अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान अपनी ही पार्टी से नाराज हो गए हैं। उन्होंने खुद कहा है कि वे मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इस बात की खबरें सोशल मीडिया पर जोरों से हैं। बताया जा रहा है कि नागर सिंह, रामनिवास रावत को वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री बनाए जाने से नाराज हैं। इस वजह से वह मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
रावत को वन एवं पर्यावरण विभाग दिए जाने से मंत्री नाराज
बता दें, अब तक वन एवं पर्यावरण विभाग नागर सिंह चौहान के पास ही था। अब वे सिर्फ अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के मंत्री रह गए हैं। नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता सिंह चौहान रतलाम झाबुआ संसदीय क्षेत्र से भाजपा की सांसद हैं। खबरें तो ये भी है कि मंत्री नागर के साथ- साथ उनकी पत्नी अनीता नागर चौहान भी सांसद पद छोड़ सकती हैं।
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सुनिए क्या बोले नागर सिंह
वन और पर्यावरण विभाग छिनने से नाराज हुए मंत्री नागर सिंह चौहान
— TheSootr (@TheSootr) July 22, 2024
"बिना चर्चा किए बदला मेरा विभाग...समय आने पर दूंगा इस्तीफा... BJP कार्यकर्ताओं को छोड़ आउटसोर्स कांग्रेसियों को मिल रही तबज्जो''
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सीएम के फैसले से आहत- मंत्री
दरअसल नागर सिंह चौहान ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने पार्टी के लिए लंबे समय से काम कर रहे नेताओं के बजाय कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए रावत को वन एवं पर्यावरण विभाग दे दिया। नागर, सीएम के इस फैसले से काफी दुखी हैं, क्योंकि सीएम यादव ने उनसे इस मामले के बार में कोई भी चर्चा नहीं की थी।
सीएम मोहन यादव की पहली बड़ी परीक्षा
सभी संभावनाओं को दरकिनार कर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने डॉक्टर मोहन यादव का हनीमून पीरियड अब खत्म हो गया है। यह उनकी पहली परीक्षा है, जब उन्हें पार्टी के बाहर और अंदर दोनों ही जगह अपने राजनीतिक कौशल को दिखाना होगा। जाहिर है नागर सिंह चौहान की नाराजगी का फायदा कांग्रेस उठाने में नहीं चूकेगी। वहीं पार्टी के अंदर से भी आवाजें अब और भी तेज हो जाएंगी। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए “नव भाजपाइयों” के साथ पार्टी कैसा सुलूक करेगी? अगर नव भाजपाइयों को जिम्मेदारियां दीं तो पार्टी का परंपरागत कार्यकर्ता नाराज होगा, वहीं अगर कोई पद नहीं दिया तो भाजपाई हुए कांग्रेसी नाराज हो जाएंगे। यह परीक्षा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की भी है, कि वे इस स्थिति से कैसे निबटते हैं।
पार्टी फोरम पर जाएंगे चौहान
नागर सिंह चौहान ने कहा है कि मैं अपनी बात पार्टी के सीनियर नेताओं से करूंगा, पार्टी फोरम तक जाऊंगा। अगर मेरी बात नहीं सुनी जाती है, तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। मैं पिछले 25 सालों से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वे मंत्री पद से इस्तीफा देकर विधायक पद पर रहकर जनता की सेवा करेंगे, लेकिन ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।
नागर की नाराजगी से बीजेपी को होगा कितना नुकसान
नागर सिंह चौहान की नाराजगी के बीजेपी के लिए कई मायने हो सकते हैं। सीएम मोहन यादव के लिए यह उनके कार्यकाल की अब तक की सबसे बड़ी अंदरुनी चुनौती हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि चौहान की बात मानने और ना मानने दोनों में ही उन्हें कोई न कोई नुकसान होगा।
आदिवासियों की नाराजगी
नागर सिंह चौहान आदिवासी नेता हैं। उनकी पत्नी अनिता नागर सिंह रतलाम लोकसभा सीट से सांसद है। ऐसे में अगर बीजेपी नागर सिंह चौहान की नाराजगी दूर करने में सफल नहीं होती है, तो नागर सिंह चौहान बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी प्रदेश के आदिवासी वर्ग को नाराज कर सकती है।
बात मानी तो और होगी बगावत
अगर नागर सिंह चौहान के सामने बीजेपी झुक जाती है तब भी पार्टी के लिए समस्या बढ़ सकती है। मध्य प्रदेश में बीजेपी की वर्तमान स्थिति मजबूत है। ऐसे में पार्टी में विरोध की कई आवाजे दबी हुई है।
हालांकि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए नेताओं के चलते बीजेपी के कई परंपरागत नेताओं में नाराजगी है। ऐसे में अगर पार्टी नागर के सामने झुक जाती है तो विरोध की और आवाजें उठेंगी।
नागर सिंह अब बनेंगे असंतुष्टों की आवाज ?
लोकसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में प्रदेश भर से कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल हुए थे। रामनिवास रावत भी चुनावों के बीच ही पार्टी में शामिल हुए थे और उन्हें मोहन सरकार में मंत्री पद मिल गया।
कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं को तवज्जो मिलने से बीजेपी के परंपरागत नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। ऐसे में यह भी संभव है कि अब नागर सिंह मध्य प्रदेश बीजेपी से असंतुष्टों की आवाज बन सकते हैं।
कौन हैं नागर सिंह चौहान ?
नागर सिंह चौहान मध्य प्रदेश की अलिराजपुर विधानसभा सीट के विधायक हैं। यह एक आदिवासी सीट है। चौहान मध्य प्रदेश के आदिवासी नेता है। आदिवासी समाज में उनकी पकड़ मानी जाती है। नागर अलीराजपुर सीट से चार बार विधानसभा चुनाव जीतकर आए हैं।
चौहान पहली बार 2003 में अलीराजपुर के विधायक बने थे। इसके बाद 2008 और 2013 में भी उनकी जीत हुई। हालांकि 2018 का विधानसभा चुनाव नागर सिंह चौहान कांग्रेस के मुकेश पटेल से 22 हजार वोटों से हार गए थे। इसके बाद उन्हें 2023 में फिर टिकट दिया गया। यहां उनकी जीत हुई।
चुनाव में जीत के बाद चौहान को मोहन सरकार के मंत्रिमंडल में जगह दी गई। नागर सिंह चौहान को वन एवं पर्यावरण और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
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