छतरपुर।
'मुस्कुराइए,आप छतरपुर के अस्पताल में हैं'...यह कड़वा तंज उस वक्त सच्चाई बन गया जब नौगांव सिविल अस्पताल में चार घंटे तक बिजली गुल रही और इलाज मोबाइल की टॉर्च और जेब लाइट की मदद से होता रहा।
नौगांव सिविल अस्पताल में बिजली गुल रहना आम बात है,लेकिन इस बार लापरवाही की हद पार हो गई। चार घंटे तक न तो जिम्मेदार अधिकारी पहुंचे और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
यह भी पढ़ें... अंबेडकर अस्पताल में एंजियोप्लास्टी ऑपरेशन का लाइव प्रसारण , देश भर से जुड़े कार्डियोलॉजिस्ट
आंधी-पानी में बिजली हुई गुल
बीती शाम आई तेज आंधी-तूफान के बाद अस्पताल की बिजली गुल हो गई। इसके बाद अस्पताल का पूरा परिसर अंधेरे में डूब गया। सबसे हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल में दो जनरेटर मौजूद होने के बावजूद बिजली चालू नहीं की गई। नतीजतन, मरीज अंधेरे में तड़पते रहे और स्टाफ ने मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में इंजेक्शन लगाए और इलाज किया।
2 जनरेटर पर डीजल नहीं,आई खराबी
अस्पताल में बिजली गुल होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर दो जनरेटर लगाए गए हैं। बताया जाता है कि जनरेटर में डीजल नहीं होने व तकनीकि खामी के चलते ये वक्त पर चालू नहीं किए जा सके। नतीजतन,इमरजेंसी सेवा के दौरान चिकित्सकों को मोबाइल टॉर्च की रोशनी से काम चलाना पड़ा।
यह भी पढ़ें... दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल मंगूभाई पटेल और राजेंद्र शुक्ला, पाटन में अस्पताल की दी सौगात
बुलाया निजी मैकेनिक तब सुधरा जनरेटर
सूत्रों केअनुसार,ये हालात पहली बार नहीं बने। इससे पहले भी बिजली गुल होने पर इसी तरह जुगाड़ से काम किया जाता रहा है। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लगाए गए जनरेटर भी अक्सर खराब रहते हैं।
शनिवार को भी जब जरूरत पड़ी तो ये चालू ही नहीं हो सके। तब बाजार से एक मैकेनिक को बुलाया गया। जिसके बाद मरम्मत कार्य शुरू किया गया। तकरीबन सवा तीन घंटे बाद जनरेटर को चालू किया जा सका। तब कहीं अस्पताल में बिजली आपूर्ति बहाल हो सकी।
यह भी पढ़ें... Bhopal Love Jihad Case | आरोपी पर सब इंस्पेक्टर की रि*वॉल्वर छीनने का आरोप, अस्पताल में किया भर्ती
यह भी पढ़ें... एमपी के 60 अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग का बड़ा एक्शन, लाइसेंस रद्द