MPPSC ने इंटरव्यू बोर्ड पर उठ रहे सवाल को दूर करने लिया बड़ा फैसला, ये सब रहेगा गोपनीय

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (PSC) ने इंटरव्यू बोर्ड में भेदभाव को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब आयोग ने उम्मीदवारों से इंटरव्यू के दौरान ली जाने वाली जानकारी का फार्मेट सरल और छोटा बना दिया है। पहले 5 पन्नों का फार्मेट था।

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Sanjay Gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने द सूत्र द्वारा उठाए गए एक अहम मुद्दे पर विचार करने के बाद बड़ा फैसला किया है। यह मुद्दा है इंटरव्यू बोर्ड में उम्मीदवारों के बीच अंक देने पर भेदभाव को लेकर।

इसे लेकर अब आयोग ने उम्मीदवारों से इंटरव्यू के दौरान ली जाने वाली जानकारी का फार्मेट बदल दिया है।

इंटरव्यू का पुराना फार्म...

इंटरव्यू का नया फार्म...

यह है मुद्दा 

राज्य सेवा परीक्षा 2022 के जनवरी माह में आए अंतिम रिजल्ट के बाद द सूत्र ने इस रिजल्ट का एनालिस किया और इसमें चौंकाने वाले खुलासे किए थे।

इसमें बताया था कि लिखित परीक्षा में अधिक अंकों के बाद भी ऐसे उम्मीदवार इंटरव्यू में मिले कम अंकों के चलते टॉपर नहीं बन पाते और कई बार इन्हें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पद की जगह कुल अंक कम हो जाने से नीचे तृतीय श्रेणी के पदों पर पहुंच जाते हैं।

उम्मीदवारों द्वारा भी इसमें लगातार आरोप लगाए जा रहे थे कि पीएससी के बोर्ड द्वारा उम्मीदवारों के साथ भेदभाव किया जाता है और सरनेम, कैटेगरी जैसी बातों से भी अंक तय किए जाते हैं।

यह भी आरोप लगे थे कि यदि प्रभावी व्यक्ति, नेता, अधिकारी का बेटा है तो उसे भी अधिक अंक मिल जाते हैं।

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अब आयोग ने यह किया बदलाव

आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2023 के 7 जुलाई से इंटरव्यू होना है। इसके पहले अब आयोग ने इंटरव्यू बोर्ड पर उठने वाले सवालों को दूर करने के लिए इंटरव्यू बोर्ड के लिए भरे जाने वाले फार्म का फार्मेट बदल दिया है।

पहले यह पांच पन्नों का होता था औऱ् इसमें उम्मीदवारों से कई जानकारियां ली जाती थी। इसमें उसका पूरा नाम (सरनेम के साथ), कैटेगरी यह सब विस्तृत होता था, लेकिन अब केवल एक पन्ने की जानकारी मांगी गई है।

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इंटव्यू बोर्ड में आयोग का मेंबर होता है

इंटरव्यू बोर्ड आयोग के सदस्यों के हिसाब से बनता है। हर इंटरव्यू बोर्ड में कुल चार सदस्य होते हैं, इसमें एक सदस्य आयोग का मेंबर होता है बाकी तीन विशेषज्ञ होते हैं।

अभी आयोग में चेयरमैन सहित चार सदस्य है (कुल पांच होते हैं लेकिन अभी एक पद खाली है), इसलिए अधिकतम चार इंटरव्यू बोर्ड बनते हैं।

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नए फार्मेट में बस यह जानकारी देना है

  • हर उम्मीदवार का एक कोड होगा जो आयोग फार्म पर लिखेगा
  • उम्मीदवार का नाम होगा बिना मिडिल और सरनेम के
  • निवास स्थान और केवल शहर का नाम होगा
  • शैक्षणिक योग्यता
  • एक्स्ट्रा कुरीकुलर, एनसीसी, एनएसएस आदि की जानकारी
  • विशेष योग्यता, कार्यानुभव, उपलब्धि
  • सेवा में है तो उसकी जानकारी
  • हॉबीज
  • अतिरिक्त जानकारी
  • शासकीय सेवा में आने का उद्देश्य

(उम्मीदवार द्वारा एक पन्ने में दी गई इसी जानकारी को इंटरव्यू बोर्ड में दिया जाएगा)

पहले यह जानकारी मांगी जाती थी

  • आवेदन नंबर, पंजीयन व रोल नंबर
  • आवेदक का पूरा नाम
  • पिता या पति का पूरा नाम
  • जन्म तारीख
  • जन्म स्थान शहर, तहसील, जिला, राज्य
  • मप्र निवासी है तो कब से रह रहा है
  • आवेदक मप्र में आरक्षित किस कैटेगरी से है, एसटी, एससी, ओबीसी, ओबीसी क्रीमेलयर, ईओडब्ल्यूएस
  • आवेदक का आधार नंबर
  • आवेदक का मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी
  • शैक्षणिक योग्यता
  • किसी सेवा में हैं या रहे हो तो जानकारी
  • क्या भारत के नागरिक है
  • क्या विवाहित है
  • क्या दिव्यांग कैटेगरी में हैं है तो किस प्रकार की दिव्यांगता
  • क्या भूतपूर्व सैनिक है
  • क्या पहले किसी परीक्षा में वंचित किया गया
  • क्या हाईकोर्ट के आदेश से आप परीक्षा में शामिल हो रहे हैं

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आयोग ने यह बताया

आयोग के ओएसडी डॉ. रविंद्र पंचभाई ने कहा कि इंटरव्यू के लिए भरे जाने वाले नए फार्मेट को जारी कर दिया है। राज्य सेवा परीक्षा 2023 के इंटरव्यू तय समय पर 7 जुलाई से ही होंगे।

इस नए फार्मेट को काफी सरल और छोटा बनाया गया है और इसमें उम्मीदवारों की कैटेगरी, सरनेम आदि की जानकारी की जरूरत नहीं है। आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है।

उम्मीदवारों की ओर से जो भी बातें संज्ञान में लाई जाती है और सुझाव आते हैं. उन पर आयोग विचार कर समय समय पर बदलाव करता है।

द सूत्र ने यह उठाया था मुद्दा

मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2022 के अंतिम रिजल्ट के बाद द सूत्र ने इसका एनालिस किया। इसमें पाया कि परीक्षा में देवास की दीपिका पाटीदार ने टॉप किया, लेकिन इंटरव्यू में मिले अंकों ने कई उम्मीदवारों को डिप्टी कलेक्टर की बजाय नायब तहसीलदार यानी निचले पायदान पर पहुंचा दिया।

द सूत्र ने इन चयनित करीब 400 उम्मीदवारों के अंकों को देखा तो खुलासा हुआ कि मेंस यानी लिखित परीक्षा के हिसाब से देखा जाए तो टॉपर दीपिका नहीं बल्कि विवेक पटेल होते हैं जिन्हें सबसे ज्यादा अंक मिले थे।

क्या हुआ था 2022 की भर्ती इंटरव्यू में

विवेक पटेल को मेंस में 1400 में से सबसे ज्यादा 797.50 अंक मिले लेकिन उन्हें इंटरव्यू के 175 अंकों में से केवल 63 अंक दिए गए, इसके चलते कुल अंक 843.25 हुए। वह डिप्ट कलेक्टर में वेटिंग में आए और अंतिम चयन में वह सहायक संचालक स्कूल शिक्षा पद पर आए।

टॉपर दीपिका पाटीदार को में में 756.75 अंक ही थे लेकिन इंटरव्य में उन्हें 175 में से 146 मिले, कुल अंक 902.75 हुए और वह टॉप कर गई।

इंटरव्यू में केवल विवेक के साथ यह नहीं हुआ, राम को मेंस में 768.25 अंक मिले लेकिन इंटरव्यू में उन्हें 75 ही अंक मिले और वह 843.25 अंक के साथ डिप्टी कलेक्टर बनने की जगह स्कूल संचालक पद पर आ गए।

इसी तरह एक उम्मीदवार है वैदिक गोययल उन्हें मेंस में 746.25 अंक मिले, लेकिन इंटरव्यू में मात्र 85 अंक प्राप्त हुए और कुल अंक 831.25 के साथ वह उच्च पद की जगह नायब तहसीलदार की वेटिंग में पहुंच गए।

इसी तरह मेंस में 769 अंक लाने वाली नेहा अग्रवाल को इंटरव्यू में 100 ही अंक मिले और वह  869 अंकों के साथ डीएसपी पद पर चयनित हुई जो वह डिप्टी कलेक्टर बनती।

मेंस में  753.25 अंक लाने वाले यशपाल स्वर्णकार को मात्र 67 अंक इंटरव्यू में मिले और वह डिप्टी कलेक्टर बन सकते थे लेकिन इटंरव्यू के चलते मात खाकर वाणिज्यिक कर इंस्पैक्टर पर पहुंच गए।  

उम्मीदवारों को 175 में से  42 से 155 अंक आए

यह केवल कुछ उदाहरण है ऐसे उम्मीदवारों से पूरी लिस्ट भरी पड़ी हुई है। इंटरव्यू में 175 में से न्यूनतम 42 अंक मिले हैं और अधिकतम 155 अंक मिले हैं।

इंटरव्यू में जिन उम्मीदवारों को 130 से 155 के बीच अंक मिल गए हैं और वह एकदम से जंप कर ऊपर आए हैं और वहीं 100 से कम अंक पाने पर मेंस में अधिक अंक के बाद भी उन्हें मनचाहा पद नहीं मिल पाया है औऱ वह काफी पीछे पहुंच गए, कुछ तो अंतिम चयन से ही बाहर हो गए।

PSC आंदोलन की यह भी मांग थी कम अंक हो

पीएससी के बाहर चार दिन तक हुए महाआंदोलन के दौरान यह भी प्रमुख मांग थी कि आयोग में सुधार के लिए इंटरव्यू के अंक 100 से अधिक नहीं हो, क्योंकि इसके चलते उम्मीदवारों को बहुत नुकसान होता है।

नेशनल यूथ एजुकेटेड यूनियन के राधे जाट ने कहा था कि चयन सूची से साफ दिख रहा है कि किस तरह मेंस के टॉपर को कम अंक मिले और वह पीछे चले गए और कम अंक वाले इंटरव्यू की बदौलत डिप्टी कलेक्टर जैसे पद पा गए, इससे अधिक होनहार युवाओं का भविष्य खराब होता है।\

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