मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा व राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 की प्री 23 जून को हो रही है। इसके लिए मप्र में 1.83 लाख आवेदकों ने आवेदन किए हैं, लेकिन हाल के सालों में सबसे कम पदों को देखकर उम्मीदवार हताश है।
राज्य सेवा के लिए मात्र 110 पद है, यानी उम्मीदवारों की संख्या से तुलनात्मक देखें तो एक पद के लिए 1663 उम्मीदवारों के बीच में कठिन प्रतिस्पर्धा होने वाली है। पीएससी शासन को रिक्त पदों की जानकारी भेजने के लिए पत्र भेज चुका है, लेकिन शासन से अभी तक इन रिक्त पदों की और जानकारी नहीं भेजी गई है।
कितने पदों के लिए हो रही परीक्षा
राज्य सेवा परीक्षा के लिए मात्र 110 पद है, वहीं राज्य वन सेवा के लिए केवल 14 पद ही है। राज्य सेवा में डिप्टी कलेक्टर के 15, डीएसपी के 22 पद, 7 पद अतिरिक्त सहायक विकास आयुक्त व अन्य पद है। इंदौर में 33 हजार उम्मीदवार इसमें शामिल होंगे।
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पद बढ़ाने के लिए क्या चल रहा है
पद बढ़ाने के लिए आयोग को पत्र लिख चुका है, लेकिन 6 जून तक आचार संहिता के चलते इसको लेकर कोई भी हलचल विभागों में नहीं हुई। जानकारी के अनुसार अब विभाग इन रिक्त पदों की जानकारी बना रहे हैं।
इसमें आरक्षण आदि का रोस्टर चेक किया जा रहा है। इसके बाद यह जानकारी आयोग को भेजेंगे। लेकिन अभी भी यह स्थिति साफ नहीं है कि कितने रिक्त पद की जानकारी और आयोग के पास जाएगी। नियमों के अनुसार पीएससी प्री का रिजल्ट घोषित होने के पूर्व तक रिक्त पदों को जोड़ सकता है। ऐसे में उम्मीदवार इन पद बढ़ने की उम्मीद में हैं।
हाल के सालों में सबसे कम पद
साल 2019 की राज्य सेवा परीक्षा 571 पदों, 2020 की राज्य सेवा परीक्षा 260 पदों, 2021 की राज्य सेवा परीक्षा 290 पदों, 2022 की राज्य सेवा परीक्षा 457 पदों और 2023 की राज्य सेवा परीक्षा 229 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की गई थी।
वहीं पहले जहां 3.50 लाख से ज्यादा उम्मीदवार फार्म भरते थे वहीं कम पदों को देखते हुए मात्र 1.83 लाख आवेदकों ने ही फार्म भरे हैं।
उम्मीदवारों की मांग 500 पद तो हो
वहीं उम्मीदवारों की लगातार मांग है कि 87-13 फीसदी फार्मूले में वैसे ही आयोग 13 फीसदी पद होल्ड कर देगा। साल 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 की परीक्षाओं में यही हुआ और आगे भी यही होगा। प्री का कटऑफ पहले ही 80 फीसदी पर टच हो चुका है।
जब पद इतने कम होंगे तो फिर यह 85-90 तक चला जाएगा। इन सभी से मानसिक तनाव बढ़ रहा है, पद की संख्या कम से कम 500 तो होना ही चाहिए, तभी इन परीक्षाओं के होने का मतलब है, नहीं तो यह मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है।
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