नगर निगम के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले के मामले में FIR कराने वाले इंजीनियर सुनील गुप्ता बेआबरू होकर निगम की बैठक से बाहर किए गए। इसके बाद उन्हें निगमायुक्त शिवम वर्मा ने रिलीव करने का आर्डर जारी कर दिया।
इस घटना के बाद अब गुप्ता ने नौकरी ही छोड़ने के लिए VRS का आवेदन दे दिया है। इसके लिए नियमानुसार वेतन की राशि 1.60 लाख का चेक भी जमा करा दिया है। गुप्ता छह वर्षों से ड्रेनेज विभाग में कार्यरत थे।
डीसीपी से मांगी सुरक्षा, बोले मुझसे सभी दुश्मनी रखते हैं
गुप्ता ने इसके साथ ही पुलिस डीसीपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मैंने निगमा घोटाले में एफआईआर कराई। इसके चलते सभी मुझसे दुश्मनी रखते हैं। मुझे और परिवार को जान का खतरा है, इसलिए मुझे सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
यह हुआ था बैठक में
एमआईसी बैठक में मेंबर मनीष मामा और जितेंद्र यादव ने खड़े होकर विरोध किया और कहा कि यह खुद भ्रष्टाचार के आरोपी है और यहां क्यों बैठे हैं? यह बैठक में रहेंगे तो हम नहीं बैठेंगे। अपर आयुक्त सिद्दार्थ जैन ने समझाने की कोशिश की लेकिन विरोद बढ़ गया। इसके बाद महापौर और निगमायुक्त ने बैठक से जाने का बोल दिया और गुप्ता फाइल उठाकर चले गए।
उनका मुरैना पहले ही ट्रांसफर हो चुका था लेकिन निगम की जांच चलते देख रिलीव नहीं किया था। बैठक के बाद निगमायुक्त ने रिलीव लैटर जारी कर दिया। इसके बाद अब उन्होंने वीआरएस आवेदन किया।
अभय राठौर और उनकी पत्नी ने भी लगाए आरोप
उधर अभय राठौर और उनकी पत्नी ने भी गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इनके आरोप है कि गुप्ता की इस घोटाले का मुख्य आरोपी है और उसने खुद को बचाने के लिए हम सभी के खिलाफ केस दर्ज कराया है।
गुप्ता और टीआई विजय सिंह सिसौदिया की मिलीभगत है, उनके चलते यह सब केवल बयानों के आधार पर केस हमारे खिलाफ कराए गए हैं। राठौर की पत्नी ने कोर्ट में परिवाद भी लगाया है।
गुप्ता ने यह किया
तत्कालीन निगमायुक्त हर्षिका सिंह को फर्जी फर्मों के भुगतान की जानकारी लगने पर उन्होंने जांच कराई। इसमें गुप्ता ने फाइलों को जांचा और इन्हें निकाला। लेकिन 3 मार्च 2024 को उनकी कार की डिक्की से ही यह मूल फाइल चोरी हो गई, जिसका केस दर्ज कराया गया।
बाद में अन्य दस्तावेजों के आधार पर अप्रैल में निगमायुक्त शिवम वर्मा के निर्देश पर गुप्ता ने फर्जी फर्म के खिलाफ पहला केस दर्ज कराया। फिर आरोपियों के बयान पर अभय राठौर व निगम के अन्य अधिकारी भी एक-एक कर आरोपी बनते गए।
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