइंट करने से जुड़ा हुआ है। आरोप लग रहे हैं कि एक खास फर्म को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए बोर्ड ने टेंडर की शर्तों को ही मोडिफाई कर दिया, ताकि दूसरी फर्म हिस्सा ही न ले सकें। हाउसिंग बोर्ड की इस कार्यप्रणाली से बोर्ड के कमिश्नर चंद्रमौली शुक्ला की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। आइए समझते हैं क्या है पूरा मामला…

हाउसिंग बोर्ड को चाहिए वित्तीय सलाहकार, जो…

तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहे मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड MPHIDB ( Madhya Pradesh Housing and Infrastructure Board ) ने बोर्ड के वित्तीय सलाहकार के लिए टेंडर बुलाया है। इस टेंडर के जरिए ऐसी चार्टेड अकाउंटेंट कंसल्टेंसी फर्म का चयन किया जाना है जो हाउिसंग बोर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, फाइनेंशियल एनालिसिस, कैशफ्लो स्टेटमेंट, प्रोजेक्शन एस्टीमेट, बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस के प्रोजेक्शन के साथ ही विभिन्न वित्तीय संस्थाओं, कर्मचारी और अन्य से संबंधित दावों की जांच कर उनका निपटारा करवा सके। इसके अलावा फर्म फाइनेंशियल लिक्विडेटर, एडवोकेट से संबंधित मामलों में मध्यस्थता और हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड की जरूरत के हिसाब से विभिन्न प्रोजेक्ट पर अपनी रिपोर्ट और प्रेजेंटेशन भी तैयार कर सके। टेंडर में फॉर्म के संबंध में यह भी अपेक्षित किया गया है कि वह बोर्ड के लिए फंड जुटाने और वित्तीय संस्थानों से संबंधित सलाह भी बोर्ड को दे सके। 

पहले भी दो बार हो चुके टेंडर, लेकिन

इस मामले में हाउंसिंग बोर्ड पहले भी दो बार टेंडर जारी कर चुका है, मगर तब भी अन्य फर्म शामिल नहीं हुईं। क्योंकि नियम- शर्तें ही एक खास फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए मोडिफाई कर दिए गए। चूंकि टेंडर के नियम कहते हैं कि किसी एक कंपनी या फर्म के टेंडर में शामिल होने से उस टेंडर को मान्य नहीं किया जा सकता। लेकिन यह नियम दो बार ही लागू होता है। तीसरी बार भी अगर एक ही फर्म या कंपनी सिंगल बिड में आती है तो उसे टेंडर दिया जा सकता है। इस मामले में भी ऐसा ही खेल करने की तैयारी है। दरअसल इस मामले में मुछाल एंड गुप्ता फर्म ही हर बार पार्टिसिपेट कर रही है। टेंडर की शर्तों के कारण आने वाली सिंगल बिड के बाद भी आपत्तियों की अनदेखी कर यह टेंडर आज मंगलवार को खोला जा रहा है। इससे साफ जाहिर हो रहा है की बोर्ड के अधिकारी एक फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा रखते हैं। 

यह नियम कर दिए मोडिफाई

  • मध्य प्रदेश राज्य की ओर से बैंक और वित्तीय संस्थान, श्रमिकों के साथ चल रहे प्रकरणों में देनदारियों के निराकरण का अनुभव हो, जो कम से कम 100 करोड़ रुपए का होना चाहिए।
  • 10 वर्षों में प्रदेश सरकार की यूएलबी के लिए 100 से 500 करोड़ या 700 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाने का अनुभव भी संबंधित फर्म के लिए आवश्यक किया गया है। 

इन शर्तों की वजह से ही अन्य फर्म इस बिड में शामिल होने से कतरा रही हैं, क्योंकि उन्हें निविदा में शामिल होने के बदले में जमा की गई राशि और अन्य शुल्क का भुगतान अटकने का अंदेशा भी है। जबकि मध्यप्रदेश के बाहर अन्य राज्यो के लिए फाइनेंशियल कंसल्टेंट के रूप में काम करने वाली फर्म भी इसके बाहर हो जाएंगी। वहीं टेंडर से पहले कंफ्यूजन दूर करने प्री बिड मीटिंग अरेंज करना भी बोर्ड ने जरूरी नहीं समझा। एक वित्तीय फर्म से जुड़े कंसल्टेंट का कहना है कि सरकारी संस्थाओं में इस तरह के प्रकरणों के लिए कंसलटेंट अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया में ऐसी शर्तें बेमानी हैं। अन्य फर्म इनके बिना भी बेहतर सलाहकार का काम कर सकती हैं। शर्तों को जिस तरह से मॉडिफाई किया गया है, वह साफ इशारा करता है कि बोर्ड किसी पर विशेष फर्म को लाभान्वित करना चाहता है। 

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मुछाल एंड गुप्ता फर्म पर ही मेहरबानी क्यों

मुछाल एंड गुप्ता फर्म को इससे पहले भी हाउसिंग बोर्ड दो बार अपना वित्तीय सलाहकार बना चुका है, मगर दोनों ही मामलों में विवादित स्थिति बनने के बाद कंसल्टेंसी से हटा दिया गया। इसे बाद भी तीसरी बार एकमात्र यही फर्म टेंडर लेने की तैयारी में है। जिस फर्म का टेंडर होने के बाद अपॉइंटमेंट निरस्त किया जा चुका है, उसी फर्म को बोर्ड द्वारा काम देने का उतावलापन भी समझ से परे है। 

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