भोपाल टॉकीज स्थित बड़ा बाग कब्रिस्तान ( Graveyard ) में नवाबों की क्रबों का भी सौदा किया जा रहा है। कब्रिस्तान की जमीन पर दुकानें बनाई जा रही हैं। इन्हें 25 से 30 हजार रुपए में किराएदारी पर उठाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह काम भी वे लोग कर रहे हैं, जिन पर इनकी हिफाजत की जिम्मेदारी है। औकाफ-ए-शाही के दफ्तर में बैठे जिम्मेदार कब्रिस्तान में दुकानों के लिए आम लोगों से सीधे सौदा करते बैठे है।
किराया भी हो चुका है तय
नगर निगम ने एक माह पहले जो कब्जे हटाए थे, औकाफ-ए-शाहीके जिम्मेदार उन्हीं लोगों को वापस काबिज कराने की तैयारी में है। उनसे एकमुश्त मोटी रकम के साथ मासिक किराया भी तय किया जा रहा है।
30 हजार सहित तीन हजार किराए पर दुकान मिल जाएगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक व्यवसायी मोती मस्जिद ( Moti Masjid ) परिसर में स्थित औकाफ-ए-शाही के दफ्तर पहुंचा। यहां औकाफ-ए-शाही के सचिव ( Secretary ) आजम किरमिजी और उनके साथी ने सबसे पहले 30 हजार रुपए की जमा करने को कहा। व्यवसायी ने तंगी का हवाला दिया तो किरमिजी बोले, जल्दी करो, हमें भी सामान खरीदकर दुकानें खड़ी करनी हैं। छोटी दुकान का किराया ढाई और बड़ी का किराया तीन हजार रुपए रहेगा। 30 हजार की कोई रसीद नहीं मिलेगी।
पहले किराएदारी, बाद में देंगे मालिकाना हक
किरमिजी व्यवसायी को समझाते हुए बताते हैं कि यह जमीन हमारी है। हमने ही कब्जा हटवाया था। हमारे पास पहले दुकान लगाने वालों की सूची और वीडियोग्राफी है, उसी के अनुसार आवंटन कर रहे हैं। अभी पुराने काबिजों को आवंटन कर रहे हैं, जिन्हें अस्थाई किराएदारी दी जाएगी। कुछ दिनों बाद 250 दुकानों का नया बाजार बनाएंगे, जिसमें मालिकाना हक दिया जाएगा।
इसका व्यावसायिक इस्तेमाल गलत है
बड़ा बाग कब्रिस्तान ऐतिहासिक जगह है। इससे हमारी यादें जुड़ी हैं। अम्मी साजिदा सुल्तान इस कब्रिस्तान की साफ-सफाई कराती थीं। वो लोगों से कहतीं थीं, कि यह आप लोगों की विरासत है। इसे आप लोग नहीं संभालेंगे तो कौन संभालेगा, इसका व्यावसायिक इस्तेमाल गलत है।
-नवाब फैज जंग, भोपाल नवाब हमीदुल्ला खां के नवासे
कानूनी प्रक्रिया अपनाएंगे
कब्रिस्तान की जमीन पर दुकानें बनाने की तैयारी है। इसकी शिकायत मिलते ही मैंने किरमिजी से कहा था, कि यह गलत है, लेकिन उन्होंने चेतावनी को अनदेखा कर दिया। वहां जो भी चल रहा है, वह वक्फ कानून की धारा 51 का उल्लंघन है, इस पर कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
-शौकत मोहम्मद खान, चेयरमैन वक्फ बोर्ड
हम इसका विरोध करेंगे
जमीन वक्फ (दान) करते समय वाकिफ (दानकर्ता ) की मंशा लिखी जाती है। वह कानूनी दर्ज हो जाती है। यह वक्फ अधिनियम का हिस्सा है कि सम्पत्ति का उपयोग वाकिफ की मंशा के बिना बदला नहीं जा सकता। हम कब्रिस्तान के व्यावसायिक उपयोग का विरोध करेंगे।
-सैयद असरार अली, एक्टिविस्ट