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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उज्जैन की तीन पंचायतों के नाम बदलने की घोषणा के बाद प्रदेशभर में नाम परिवर्तन की मांगें जोर पकड़ने लगी हैं। अब तक 55 से अधिक गांव और शहरों की सूची सामने आई है, जहां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर पुराने नाम बहाल करने की मांग की जा रही है।
किन जिलों में सबसे अधिक मांग?
नाम परिवर्तन की मांग सबसे ज्यादा भोपाल और रायसेन जिलों से सामने आई है। भोपाल के 12, रायसेन के 12, उज्जैन के 5, विदिशा के 3, सीहोर के 4 और मंदसौर के 4 स्थानों के नाम बदलने की मांगें उठ रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इस्लामनगर का नाम जगदीशपुर, होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और नसरुल्लागंज का नाम भेरुंडा कर दिया गया था। इसी तर्ज पर अब भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग लंबे समय से की जा रही है।
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नामों की बहाली की मांग
दावा है कि मुगल और नवाबी शासनकाल के दौरान कई गांवों और शहरों के नाम बदले गए थे। अब इन स्थानों को उनके मूल नाम वापस देने की मांग हो रही है।
औबेदुल्लागंज: रायसेन जिले में स्थित यह स्थान पहले हिरानिया के नाम से जाना जाता था। इसका नाम भोपाल रियासत की नवाब सुल्तान जहां के बेटे औबेदुल्ला खां के नाम पर रखा गया।
गौहरगंज: इसका पुराना नाम कलियाखेड़ी था, जो राजा भोज के मंत्री कलिया के नाम पर पड़ा। बाद में इसे नवाब हमीदुल्लाह खां ने अपनी बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर गौहरगंज कर दिया।
शमशाबाद: यह स्थान पहले सूर्य नगर के नाम से प्रसिद्ध था। यहां सूर्यमंदिर हुआ करता था, लेकिन मुगलकाल में इसे तोड़कर नाम बदल दिया गया।
नूरगंज: पहले इसे रूप नगर के नाम से जाना जाता था, लेकिन नवाबी शासनकाल में इसका नाम बदलकर नूरगंज कर दिया गया।
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भोपाल और रायसेन में कहां उठी मांग?
भोपाल में जहांगीराबाद, शाहजहांनाबाद, हबीबगंज, मुबारकपुर, बरखेड़ा याकुब, और आदमपुर छावनी जैसे क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग हो रही है। रायसेन जिले में औबेदुल्लागंज (हिरानिया), गौहरगंज (कलियाखेड़ी), नूरगंज (रूप नगर), सलामतपुर (सनातनपुर) और बेगमपुरा (सिंहपुर) जैसे स्थानों के नाम वापस लेने की मांग की जा रही है।
अन्य जिलों में भी उठ रही मांग
विदिशा: शमशाबाद (सूर्य नगर) और गंजबासौदा के मियाखेड़ी का नाम बदलने की मांग।
उज्जैन: आजमपुरा (भवानीपुरा) और इशाकपुर (ईश्वरपुर)।
मंदसौर: मोहम्मदपुरा (मेनपुरिया) और अफजलपुर (सूर्यनगरी)।
सीहोर: शाहगंज (चीचली) और हमीदगंज (तूमड़ी)।
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नाम बदलने की प्रक्रिया
नाम बदलने का अंतिम अधिकार केंद्र सरकार के पास है। राज्य सरकार केवल प्रस्ताव भेज सकती है। अब देखना यह है कि इन मांगों पर केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है।
पहचान की बहाली या राजनीति?
नाम परिवर्तन को लेकर जनभावनाएं तीव्र हो रही हैं। इसे कुछ लोग सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना मानते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा मानते हैं।
फिलहाल, यह स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश में नाम परिवर्तन का यह आंदोलन और तेज होता जा रहा है। सरकार के अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं।
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