संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग 2023 ( एमपी पीएससी 2023 ) की प्री को लेकर मप्र हाईकोर्ट का औपचारिक लिखित फैसला जारी हो गया है। इस 51 पेज के लंबे आर्डर में हाईकोर्ट ने MP PSC 2023 की प्री के दो सवालों के जवाब को खारिज कर दिया है। इस आदेश के बाद अब कटऑफ के बार्डर पर अटके उम्मीदवारों के लिए स्पेशल मेंस के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की विंडो खुल गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी द्वारा दमदारी से उम्मीदवारों की बात रखी गई थी। वहीं, पीएससी की ओर से एजी प्रशांत सिंह ने पुरजोर बात रखते हुए कोशिश की गई कि पीएससी की परीक्षा प्रक्रिया में कोई व्यवधान नहीं आए। आखिर में तिवारी के तर्कों पर हाईकोर्ट सहमत हुआ।
हाईकोर्ट के फैसले के अहम बिंदु
1- यह फैसला केवल याचिकाकर्ताओं पर ही नहीं बल्कि सभी पर लागू होगा।
2- विलियम बैंटिक से जुडा प्रेस की स्वतंत्रता वाला सवाल ही गलत है। इसलिए इसे डिलीट माना जाएगा। ( MPPSC का नियम है कि डिलीट प्रश्न के दो अंक सभी को मिलते हैं, यानी सभी प्री में शामिल उम्मीदवारों को यह दो अंक मिलेंगे )
3- वहीं एम्च्योर कबड्डी संघ का मुख्यलाय का सही जवाब जयपुर होगा, जबकि पीएससी ने दिल्ली माना था। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन्होंने जयपुर आंसर दिया, उन्हें दो अंक दिए जाएंगे और जिन्होंने दिल्ली या अन्य जवाब दिया उनके दो अंक काटे जाएंगे।
4- राज्य सेवा परीक्षा मेंस 2023 हो चुकी है। इसलिए इसमें यही किया जा रहा है कि जिन याचिकाकर्तओं को ( जो करीब 50 थे ) मेंस में बैठने की अंतरिम राहत दी थी, उन्हें इन दो सवालों के अंक इसी आधार पर दिए जाएंगे और वह इसके बाद कटऑफ में आते है तो ही उनकी मेंस की कॉपियां जांची जाएं और आगे की प्रक्रिया में लिया जाए, नहीं तो वह फेल माने जाएंगे। ( याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने कहा कि यह बात केवल याचिकाकर्ताओं के लिए कही गई है, जो अन्य सभी मेंस में शामिल थे, उनके लिए नहीं कही गई है, यानि वह इससे प्रभावित नहीं होंगे )
5- राज्य वन सेवा 2023 की मेंस अभी नहीं हुई है वह 30 जून को होना है, इसलिए हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिए कि इन दो प्रश्नों के नए सिरे से अंक देखते हुए फिर से प्री का रिजल्ट जारी कर आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
अब स्पेशल मेंस का रास्ता कैसे खुलता है?
जानकारों के अनुसार जब हाईकोर्ट ने राज्य वन सेवा की प्री का रिजल्ट फिर से जारी करने के आदेश दिया है और साथ ही याचिकाकर्ताओं के लिए भी कहा जो मेंस में सशर्त बैठे थे कि उनके अंक दोनों प्रश्नों के आधार पर देखा जाएं और फिर ही उन्हें पास मानकर मेंस की कॉपिया जांची जाएं। ऐसे में साफ है कि इन दो अंकों के आधार पर परीक्षा में बैठे करीब दो लाख उम्मीदवार भी अपने आंसर के आधार पर अंक चेक कर सकते हैं और यदि वह नए सिरे से कटऑफ के दायरे में आ रहे है तो वह भी मेंस में बैठने की मांग फिर से कर सकते हैं।
केवल इस आधार पर कि राज्य वन सेवा मेंस नहीं हुई इसलिए उसके प्री रिजल्ट को फिर जारी किया जाएगा और राज्य सेवा मेंस हो चुकी है इसलिए इसे नहीं किया जा सकता है, यह अन्य उम्मदीवारों के लिए अन्याय होगा। हाईकोर्ट का स्पेशल मेंस के लिए आदेश नहीं करना इसलिए पूरी तरह सही है क्योंकि इसकी मांग मूल याचिका में थी ही नहीं, क्योंकि यह मेंस के पहले लगी थी, लेकिन दुर्भाग्य से यह फैसला 11 मार्च के पहले नहीं आया।
इसलिए उम्मीदवारों को हाईकोर्ट के ही फैसले को आधार बनाकर फिर से स्पेशल मेंस की मांग करना होगी। जब राज्य वन सेवा की प्री रिजल्ट को फिर रिवाइज किया जा सकता है तो उनका क्यों नहीं? राज्य सेवा 2019 में तो पीएससी ने किया था और खुद ही दो बार रिजल्ट जारी किया और स्पेशल मेंस भी हुई। भले ही जो अंदर हो चुके मेंस दे चुके उन्हें बाहर नहीं किया जाए लेकिन नए पासआउट के लिए तो मेंस का अधिकार बनता है।