मध्यप्रदेश में नगर पालिका, नगर परिषद अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के बाद अब नगर निगमों के अध्यक्षों को सुरक्षा कवच मिलेगा। प्रदेश में नगर निगम अध्यक्ष और सभापति को हटाने के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत होगी। किसी भी नगर निगम में तीन साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। शीतकालीन सत्र में इसे विधेयक के तौर पर विधानसभा के पटल पर लाने की तैयारी है। जरूरी बदलाव के लिए फाइल चल गई है।
मोहन सरकार मध्यप्रदेश नगर निगम एक्ट में संशोधन करते हुए यह फेरबदल करेगी। इस फैसले से नगर निगम के अध्यक्ष व सभापतियों को अविश्वास प्रस्ताव से राहत मिलेगी। उन्हें हटाना आसान नहीं होगा। जब तक तीन चौथाई पार्षद उनके खिलाफ नहीं होंगे, तब तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। प्रदेश में 16 नगर पालिक निगम हैं। हाल ही में छिंदवाड़ा नगर निगम में बवाल मचा हुआ है। विरोध के सुर फूटते देख सरकार ने यह कदम उठाने जा रही है।
नगर पालिका, नगर परिषद का प्रस्ताव कैबिनेट में पास
पिछले दिनों मध्यप्रदेश सरकार नगर पालिका, नगर परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को लेकर आई थी। इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इसके लिए सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा-43 में संशोधन किया है। सरकार के इस निर्णय से अविश्वास प्रस्ताव झेल रहे नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों को राहत मिली है। इस संशोधन को भी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखा जाएगा।
छिंदवाड़ा में अध्यक्ष को हटाने पार्षद लाए अविश्वास प्रस्ताव
हाल ही में छिंदवाड़ा नगर पालिका निगम में अध्यक्ष सोनू मागो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, हालांकि यह प्रस्ताव गिर गया। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह की मौजूदगी में गोपनीय वोटिंग हुई थी, जिसमें कांग्रेस के निगम अध्यक्ष सोनू मागो के पक्ष में 21 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में महापौर समेत 27 पार्षदों ने वोटिंग की। वोटिंग के बीच हाउस में बीजेपी के 34 में से 33 और कांग्रेस के सभी 14 पार्षद मौजूद थे। हालांकि अध्यक्ष के पक्ष में कांग्रेसियों के अलावा सात विपक्षी पार्षदों ने भी वोट डाले। नियम कहता है कि अध्यक्ष को हटाने के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत थी, लेकिन यह आंकड़ा विपक्ष छू नहीं पाया, जिससे मागो अपने पद पर बने रहेंगे।
मेयर को हटाने के लिए क्या है व्यवस्था?
गौरतलब है कि सरकार जब नगर पालिका और नगर परिषद के लिए लाई थी, तब मेयर को इससे दूर रखा था। तब यह तर्क दिया गया था कि मध्यप्रदेश में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। यानी मेयर को सीधे जनता चुनती है। मेयर को हटाने के लिए प्रक्रिया ऐसी है कि कुल पार्षदों में से छठवें भाग के बराबर यदि पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं तो कलेक्टर मेयर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
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