आतंकी हमले से विचलित मुस्लिम युवक ने अपनाया सनातन धर्म, राम मंदिर में रचाई शादी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने जबलपुर निवासी आन मोहम्मद खान के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। आन मोहम्मद ने सनातन धर्म को अपनाकर जीवन का एक नया अध्याय राममंदिर में शादी रचाकर शुरू किया

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Neel Tiwari
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MP News : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुई भीषण आतंकी घटना ने देशभर में रोष की लहर पैदा कर दी। परंतु यह घटना केवल एक सामान्य विरोध या क्षोभ की अनुभूति तक सीमित नहीं रही। जबलपुर के रांझी क्षेत्र में रहने वाले युवक आन मोहम्मद खान के जीवन को इस घटना ने भीतर तक झकझोर दिया। आतंकी हमलों की श्रृंखला और देश में बार-बार हो रही निर्दोष लोगों की हत्या से वह आहत हुआ। उसे महसूस हुआ कि केवल खामोश दुख मनाने से कुछ नहीं बदलेगा। इस मानसिक द्वंद्व के बीच उसने एक ऐसा निर्णय लिया, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है।

धार्मिक विश्वास में आया बदलाव, आन बने संजू

अपने मन की बेचैनी और देश के प्रति समर्पण की भावना के चलते आन मोहम्मद ने इस्लाम धर्म का परित्याग करते हुए सनातन हिंदू धर्म को अपनाने का संकल्प लिया। उसने जबलपुर के राम मंदिर में वैदिक मंत्रो‘चारण के साथ धर्म परिवर्तन की विधि पूर्ण की। धर्म गुरुओं और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में उसने ‘संजूज् नाम धारण किया। इस धार्मिक अनुष्ठान को किसी तामझाम या विवाद से दूर, पूर्ण शांति और आध्यात्मिक भाव से संपन्न किया गया। संजू के इस फैसले में कोई बाहरी दबाव नहीं था, बल्कि यह उसके अंतर्मन की पुकार थी।

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तीन साल के प्रेम को मिला स्वरूप

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संजू और सृष्टि हालदार का रिश्ता आज का नहीं है। दोनों पिछले तीन वर्षों से प्रेम में थे। सृष्टि, जो टाइपिंग सीखने जाया करती थी, वहीं संजू सिलाई मशीन रिपेयरिंग का कार्य करता था। यह दैनिक मुलाकातें धीरे-धीरे भावनात्मक जुड़ाव में बदल गईं। जब परिवारों को उनके प्रेम संबंध का पता चला, तो विरोध की दीवारें खड़ी हो गईं। परंतु इन दीवारों को उन्होंने एक-दूसरे के विश्वास और समर्पण से तोड़ दिया। दोनों ने पहले कोर्ट मैरिज कर ली थी, जो एसडीएम के समक्ष कानूनी रूप से दर्ज हुई। इसके पश्चात, उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंदिर में विवाह कर अपने रिश्ते को आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर स्वीकृति दी।

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सिंदूर, जयमाला और मंदिर की गूंजती घंटियां बनीं गवाह

राम मंदिर में संपन्न इस विवाह समारोह में वह सबकुछ था, जो एक पारंपरिक हिंदू विवाह की पहचान है। सृष्टि की मांग में संजू ने सिंदूर भरा, और फिर दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाई। मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रों की गूंज और शंख ध्वनि ने इस मिलन को पवित्रता की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया। विवाह समारोह में बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ युवती के माता-पिता भी उपस्थित थे, जो अब इस रिश्ते को स्वीकार कर चुके हैं। यह दृश्य न केवल प्रेम की विजय का प्रतीक बना, बल्कि समाज में एक नई सोच की प्रेरणा भी।

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संजू की आत्मा की पुकार : अब शर्म नहीं, गर्व है

विवाह के बाद मीडिया से बात करते हुए संजू ने अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, "मैं अब अपने नए जीवन और नए धर्म को लेकर गर्व महसूस करता हूं। उन्होंने बताया कि लगातार हो रहे इस तरह के हमले के बाद जब वह दोस्तों के साथ भी जाते थे तो उन्हें भीतर कहीं एक अजीब सी शर्मिंदगी होती थी। अब ऐसा नहीं है। अब मैं हिंदू हूं और यह निर्णय मेरी आत्मा की पुकार है। उन्होंने यह भी कहा कि जब सृष्टि जैसे लडक़ी ने समाज के डर को नजऱअंदाज़ कर सब कुछ त्याग दिया, तो उनका भी यह कर्तव्य बनता था कि वे केवल प्रेम ही नहीं, बल्कि धर्म से भी एक हो जाएं।

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सृष्टि का संघर्ष - घर छोड़ा पर विश्वास नहीं छोड़ा

सृष्टि हालदार ने अपने मन की बात बताते हुए कहा कि उनके और संजू के रिश्ते की जानकारी पहले से ही परिवार को थी। परंतु जाति और धर्म की दीवारें हमेशा उनके प्यार के रास्ते में रोड़ा बनी रहीं। परिवार की कड़ी आपत्तियों के चलते उन्हें घर से भागकर कोर्ट मैरिज करनी पड़ी। लेकिन उन्होंने अपने प्रेम और निर्णय पर कभी शक नहीं किया। "आज मंदिर में हम दोनों की शादी हो रही है और मेरे माता-पिता भी यहां हैं। उन्होंने भावुक होकर कहा कि इससे बड़ी खुशी मेरे लिए कुछ नहीं।

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