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हम सभी जम्मू कश्मीर के अमरनाथ मंदिर के बारे में जानते हैं, लेकिन क्या आप मध्य प्रदेश के इस अमरनाथ मंदिर में गए हैं? यह मंदिर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित है जो नागद्वार मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ भी कहते हैं। यहां भगवान नाग विराजमान हैं।
दर्शन के लिए भक्तों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यह मंदिर साल में केवल एक बार 10 दिनों के लिए खुलता है। कहा जाता है कि जो भक्त सावन में यहां आकर दर्शन करते हैं, वे कभी खाली हाथ नहीं लौटते।
कहां है मंदिर
नागद्वार मंदिर एमपी के पचमढ़ी हिल स्टेशन के घने जंगलों में स्थित है। पचमढ़ी हिल स्टेशन अपनी खूबसूरती और हसीन वादियों के लिए प्रसिद्ध है। यह सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच स्थित है। नागद्वार को कुछ लोग नागद्वारी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह भोपाल से करीब 217 किमी और नर्मदापुरम जिले से 125 किमी दूर है।
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केवल 10 दिन के लिए खुलता है मंदिर
नागद्वार मंदिर सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच केवल 10 दिन के लिए खुलता है। इस साल यह 19 जुलाई से शुरू होकर 29 जुलाई यानी नागपंचमी तक खुला रहेगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 14 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है। भक्त सात दुर्गम पहाड़ियों को पार कर मंदिर तक पहुंचते हैं। इस यात्रा में घने जंगल और कठिन ट्रेकिंग का सामना करना पड़ता है।
दूर दराज से आते हैं भक्त
नागद्वार या नागद्वारी मंदिर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शामिल है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां जो भी सच्चे दिल से आता है, वह कालसर्प दोष से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि नागपंचमी के दिन यहां आने वाले भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। नागद्वार मंदिर की गुफा में नागदेवता की कई मूर्तियां स्थापित हैं। यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
सतपुड़ा की पहाड़ियों में है मंदिर
नागद्वार मंदिर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित एक गुफा मंदिर है। ठीक वैसे ही जैसे जम्मू कश्मीर का अमरनाथ मंदिर गुफा के अंदर है, नागद्वार मंदिर भी गुफा में स्थित है। मंदिर के अंदर चिंतामणि की गुफा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट है। गुफा से कुछ दूर स्वर्ग द्वार है, जहां नागदेवता की कई मूर्तियां स्थित हैं। यहां मौजूद शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।
नागपंचमी पर लगता है मेला
नागद्वार मंदिर में हर साल नागपंचमी के अवसर पर भव्य मेला आयोजित होता है, जिसमें भक्त दूर-दूर से शामिल होते हैं। मंदिर के दर्शन और मेला में शामिल होने के लिए केवल मध्य प्रदेश के लोग ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र से भी लाखों भक्त यहां आते हैं। दर्शन के दौरान भक्त सतपुड़ा की खूबसूरती का भी आनंद लेते हैं।
भक्तों से अपील
भक्तों को अपील की जाती है कि वे अकेले यात्रा न करें और भारी सामान लेकर न चलें। जरूरी सामान जैसे रेनकोट, पानी की बोतल और कपूर साथ रखना अच्छा रहेगा। कपूर से रास्ते में बदबू और कम ऑक्सीजन की समस्याओं से राहत मिल सकती है, क्योंकि रास्ते पर खुले में शौच एक बड़ी समस्या है। लगातार बारिश से बदबू कम रहती है, लेकिन बारिश रुकने पर हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, तीर्थयात्रा केवल तब करें जब अच्छी बारिश हो रही हो।
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