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MPPSC Photograph: (the sootr)
INDORE : मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2022 के अंतिम रिजल्ट शनिवार शाम को जारी किए गए। इसमें देवास की दीपिका पाटीदार ने टॉप किया, लेकिन इंटरव्यू में मिले अंकों ने कई उम्मीदवारों को डिप्टी कलेक्टर की बजाय नायब तहसीलदार यानी निचले पायदान पर पहुंचा दिया। द सूत्र ने इन चयनित करीब 400 उम्मीदवारों के अंकों को देखा तो खुलासा हुआ कि मेन्स यानी लिखित परीक्षा के हिसाब से देखा जाए तो टॉपर दीपिका नहीं बल्कि, विवेक पटेल होते हैं जिन्हें सबसे ज्यादा अंक मिले थे। वहीं इंटरव्यू में सर्वाधिक अंक छिंदवाड़ा की परासिया विधानसभा सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक रहे ताराचंद बावरिया के पुत्र और वर्तमान में जनपद सीईओ इंदौर संस्कार बारविया को मिले हैं। इसके पहले भी उन्हें इंटरव्यू में 161 अंक तक आ चुके हैं।
(द सूत्र किसी के भी चयन पर सवाल नहीं उठा रहा है, क्योंकि उम्मीदवार सालों तक मेहनत करते हैं और चयनित हो पाते हैं। हम केवल यह बता रहे हैं कि इंटरव्यू के अंकों में बहुत ज्यादा अंतर होने के चलते अंतिम चयन में किस तरह से मेरिट बदल जाती है और मेंस में अधिक अंक लाने वाला भी डिप्टी कलेक्टर की जगह निचले पदों पर चला जाता है और निचले पद वाला उम्मीदवार इंटरव्यू के चलते जंप कर उच्च पद पर आ जाता है, इसलिए इंटरव्यू के अंकों का वेटेज कम किए जाने की जरूरत है, जिससे केवल इंटरव्यू के कारण किसी भी तरह से अंतिम चयन में बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हो सके)
संस्कार को इंटरव्यू में मिले सर्वाधिक अंक
इंटरव्यू कुल 175 अंक का था और मेंस के 1400 अंक थे। कुल 1575 अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट बनी है। इंटरव्यू में सर्वाधिक अंक 155 मिले हैं जो तीन उम्मीदवारों के आए हैं।
संस्कार बावरिया को मेंस में 715.75 अंक आए और इंटरव्यू में 155, इस तरह उन्हें कुल 870.75 अंक आए और एससी कैटेगरी से वह डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित हुए।
संस्कार अभी इंदौर जनपद पंचायत सीईओ इंदौर के पद पर है, वह जेल सुप्रीडेंट के पद पर भी चयनित हो चुके हैं वह लगातार चयनित हो रहे हैं और इंटरव्यू दे रहे हैं और अब उनका लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनने का पूरा हुआ है।
पूजा उपाध्याय को मेंस में 690 अंक आए और इंटरव्यू में 155, उन्हें कुल 845 अंक आए और वह सहायक संचालक स्कूल के पद पर चयनित हुई।
संजीव बोगले को मेंस में 618 और इंटरव्यू में 155 मिले, कुल 773 अंक हुए और वह डिप्टी कलेक्टर की वेटिंग में हैं और चयन जिला आबाकारी अधिकारी के पद पर हुआ है।
MPPSC की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं?
— Umang Singhar (@UmangSinghar) January 19, 2025
प्रदेश सरकार पर ये सवाल खड़े होते हैं:-
- जब आयोग छात्रों के लिए है, तो उनकी बात क्यों नहीं सुनी जाती?
- परीक्षा समय पर क्यों नहीं आयोजित होती?
- इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की जा रही है?
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सत्ताधारी BJP नेता के पुत्र को interview में 161 नंबर दिए गए पिछले तीन सालों से भी इन्हें interview में 160 number दिए जा रहे हैं इस बार finally डिप्टी कलेक्टर का पद दिया गया #mppsc #mppsc_इंटरव्यू_घोटाला #MPPSC_इंटरव्यू_घोटाला @NSUIMP @AASHU_NSUI @Radhejat1983 @NEYU4INDIA pic.twitter.com/2pGALmY1XD
— Apeksha suryawanshi (@apekshasuryawa1) January 19, 2025
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तो दीपिका नहीं पटेल होते पीएससी टॉपर
विवेक पटेल को मेंस में 1400 में से सबसे ज्यादा 797.50 अंक मिले लेकिन उन्हें इंटरव्यू के 175 अंकों में से केवल 63 अंक दिए गए, इसके चलते कुल अंक 843.25 हुए। वह डिप्ट कलेक्टर में वेटिंग में आए और अंतिम चयन में वह सहायक संचालक स्कूल शिक्षा पद पर आए।
टॉपर दीपिका पाटीदार को में में 756.75 अंक ही थे लेकिन इंटरव्य में उन्हें 175 में से 146 मिले, कुल अंक 902.75 हुए और वह टॉप कर गई।
इंटरव्यू में केवल विवेक के साथ यह नहीं हुआ, राम को मेंस में 768.25 अंक मिले लेकिन इंटरव्यू में उन्हें 75 ही अंक मिले और वह 843.25 अंक के साथ डिप्टी कलेक्टर बनने की जगह स्कूल संचालक पद पर आ गए।
इसी तरह एक उम्मीदवार है वैदिक गोययल उन्हें मेंस में 746.25 अंक मिले, लेकिन इंटरव्यू में मात्र 85 अंक प्राप्त हुए और कुल अंक 831.25 के साथ वह उच्च पद की जगह नायब तहसीलदार की वेटिंग में पहुंच गए।
इसी तरह मेंस में 769 अंक लाने वाली नेहा अग्रवाल को इंटरव्यू में 100 ही अंक मिले और वह 869 अंकों के साथ डीएसपी पद पर चयनित हुई जो वह डिप्टी कलेक्टर बनती।
मेंस में 753.25 अंक लाने वाले यशपाल स्वर्णकार को मात्र 67 अंक इंटरव्यू में मिले और वह डिप्टी कलेक्टर बन सकते थे लेकिन इटंरव्यू के चलते मात खाकर वाणिज्यिक कर इंस्पैक्टर पर पहुंच गए।
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यह केवल कुछ उदाहरण, 42 से 155 तक अंक आए
यह केवल कुछ उदाहरण है ऐसे उम्मीदवारों से पूरी लिस्ट भरी पड़ी हुई है। इंटरव्यू में 175 में से न्यूनतम 42 अंक मिले हैं और अधिकतम 155 अंक मिले हैं। इंटरव्यू में जिन उम्मीदवारों को 130 से 155 के बीच अंक मिल गए हैं और वह एकदम से जंप कर ऊपर आए हैं और वहीं 100 से कम अंक पाने पर मेंस में अधिक अंक के बाद भी उन्हें मनचाहा पद नहीं मिल पाया है औऱ वह काफी पीछे पहुंच गए, कुछ तो अंतिम चयन से ही बाहर हो गए।
प्रभु शर्माजी के बोर्ड में नहीं आए इंटरव्यू
उधर लगातार देखने में आ रहा है बोर्ड मेंबर डॉ. कृष्ण कांत शर्मा के बोर्ड में इंटरव्यू आने वाले उम्मीदवार की मुश्किलें बढ जाती है। उनके द्वारा काफी टफ तरीके से मार्किंग की जाती है, जिसके चलते इंटरव्यू में कम अंक आते हैं। वहीं अन्य बोर्ड मेंबर चेयरमैन डॉ. राजेश लाल मेहरा हो, चंद्रशेकर रायकवार या फिर नरेंद्र कुमार कोषठी इनके बोर्ड में उम्मीदवारों को अधिक बेहतर अंक मिल रहे हैं। एक उम्मीदवार ने द सूत्र को बताया कि उनके साथ के 22 लोगों ने उनकी बोर्ड में इस बार इंटरव्यू दिया और किसी का भी चयन नहीं हुआ है।
पीएससी आंदोलन की यह भी मांग थी कम अंक हो
पीएससी के बाहर चार दिन तक हुए महाआंदोलन के दौरान यह भी प्रमुख मांग थी कि आयोग में सुधार के लिए इंटरव्यू के अंक 100 से अधिक नहीं हो, क्योंकि इसके चलते उम्मीदवारों को बहुत नुकसान होता है। इस बार भी यही देखा गया। आंदोलन करने वाले नेशनल यूथ एजुकेटेड यूनियन के राधे जाट ने कहा कि चयन सूची से साफ दिख रहा है कि किस तरह मेंस के टॉपर को कम अंक मिले और वह पीछे चले गए और कम अंक वाले इंटरव्यू की बदौलत डिप्टी कलेक्टर जैसे पद पा गए, इससे अधिक होनहार युवाओं का भविष्य खराब होता है, यही सब तो हमारी लड़ाई है जो सरकार को और आयोग को पसंद नहीं आ रही है। वहीं आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इंटरव्यू के अंकों का वेटेज 12.50 फीसदी तक हो सकता है और हमारा इससे कम ही है। रही बात ज्यादा-कम अंकों की तो यह पर्सनालटी टेस्ट होता है, जरूरी नहीं जो मेंस में ज्यादा अंक लाए वह इसमें भी अधिक अंक लाए। सरकारी सेवक के लिए कई पक्ष देखे जाते हैं।